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जापान में स्थानीय चुनावों के लिए उम्मीदवारों की क्यों हो रही है कमी

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जापान में स्थानीय चुनावों के लिए उम्मीदवारों की क्यों हो रही है कमी

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हाइलाइट्स

जापान में स्थानीय चुनावों मे 40 फीसदी सीटों पर चुनाव नहीं हो पाया.
इसके लिए वहां के लोगों खास तौर पर युवाओं ने उम्मीदवारी में दिलचस्पी ही नहीं दिखाई है.
इसका कारण वहां की कम होती जनसंख्या और बूढ़ी होती आबादी को बताया जा रहा है.

भारत में चुनाव आयोग इस बात के लिए लोगों को प्रेरित करता है कि लोग अपना वोट डालें जिससे लोकतंत्र की सक्रियता कायम रखे सके. लेकिन जापान में एक अनोखी समस्या सामने आ गई है. वहां के एक हजार जिलों मे हुए स्थानीय चुनाव हुए जिसमें से 40 फीसद इलाकों में चुनाव हो ही नहीं पाए क्योंकि वहां चुनाव लड़ने के लिए कोई उम्मीदवार ही नहीं मिला था. जापानी सरकार के लोगों को चुनाव में भाग लेने के ले प्रोत्साहित किए, लेकिन कम होती जनसंख्या औरद बढ़ते बूढ़ों की संख्या होने के कारण सरकार के तमाम प्रयास नाकाम हुए. लोकतंत्र में इस तरह की समस्या का यह बहुत अजीब मामला देखने को मिल रहा है.

कहां कहां हुए हैं चुनाव
इन चुनावों से मतदाताओं को नौ इलाकों में गवर्नर, छह बड़े शहरों में मेयर और 17 बड़े शहरों के सात 41 क्षेत्रों में असेंबली सदस्यों का चुनाव करना था. जापान की सरकार  पूरे जापान में इस बात केविशेष प्रयास किए थे कि लोग प्रोत्साहित हों और स्थानीय विधानसभा के चुनावों में उम्मीदारों के तौर पर प्रतिभागी बनें, लेकिन सरकार के गंभीर प्रयास सफल नहीं हो सके.

दो प्रमुख वजहें
इसकी सबसे बड़ी वजह जापान की घटती जनसंख्या और बूढ़ा होता समाज बताया जा रहा है जिसकी वजह से सकारात्मक नतीजे नहीं मिल सके. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 375 नगरों और गावों के असेंबली चुनावों के साथ स्थानीय चुनावों को 2019 में ही एकीकृत कर दिया गया था. तब 93 में किसी तरह का प्रतिद्वंदता नहीं दिखी थी और चुनाव ना होने वाली सीटें रिकॉर्ड 23.3 फीसद तक पहुंच गई थीं.

जनसंख्या की समस्या
जापान इन दिनों जनसंख्या से संबंधित कई गंभीर समस्याएं झेल रहा है. अगर कारगर कदम न उठाए गए तो वहां हालात अभी नहीं तो कभी नहीं जैसे होते जा रहे हैं और यही हाल रहा तो एक दिन यह देश ही गायब हो जाएगा. इस तरह की चेतावनी हाल ही में जपानी प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा और उनके वरिष्ठ सलाहकार ने दी है.

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जापान के चुनावों में पिछले बार भी इस तरह की समस्या आई थी जोअब और गंभीर रूप ले रही है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons

गायब हो जाएगा देश
किशिदा ने इसी साल जनवरी में देश की जनसंख्या की चिंताजनक समस्या पर लोगों को ध्यान खींचने की कोशिश की है. उनकी सहयोगी मसाका मोरी ने ब्लूमबर्ग को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि यदि ऐसा ही चलता रहा तो देश गायब हो जाएगा. फरवरी में ही जापान ने ऐलान किया था कि वहां पैदा हुए बच्चों की संख्या में रिकॉर्ड निम्न स्तर को छुआ है.

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कम प्रजनन दर और बढ़ती बूढ़ी आबादी
जापान में दुनिया केसबसे कम प्रजनन दर है जो कि 1.3 है. यह मानक स्थिर जनसंख्या को बनाए रखने के लिए जरूरी 2.1 की दर से बहुत ही कम दर है . वहीं दूसरी तरफ 2014 के आंकड़ों के मुताबिक जापानी जनसंख्या का 38 फीसद हिस्सा 60 की उम्र का था,  25.9 फीसद 65 साल के ऊपर के लोगों का था जो कि 2022 तक 29.1 फीसद हो गया है.

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जापान में जनसंख्या की कमी होना एक बहुत ही ज्यादा चिंता का विषय होता जा रहा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

युवाओं में कमी और कम होती दिलचस्पी
इस तरह से देखा जाए तो जापान में युवाओं की तेजी से कम हो रही है और यह कमी और ज्यादा होने वाली है. इस समस्या का असर यह हो रहा है कि युवा तो कम हैं ही उनकी चुनाव लड़ने में दिलचस्पी भी कम नहीं है. स्थानीय राजनीति भी आम लोगों के लिए किसी तरह की अपील नहीं करती है जिससे युवाओं को इसमें लाना बहुत मुश्किल होता जा रहा है जिसका यह नतीजा सामने है.

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जापान में जनसंख्या की कमी पहले से ही चिंता का विषय है. इसके अलावा वहां शहरों में ज्यादा लोग रहे हैं जिससे ग्रामीण जनसंख्या में भी कमी अलग से चिंतित कर रहा है. खुद जापानी सरकार लोगों को शहर से बाहर बसने के लिए प्रेरित करने के लिए कमदम उठा रही है. जनसंख्या में कमी भविष्य में बहुत सारी समस्याएं पैदा कर करेगा ऐसा माना जा रहा है. ऐसा ही कुछ चिंतित महौल चीन में भी है जिसने कुछ समय पहले ही एकल संतान वाले चीन परिवार की नीति को खत्म किया है और अब वहां परिवार बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.

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