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बच्चों को सेक्शुअली अब्यूज करने वाले ज्यादातर लोग करीबी ही होते हैं। अगर छोटी उम्र से ही बच्चे को इस बारे में सीख दी जाए तो अप्रिय घटनाओं से बचा जा सकता है। यह काम मुश्किल तो है पर जरूरी भी। कई बार बच्चे टीवी में कुछ ऐसा देख लेते हैं जो उन्हें समझ नहीं आता। इस बारे में वे पेरेंट्स से पूछते हैं तो गोलमोल जवाब मिल जाता है। ऐसे में वे गलत सोर्सेज से चीजें पता कर सकते हैं। बेहतर होगा थोड़ी तैयारी के साथ आप बच्चों से खुद बात करें। कई एक्सपर्ट्स मानते हैं कि बच्चा जब 18 से 24 महीने का हो तब से ही कुछ चीजों की शुरुआत कर देनी चाहिए। सही एजुकेशन देकर आप उन्हें गलत करने और सेक्शुअली अब्यूज होने से बचा सकते हैं।
2 साल में सिखाएं क्या है बाउंड्री
बच्चा जब 2 से 5 साल का हो तो आप उसे बॉडी पार्ट्स और सही-गलत के बारे में सिखाएं।
जैसे उन्हें बताएं उन्हें हर किसी की गोद में नहीं बैठना है। किसी के शरीर को बिना पूछे नहीं छूना है। न ही किसी को अपने बॉडी पार्ट्स छूने दें। खासकर कमर के नीचे बॉडी न छूने देने की ट्रेनिंग दें। उन्हें बताएं कि ये स्पेशल बॉडी पार्ट्स होते हैं, इन्हें सबके सामने हमेशा कवर ही रखना है। बच्चे से कहें कि अगर उनको कोई इस तरह से टच करता है तो आपको तुरंत बताएं।
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5 साल से ऊपर बच्चों को दें ये सीख
5 साल से ज्यादा उम्र के बच्चे स्कूल या दूसरी वजहों से नेट और मोबाइल यूज करने लगते हैं। इसका ध्यान रखें कि वे क्या सर्फ कर रहे हैं। उन्हें समझाए कि सोशल मीडिया पर अकाउंट न बनाएं, न ही किसी अजनबी के साथ अपनी तस्वीरें और डिटेल शेयर करें। इस उम्र में आप उन्हें सेक्शुअल अब्यूज के बारे में थोड़ा खुलकर बता सकते हैं। ध्यान रखें कि बच्चा डरे नहीं। हमेशा अहसास कराएं कि हर कंडीशन में उनकी फैमिली उनके साथ है।
टीनेज बच्चों को बताएं ये बातें
10 साल से ऊपर के बच्चों के सामने आप न्यूज पेपर में छपी सेक्स क्राइम की खबरों को डिसकस कर सकते हैं ताकि वे अलर्ट रहें। टीनेज यानी 13 से 19 साल के बच्चे को प्रेग्नेंसी, पीरियड्स, सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिसीज, रिलेशनशिप और दोस्ती में सही-गलत की जानकारी दे देनी चाहिए।
सवालों पर न हंसें
सेक्स से जुड़ी बात करते वक्त अपनी बात को फैक्चुअल और पॉजिटिव रखें। ज्यादा डिटेल में न जाएं। उन्हें बताएं कि कोई कन्फ्यूजन हो तो वे दोबारा पूछ सकते हैं। बच्चों के सवालों पर शरमाएं नहीं और न ही हंसें। उन्हें ईमानदारी से जवाब दें। अगर एक्सप्लेन करना मुश्किल है तो बच्चों को साधारण भाषा में बता दें लेकिन गलत जवाब न दें। जैसे बच्चा पूछे कि बच्चे कैसे पैदा होते हैं तो आप पहले उनसे पूछ सकते हैं कि उन्हें क्या लगता है। इसके बाद आप सिंपल जवाब दे सकते हैं कि मम्मी-पापा इसे मिलकर बनाते हैं।
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