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जी-20 के शिखर सम्मेलन की शुरुआत होने से पहले ही रूस पर राजनीति शुरू हो गई है। यूरोपीय यूनियन के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने रूस पर हमला बोला है और कहा, “यह जी 20 बैठक रूसी व्यवहार के बारे में स्पष्टता लाने का एक और अवसर है। यूक्रेन के खिलाफ इस युद्ध को शुरू करके और काला सागर को युद्ध के मैदान में बदलकर, रूस फिर से विकासशील देशों के खिलाफ एक मिसाइल दाग रहा है…”
बता दें कि यूरोपीय यूनियन यूक्रेन पर रूस के हमलों का विरोध करता रहा है और यूक्रेन पर युद्ध थोपने के बाद कई तरह के प्रतिबंध रूस पर लगा चुका है। यूक्रेन संकट के बाद अक्सर बंटे रहने वाले यूरोपीय संघ में एक अभूतपूर्व क़िस्म की एकता देखने को मिली है। सदस्य देशों ने न केवल यूक्रेन को आर्थिक और सैन्य सहायता मुहैया कराई है, बल्कि रूस पर दीर्घकालिक प्रतिबंध भी लगाए हैं और अपने रक्षा तंत्र को मज़बूत किया है। यूरोपीय यूनियन ने लाखों यूक्रेनी शरणार्थियों के लिए भी अपने द्वार खोले हैं। यूक्रेन युद्ध के बीच यूरोप ने खुद को रणनीतिक रूप से पुनर्गठित किया है, लेकिन सुरक्षा के लिए अमेरिका और ऊर्जा संसाधनों के लिए रूस पर उसकी निर्भरता ने उसे परेशान भी किया है।
यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल 9 से 10 सितंबर को नई दिल्ली में होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए गुरुवार को नई दिल्ली पहुंचे थे। इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने उनका स्वागत किया था।
दुनियाभर के देशों में सुरक्षा, समृद्धि और सतत विकास सुनिश्चित करने में भारत और यूरोपीय संघ के साझा हित रहे हैं। भारत और यूरोपीय संघ दोनों सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा और पेरिस समझौते के अनुरूप एक सुरक्षित, हरित, स्वच्छ, डिजिटल, अधिक लचीला और स्थिर दुनिया में संयुक्त रूप से योगदान देने के लिए नए तालमेल को बढ़ावा देने पर सहमत हुए हैं।
यूरोपीय संघ भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार (अमेरिका के बाद) और भारत का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात बाजार है। भारत यूरोपीय संघ का 10वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, जिसका यूरोपीय संघ के कुल माल व्यापार में 2 प्रतिशत योगदान है। यूरोपीय संघ और भारत के बीच सेवाओं का व्यापार 2021 में 40 बिलियन यूरो तक पहुंच गया था।