जोशीमठ (Joshimath) में भूमिगत जल के रिसाव में एक बार फिर भी से बढ़ोत्तरी हुई है। पानी रिसाव में एकाएक इजाफा होने से स्थानीय निवासी एक बार फिर खौफजदा हो गए हैं। हालांकि, पुलिस-प्रशासन का दावा है कि किसी भी आपात स्थित से निपटने को पूरी तैयारी है। भूमिगत जल रिसाव बढ़ने से एक बार फिर लोगों को घरों में दरारें पड़ने का डर सताने लगा है।
जोशीमठ में भूमिगत जल के रिसाव में एकाएक 50 एलपीएम की बढोत्तरी हो गई। जेपी कालोनी स्थित इस स्रोत में इस वक्त 240 एलपीएम पानी निकल रहा है। बीते रोज तक यह मात्रा 190 एलपीएम थी। जल रिसास में बढोत्तरी से प्रशासनिक मशीनरी के माथे पर गहरे बल है। आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा का कहना है कि बहुत मुमकिन है कि बारिश की वजह से जल रिसास में इजाफा हुआ हो।
बहरहाल, वैज्ञानिकों की टीम इसका अध्ययन कर रही है। रविवार को डॉ. सिन्हा खुद भी अधिकारियों और वैज्ञानिकों के दल के साथ जोशीमठ जा रहे हैं। शनिवार को सचिवालय मीडिया सेंटर में प्रेस कांफ्रेस में डॉ. सिन्हा ने जोशीमठ में जारी राहत-बचाव कार्यों की विस्तार से जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में दरारयुक्त भवन की संख्या 783 हो चुकी है। इनमें 148 भवन आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में स्थित है। भूधंसाव से प्रभावित क्षेत्रों से अब तक 223 परिवारों के 754 लोगों को सुरक्षित राहत कैंपों में शिफ्ट कर दिया गया है। हालांकि, भूमिगत जल बढ़ने से स्थानीय निवासियों की चिंताएं एक बार फिर बढ़ गईं हैं।
चिंता का सबब बना हुआ है जल रिसाव
जल रिसाव शुरू से ही वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। दो जनवरी से कुछ दिन तक इससे काफी मात्रा में जल रिवास होता रहा है। इस दौरान 540 एलपीएम तक था। लेकिन कुछ समय बाद इसमें गिरावट आनी शुरू हो गई। 12 जनवरी तक जल रिसाव घटकर 240 एलपीएम तक हो गया। लेकिन अब इसमें दोबारा बढोत्तरी हो गई है।
रोपवे के प्लेटफार्म तक पहुंचीं दरार
करीब सवा चार किमी लंबे जोशीमठ-औली रोपवे के प्लेटफार्म में भी दरारें शुरू हो गई हैं। रोपवे के प्रबंधक दिनेश भट्ट ने बताया कि, प्लेटफार्म की ऊपरी तरफ 20 फीट लंबी एवं तीन इंच तक चौड़ी दरार आ गई है। प्लेटफार्म भवन का फर्श भी धंस गया है। शौचालयों में दरारें आ गई हैं।
जोशीमठ में भूकंप के झटकों ने डराया
भू-धंसाव से प्रभावित जोशीमठ में क्षेत्र में शुक्रवार दोपहर महसूस किए गए भूकंप के हल्के झटकों ने लोगों को डरा दिया। भूकंप की संवेदनशीलता के लिहाज से जोन -5 में आने वाले जोशीमठ क्षेत्र के लोग बेहद डरे हुए हैं।
जोशीमठ में लगे हैं ‘NTPC गो बैक’ के पोस्टर, दरारों के लिए पावर प्रॉजेक्ट पर ठीकरा
जोशीमठ भू-धंसाव ( Joshimath Land Subsidence) की लोगों के घरों में दरारें पड़ गईं हैं। घरों में दरारे पड़ने से लोगों का गुस्सा फूट गया है। आक्रोाशित स्थानीय लोगों ने शहर में बन रहीं जलविद्युत परियोजनाओं (Hydro Power Projects) को दोषी करार दे दिया है। जल विद्युत परियोजनाओं के खिलाफ लोगों का विरोध जारी है, और आक्रोशित लोगों ने जोशीमठ बाजार में ‘एनटीपीसी गो बैक’ (NTPC Go Back) के पर्चे भी चस्पा किए जाने लगे हैं।
700 के पार है दरारग्रस्त भवनों की संख्या
जोशीमठ में अभी तक 782 भवनों की संख्या जिनमें दरारें दृष्टिगत हुई है। उन्होनें जानकारी दी कि गांधीनगर में 01, सिंहधार में 02, मनोहरबाग में 05, सुनील में 07 क्षेत्र / वार्ड असुरक्षित घोषित किए गए हैं। 148 भवन असुरक्षित क्षेत्र में स्थित है। 223 परिवार सुरक्षा के दृष्टिगत अस्थायी रूप से विस्थापित किये गये है। विस्थापित परिवार के सदस्यों की संख्या 754 है।