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पीएम नरेंद्र मोदी बीते करीब कई महीनों से लगातार दक्षिण भारत के दौरे कर रहे हैं। एक बार फिर से वह 9 दिनों की यात्रा में निकले हैं, जिसमें पूर्वी भारत से लेकर दक्षिण तक का सफर शामिल है। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के लिए वह भाजपा के सारे पेच कस लेना चाहते हैं ताकि प्रदर्शन ऐतिहासिक रहे। इसके अलावा यदि नॉर्थ इंडिया के किसी राज्य में कुछ घाटा भी होता है तो उसकी भरपाई दक्षिण से हो सके। दक्षिण भारत में कुल 130 सीटें आती हैं, जो सरकार गठन के जादुई आंकड़े के लिए अहम हैं। यही वजह है कि कांग्रेस यहां हमेशा फोकस करती रही है और भाजपा भी अब उस रेस में पीछे नहीं है।
इस बीच इंडिया टीवी-सीएनएक्स का सर्वे आया है, जिसमें भाजपा के लिए उत्साह भरा अनुमान जताया गया है। सर्वे के मुताबिक भाजपा को साउथ इंडिया की 130 में से 35 सीटें मिल सकती हैं। यदि ऐसा हुआ तो यह भाजपा के लिए ऐतिहासिक प्रदर्शन होगा। भाजपा ने 2014 और 2019 में अभूतपूर्व प्रदर्शन किया था, लेकिन तब भी वह कर्नाटक और तेलंगाना के बाहर नहीं निकल पाई थी। लेकिन इस बार सर्वे का अनुमान है कि तमिलनाडु और केरल में भी उसका न सिर्फ खाता खुलेगा बल्कि कई सीटें मिलेगी। यही नहीं तेलंगाना और कर्नाटक में, जहां कांग्रेस की सत्ता है, भी उसे बड़ी संख्या में सीटें मिलेंगी।
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कुल मिलाकर उसे इन राज्यों की 130 सीटों में से 30 पर जीत मिल सकती है। सर्वे के अनुसार भाजपा पहली बार तमिलनाडु न सिर्फ खाता खोलेगी बल्कि 4 सीटें भी जीतेगी। कांग्रेस यहां भाजपा से थोड़ा आगे रहते हुए 6 सीटें पा सकती है और डीएमके को 20 सीटों पर विजय की भविष्यवाणी की गई है। इसी तरह तेलंगाना में उसे 5 सीटें मिलने का अनुमान है और वह कांग्रेस के बाद दूसरे नंबर पर रहेगी। यहां कांग्रेस को 9 सीटें मिल सकती हैं और बीआरएस को सिर्फ दो का ही अनुमान है। हैदराबाद की सीट ओवैसी फिर से जीत सकते हैं।
‘केरल में खाता भी खुलेगा और रिकॉर्ड भी बनेगा’
अब केरल की बात करें तो यहां भी ऐतिहासिक रूप से भाजपा 3 सीटें पा सकती है। सीएनएक्स सर्वे के अनुसार यहां सबसे कांग्रेस को 7, सीपीएम को 4, सीपीआई को 1 और मुस्लिम लीग को दो सीटें मिल सकती हैं। आंध्र प्रदेश में भाजपा का खाता भी नहीं खुलेगा। यहां की कुल 25 सीटों में से 15 पर वाईएसआर कांग्रेस जीत सकती है, जबकि 10 सीटें टीडीपी को मिल सकती हैं। हालांकि बड़ी बात यह है कि भाजपा के लिए इस राज्य में दोनों ही दल समर्थन वाले हैं। यानी लोकसभा में वोटिंग की जरूरत हो तो कोई भी पार्टी समर्थन के लिए राजी दिखती है।
कर्नाटक फिर से भर देगा भाजपा की झोली?
अब भाजपा के लिए दक्षिण के द्वार कर्नाटक की बात करें तो यहां की 28 सीटों में से भाजपा 22 जीत सकती है। कुछ महीने पहले ही कांग्रेस को बंपर बहुमत देने वाले इस राज्य से भाजपा को इतनी सीटें मिलना बड़ी उपलब्धि होगा। हालांकि 2019 में उसने यहां से 25 सीटें जीती थीं। यहां जेडीएस के साथ भाजपा का गठबंधन है, उसे 2 सीटें मिल सकती हैं। इस तरह यहां एनडीए के पास 24 सीटें रहेंगी। वहीं कांग्रेस को यहां महज 4 सीटों पर ही संतोष करना पड़ सकता है। राज्य की सत्ता होने के बाद भी उसके लिए यह स्थिति चिंताजनक होगी।