हाइलाइट्स
कर्नल मनप्रीत के दिवंगत पिता लखमीर सिंह भी 12 सिख लाइट इन्फैंट्री में नायक थे
साल 2014 में पिता ने अपनी मृत्यु से पहले बेटे मनप्रीत सिंह को उसी बटालियन में अधिकारी बनते देखा
फोटोग्राफी के शौकीन रहे मनप्रीत सिंह ने अफ्रीका में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के साथ काम किया
एस. सिंह
चंडीगढ़. जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के अनंतनाग (Anantnag) जिले में शहीद हुए भरौंजियां गांव के सपूत कर्नल मनप्रीत सिंह (Colonel Manpreet Singh) उसी बटालियन में जवान बने थे जिसमें उनके पिता तैनात थे. उन्होंने जून 2005 में सिख लाइट इन्फैंट्री की 12वीं बटालियन में नियुक्त होकर यह उपलब्धि हासिल की थी. मोहाली जिले की मुल्लांपुर गरीबदास बस्ती के भरौंजियां गांव में उनके घर पर बिल्कुल सन्नाटा है. कभी चंडीगढ़ के बाहरी इलाके में यह एक छोटे से गांव के रूप में जाने जाने वाले भरौंजियां गांव के आसपास अब अथाह विकास हुआ है और गांव के चारों ओर ऊंची-ऊंची इमारतें खड़ी हो गई हैं.
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक उनके दिवंगत पिता लखमीर सिंह 12 सिख लाइट इन्फैंट्री में नायक थे. साल 2014 में उनकी मृत्यु हो गई थी, लेकिन इससे पहले उन्होंने अपने बेटे को उसी बटालियन में अधिकारी बनते देखा था, जिसमें उन्होंने एक जवान के रूप में काम किया था. आज उनका अंतिम संस्कार किया जाना है. मनप्रीत के भाई संदीप सिंह और बहन संदीप कौर की आंखों में उदासीनता है. उनकी मां मंजीत कौर शोक संतप्त रिश्तेदारों से घिरी हुई हैं. खुशी के दिनों की एक बड़ी तस्वीर उनके घर की दीवार पर टंगी है जिसमें पूरा परिवार एक फ्रेम में है.
उन्हें फोटोग्राफी का बहुत शौक था. वह जहां भी जाते थे अपना कैमरा अपने साथ ले जाते. उन्होंने अफ्रीका में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के साथ काम किया और वहां बहुत सारी तस्वीरें लीं. उन्होंने 2000 के दशक की शुरुआत में चंडीगढ़ में एक चार्टर्ड अकाउंटेंट की फर्म में प्रशिक्षु के रूप में एक साथ काम किया था.
मनप्रीत ने एसडी कॉलेज चंडीगढ़ से बीकॉम करने से पहले प्राथमिक स्कूली शिक्षा केंद्रीय विद्यालय मुल्लांपुर से की थी. पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ में काम करने वाले उनके छोटे भाई संदीप सिंह कहते हैं कि उन्होंने संयुक्त रक्षा सेवा (सीडीएस) परीक्षा उत्तीर्ण की और वह 2004 में भारतीय सैन्य अकादमी में शामिल हो गए. वह जून 2015 में उत्तीर्ण हुए और 12 सिख एलआई में शामिल हो गए थे.
मनप्रीत उसी बटालियन 19 आरआर की कमान संभाल रहे थे, जिसने 2017 में कश्मीर में बुरहान वानी को मार गिराया था. मुठभेड़ में दो आतंकवादियों को मारने के लिए उन्हें 2021 में वीरता के लिए सेना पदक से सम्मानित किया गया था. उनकी बहन संदीप कौर का कहना है कि मनप्रीत जून में छुट्टी पर आए थे और भाई-बहन और उनकी मां ने अक्टूबर में उनसे मिलने जम्मू-कश्मीर जाने की योजना बनाई थी क्योंकि उन्हें जल्द ही अपनी पोस्टिंग की उम्मीद थी. वह लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में 19 आरआर के साथ थे और बाद में कर्नल के रूप में पदोन्नति के बाद उन्हें कमांडिंग ऑफिसर नियुक्त किया गया था.
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FIRST PUBLISHED : September 15, 2023, 14:48 IST