नई दिल्ली. देश में फल-सब्जियों की महंगाई सातवें आसमान पर है. टमाटर के दाम 100 रुपये प्रति किलो से अधिक हैं. अन्य सब्जियों की कीमतों में भी आग लगी हुई है. इसी बीच एक ऐसी खबर आई है जो एक गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार को परेशान कर सकती है. फल-सब्जियों से जुड़े व्यापारियों की माने तो अक्टूबर तक कीमतों में राहत मिलने की उम्मीद नहीं है. सब्जियों की कीमतों की समग्र उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में 6% की हिस्सेदारी है. आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि जून में यह सात महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया. यह महीने-दर-महीने 12% की दर से बढ़ रहा है.
किसानों का कहना है कि इस साल अनियमित मानसून के चलते समय रहते नई फसल की बुआई नहीं हो पाई है. साथ ही मौजूदा फसल को भी नुकसान पहुंचा है. फल-सब्जियों के व्यापारियों की माने तो देश में मानसून के कारण सप्लाई चेन काफी टाइट है, जिसके चलते डिमांड की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. कीमतें आमतौर पर अगस्त से कम हो जाती हैं. अगस्त से नई फसल मार्केट में पहुंच जाती है लेकिन ट्रेडर्स का मानना है कि आपूर्ति बेहद टाइट रहने के कारण इस साल अक्टूबर तक यह ऊंची ही रहेगी.
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‘आपूर्ति सामान्य का केवल 30 प्रतिशत’
एनडीटीवी से बातचीत के दौरान मुंबई के सब्जी व्यापारी अनिल पाटिल ने कहा, ‘मानसून सब्जी आपूर्ति की पूरी चेन को बाधित कर रहा है. इस साल हम लंबे समय तक सब्जियों की ऊंची कीमतें देखने जा रहे हैं’ प्याज, बीन्स, गाजर, अदरक, मिर्च और टमाटर जैसे महंगे खाद्य पदार्थ की ऊंची कीमतों के चलते खुदरा मुद्रास्फीति के बढ़ने की संभावना है. श्रीनाथ गौड़ा नामक एक अन्य किसान ने बताया कि उपज के मुकाबले आपूर्ति सामान्य का केवल 30% है.
असमान्य मानसून ने बढ़ाई चिंता
मौसम विभाग की माने तो मानसून के चलते अन्य फसले भी प्रभावित हुई हैं. सब्जियों का उत्पादन करने वाले उत्तरी और पश्चिमी राज्यों में सामान्य से 90 प्रतिशत तक अधिक बारिश हुई है जबकि दक्षिणी-पूर्वी और दक्षिणी राज्यों में 47 प्रतिशत कम बारिश हुई. इसके चलते भी फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है.
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Tags: Inflation, Monsoon, Vegetable prices
FIRST PUBLISHED : July 28, 2023, 14:18 IST