Telangana Assembly Election 2023: तेलंगाना के मुख्यमंत्री और भारत राष्ट्र समिति (BRS)अध्यक्ष के चंद्रशेखर राव को मौजूदा विधानसभा चुनावों में उनकी ही सुपरहिट और लोकप्रिय रही योजना रायतु बंधु स्कीम से झटका मिल सकता है, जबकि उसकी खामियों की वजह से विपक्षी कांग्रेस सत्ता में वापसी कर सकती है। तेलंगाना के कई इलाकों में किसानों को इस स्कीम से बड़ा शिकायतें हैं। उनकी सबसे बड़ी शिकायत है कि इस योजना से गरीब किसानों को फायदा नहीं हो रहा है, जबकि बड़े किसान दिन-ब-दिन और अमीर होते जा रहे हैं। इससे समाज में गरीबी-अमीरी की खाई बढ़ती जा रही है। छोटे और सीमांत किसान, जिनकी सबसे ज्यादा हिस्सेदारी है, वे अब कांग्रेस की तरफ आशा की उम्मीद से देख रहे हैं।
हालांकि, किसान स्वीकार करते हैं कि सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (BRS) के पास कई योजनाएं हैं लेकिन कांग्रेस की पेश योजनाओं में बीआरएस की स्कीम से ज्यादा देने का वादा किया गया है। इंडियन एक्सप्रेस ने मेडक विधानसभा क्षेत्र के स्टेशन घनपुर के खेतों में, जहां धान की नई फसल बोरियों में भरी जा रही है, किसानों से बात की। उन किसानों के बीच कांग्रेस के वादों की चर्चा है, जबकि केसीआर के रायतु बंधु स्कीम की खामियों पर किसान अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं।
एक किसान ने कहा कि उसके पड़ोसी के पास 6 एकड़ जमीन है, उसे इस स्कीम के जरिए हर साल 60,000 रुपये मिल रहे हैं, जबकि वह खेती भी नहीं करता। वह हर साल अमीर होता जा रहा है। किसान ने कहा उसके पास सिर्फ एक एकड़ जमीन है और उसे सालाना सिर्फ 10,000 रुपये ही मिलते हैं। सरकार गरीब किसानों का ख्याल क्यों नहीं करती? यह कहानी किसी एक किसान की नहीं बल्कि इलाके के सभी छोटे और सीमांत किसानों की है। वे गुस्से में कहते हैं कि हम देखेंगे, जो पार्टी हमें ज्यादा लाभ देगी हम उसे ही वोट देंगे।
क्या है रायतु बंधु स्कीम
केसीआर सरकार ने मई 2018 में रायतु बंधु योजना शुरू की थी। इसके तहत, प्रत्येक सीजन में प्रति किसान 5,000 रुपये या हर साल प्रति एकड़ 10,000 रुपये दिए जाते हैं। 2018-19 में इस योजना के तहत 50.25 लाख किसानों को कवर किया गया था। 2023 में कवर किए गए किसानों की संख्या 70 लाख तक पहुंच गई है, जिसका मुख्य कारण परिवारों के बीच भूमि का बंटवारा है।
2022 राज्य सांख्यिकीय रिपोर्ट के अनुसार, तेलंगाना के किसानों में सीमांत (2.47 एकड़ से कम) और छोटे किसान (2.48 से 4.94 एकड़) 91.33% या 59.36 लाख हैं। इसके अलावा जिन किसानों के पास 9.89 एकड़ से अधिक भूमि है, वे कुल किसानों का केवल 1.39% या 90,449 हैं।
किस कैटगरी के किसान को कितना मिला पैसा
दिसंबर 2022-जनवरी 2023 में इस स्कीम के तहत एक एकड़ से कम भूमि वाले 22.55 लाख किसानों को कुल 642.52 करोड़ रुपये मिले, जबकि 1 से 2 एकड़ वाले 16.98 लाख किसानों को 1,278 करोड़ रुपये, 2 से 3 एकड़ भूमि वाले 10.89 लाख किसानों को 1,131 करोड़ रुपये, 3 से 4 एकड़ जमीन वाले 4.89 लाख किसानों को 1,047 करोड़ रुपये, 4 से 5 एकड़ भूखंड वाले 1.52 लाख किसानों को 265.18 करोड़ रुपये मिले और 5 से 6 एकड़ वाले लगभग 50,000 किसानों को 136.54 करोड़ रुपये मिले हैं।
कृषि मंत्री का क्या तर्क
इस योजना की शुरुआत में केसीआर सरकार ने इसके लिए 12,000 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। इस रबी सीजन का बजट 7,676 करोड़ रुपये है। कृषि मंत्री एस निरंजन रेड्डी का तर्क है कि योजना के डिज़ाइन में समस्याओं के बावजूद, रायतु बंधु के तहत लगभग 92.5% लाभार्थी अभी भी 10 एकड़ से कम भूमि वाले छोटे और सीमांत किसान हैं। इसके अलावा रेड्डी कहते हैं, हर साल साल किसानों के बैंक खातों में जाने वाले 10,000 रुपये केंद्र की प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) से बेहतर है, जिसके तहत 2 हेक्टेयर से कम खेती योग्य भूमि वाले प्रत्येक कृषि परिवार को सालाना सिर्फ 6,000 रुपये मिलते हैं।
चुनावी घोषणा पत्रों में क्या?
अपने चुनावी घोषणा पत्र में बीआरएस ने अगले पांच वर्षों में योजना का वार्षिक लाभ बढ़ाकर 16,000 रुपये प्रति एकड़ करने का वादा किया है। उधर, कांग्रेस ने सरकार बनते ही किसानों को प्रति एकड़ 15,000 रुपये और बटाईदार किसानों को हर साल 12,000 रुपये देने का वादा करके इस योजना में सुधार का प्रस्ताव दिया है। कई किसान खासकर बटाईदार अब कांग्रेस के प्रति उम्मीद लगा कर देख रहे हैं।
कांग्रेस से क्यों उम्मीद?
किसान कह रहे हैं, “यदि कोई विपक्षी दल सत्तारूढ़ दल से अधिक वादे करता है, तो यह बेहतर है। मतदाताओं को अधिक मुफ़्त सुविधाओं, अधिक लाभों और अधिक वादों की इस दौड़ का लाभ उठाना चाहिए और उस पार्टी को वोट देना चाहिए।” इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए नरेश नाम के एक किसान ने कहा, “बीआरएस कल्याणकारी योजनाओं के लिए धन जुटाने के लिए संघर्ष कर रही है, जबकि कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है, शायद कांग्रेस सरकार को केसीआर सरकार से अधिक धन मिल सकता है।” कई किसान ये भी कह रहे हैं कि कांग्रेस अपने वादों को पूरा करने में खरी उतरी है, जबकि केसीआर अभी तक अपने कई वादे पूरे करने में विफल रहे हैं।