Wednesday, November 6, 2024
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जेनेरिक दवाएं क्या हैं, क्यों काफी सस्ती होती हैं, कहां से खरीद सकते हैं?


हाइलाइट्स

गंभीर से गंभीर बीमारी का इलाज जेनेरिक दवाइयों से करने पर काफी सस्‍ता पड़ता है.
जेनेरिक दवाइयों की सीधे मैन्‍युफैक्‍चरिंग होती है क्‍योंक‍ि इनके ट्रायल्‍स हो चुके होते हैं.
जेनेरिक दवाइयां प्रचार पर किसी तरह का खर्चा नहीं होने के कारण भी सस्‍ती होती हैं.

Cheap Generic Drugs: कभी भी बीमार पड़ना दो तरह से असर डालता है. पहला, आपकी सेहत को खतरा रहता है. दूसरा, इलाज में इस्‍तेमाल होने वाली दवाइयां बहुत महंगी होने के कारण आपकी जेब बुरी तरह से कटती है. ज्‍यादातर लोग आरोप लगाते हैं कि डॉक्‍टरों और कंपनियों की मिलीभगत के कारण मरीजों को ब्रांडेड दवाइयां ही प्रिस्‍क्राइव की जाती हैं. महंगी ब्रांडेड दवाइयां लिखने पर डॉक्‍टरों को मोटे कमीशन के साथ ही विदेश के टूर, गिफ्ट समेत कई तरह से फायदा होता है. मरीजों को इससे छुटकारा दिलाने के लिए केंद्र सरकार लगातार जेनेरिक दवाइयों के इस्‍तेमाल पर जोर दे रही है.

कोरोना महामारी, वायरल इंफेक्‍शन समेत कई नई बीमारियों ने लोगों को काफी डरा दिया है. वहीं, बदली हुई दिनचर्या और नई-नई बीमारियों के कारण दवाइयां हर परिवार का अहम हिस्सा बन गई हैं. हर परिवार में कम से कम एक व्यक्ति रोजाना दवाइयों का सेवन करता है. वहीं, अगर परिवार के किसी सदस्‍य को गंभीर बीमारी हो जाए तो पूरे घर का बजट बिगड़ जाता है क्‍योंकि आमदनी का बड़ा हिस्‍सा दवाइयों पर ही खर्च हो जाता है. ऐसे में सस्‍ती जेनेरिक दवाइयों को लेकर लोग काफी जागरूक हो रहे हैं. हम बता रहे हैं कि ब्रांडेड और जेनरिक दवाइयों में क्या अंतर है? जेनेरिक दवाइयां सस्ती क्‍यों होती हैं और इन्‍हें कहां से खरीदा जा सकता है?

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जेनेरिक-ब्रांडेड दवा में क्‍या अंतर होता है?
सबसे पहले जानते हैं कि जेनेरिक दवाइयां क्‍या होती हैं? ड्रग्‍स प्रोडक्‍शन कंपनियां बीमारियों के इलाज के लिए किए गए शोध के आधार पर सॉल्‍ट बनाते हैं. इसे गोली, कैप्‍सूल या दूसरी दवाइयों में तब्‍दील कर दिया जाता है. एक ही सॉल्‍ट को अलग-अलग कंपनियां अलग नाम से और अलग कीमत पर बेचती हैं. साल्ट का जेनेरिक नाम कंपोजिशन और बीमारी को ध्यान में रखते हुए एक विशेष समिति तय करती है. किसी भी सॉल्‍ट का जेनेरिक नाम पूरी दुनिया में एक ही होता है. ऐसे में जेनेरिक दवा लेने पर डॉक्टर का लिखा सॉल्‍ट आपको बहुत कम कीमत पर मिल सकता है. बता दें कि महंगी ब्रांडेड दवा और उसी साल्ट की जेनेरिक मेडिसिन की कीमत में पांच से दस गुना का अंतर हो सकता है. कई बार कीमतों में 90 फीसदी तक का फर्क भी हो सकता है.

महंगी ब्रांडेड दवा और उसी साल्ट की जेनेरिक मेडिसिन की कीमत में पांच से दस गुना का अंतर हो सकता है.

अलग-अलग कैमिकल मिलाकर एक फॉर्मूला पर दवाई बनाई जाती है. उदाहरण के लिए बुखार को ठीक करने के लिए इस्तेमाल होने वाले पदार्थों से दवाई बना ली जाती है. अगर कोई बड़ी कंपनी ये दवाई बनाती है तो यह ब्रांडेड बन जाती है. हालांकि, यह उस दवाई को दिया कंपनी का नाम होता है. इसमें इस्‍तेमाल पदार्थों को आप दवाई के रैपर पर कंपनी के नाम के ऊपर देख सकते हैं. वहीं, जब इन्‍हीं पदार्थों को मिलाकर कोई छोटी कंपनी दवाई बनाती है तो बाजार में इसे जेनेरिक दवाई कहते हैं. इन दोनों दवाइयों के असर में कोई अंतर नहीं होता है. अंतर सिर्फ नाम और ब्रांड का होता है. विशेषज्ञों का कहना है कि दवाइयां सॉल्‍ट और मॉलिक्‍यूल्‍स से बनती हैं. इसलिए दवा खरीदते समय सॉल्‍ट पर ध्‍यान देना चाहिए, ब्रांड या कंपनी पर नहीं.

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क्‍या कम होती है जेनेरिक दवा की गुणवत्‍ता?
जेनेरिक दवा के फॉर्मूला पर पेटेंट होता है, लेकिन उसके मैटिरियल का पेटेंट नहीं किया जा सकता है. अंतरराष्‍ट्रीय मानकों पर बनी जेनेरिक दवाइयों की गुणवत्‍ता ब्रांडेड दवाइयों से कम नहीं होती है. इनका असर भी ब्रांडेड दवाइयों के समान ही होता है. जेनेरिक दवाओं की डोज और साइड इफेक्ट ब्रांडेड दवाइयों जैसे ही होते हैं. जैसे ब्लड कैंसर के लिए ‘ग्लाईकेव’ ब्रांड की दवा की कीमत महीनेभर में 1,14,400 रुपये होगी. वहीं, दूसरे ब्रांड की’वीनेट’ दवा का महीने भर का खर्च मात्र 11,400 से भी कम आएगा.

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इतनी सस्‍ती क्‍यों होती हैं जेनेरिक दवाइयां?
पेटेंट ब्रांडेड दवाइयों की कीमत कंपनियां खुद तय करती हैं. दरअसल, रिसर्च, डेवलपमेंट, मार्केटिंग, प्रचार और ब्रांडिंग पर बड़ी लागत आती है. जेनेरिक दवाइयों को बनाने के लिए डेवलपर्स के पेटेंट की अवधि खत्‍म होने का इंतजार किया जाता है. इसके बाद उनके फार्मूला और सॉल्ट का इस्‍तेमाल करके जेनेरिक दवाइयां बनाई जाती हैं. जेनेरिक दवाइयों की सीधे मैन्युफैक्चरिंग होती है. इनके ट्रायल्‍स पहले ही हो चुके होते हैं. इसमें कंपनियों के पास एक फॉर्मूला होता है और इनसे दवाइयां बनाई जाती है. इसके अलावा जेनेरिक दवाइयों की कीमत सरकार के हस्तक्षेप से तय की जाती हैं. इन दवाओं के प्रचार पर कुछ खर्च नहीं किया जाता है.

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जेनेरिक दवाइयों की सीधे मैन्युफैक्चरिंग होती है. इनके ट्रायल्‍स पहले ही हो चुके होते हैं.

कहां से खरीद सकते हैं जेनेरिक दवाइयां?
आप अपने नजदीकी मेडिकल स्‍टोर्स से जेनेरिक दवाइयों की मांग कर सकते हैं. हेल्थकार्ट प्लस और फारमा जन समाधान वेबसाइट्स के जरिये आप सस्ती जेनेरिक दवाइयां खरीद सकते हैं. एक और वेबसाइट जेनिरिकवाला.कॉम पर भी जेनेरिक दवाएं मिलती हैं. इसके अलावा जन औषधि केंद्र से भी आप जेनेरिक दवाइयां खरीद सकते हैं. विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन का कहना है कि अगर डॉक्टर्स मरीजों को जेनेरिक दवाइयां प्रिस्क्राइब करें तो विकसित देशों में स्वास्‍थ्‍य खर्च 70 फीसदी और विकासशील देशों में 90 फीसदी तक कम हो सकता है. दुनियाभर में जिस लाइसेंस के तहत दवाइयां बनती हैं, उसमें इनकी कीमतों पर नियंत्रण रखने का प्रावधान है.

Tags: Cancer, Free Treatment, Generic medicines, Health News, Latest Medical news



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