मुंबई: पहलगाम हमले के बाद देशभर में उबाल है. अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने इस आतंक की मानसिकता पर सीधा हमला बोला है. मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने स्पष्ट कहा, ‘एक सच्चा हिंदू कभी ऐसा कृत्य नहीं कर सकता कि किसी का धर्म पूछकर उसकी हत्या कर दे.’ भागवत ने कहा, ‘धर्म का विकृत रूप लेकर जो लोग इंसानियत का खून करते हैं, वे राक्षस हैं. रावण को मारना पड़ा था ताकि धर्म की स्थापना हो सके. ऐसे राक्षसों से निपटने के लिए आज हमें दुर्गा जैसी शक्ति चाहिए, 18 हाथों वाली ताकत.’
‘संगठन शक्ति’ ही है असली अस्त्र
भागवत ने देशवासियों को याद दिलाया कि 1962 की लड़ाई ने भारत को सिखा दिया कि आत्ममुग्धता में रहकर युद्ध नहीं लड़े जा सकते. अब समय आ गया है जब हम हर मोर्चे पर सजग, संगठित और कठोर बनें. उन्होंने कहा, ‘हम न सिर्फ आहत हैं, बल्कि क्रोधित हैं. और इस गुस्से का जवाब आतंक के समर्थकों को मिलेगा, पूरी ताकत से.’ उन्होंने जोर देकर कहा कि जो आतंकवादी ‘धर्म के नाम पर नरसंहार’ करते हैं, उन्हें अब ‘रावण’ की तरह मार गिराना ही एकमात्र रास्ता है.
‘डेमोग्राफिक वॉरफेयर’ को पहचानने की जरूरत
भागवत ने यह भी चेताया कि आतंकवाद सिर्फ बंदूक से नहीं आता. डेमोग्राफिक बदलाव भी एक तरह का साइलेंट वॉर है, जिसे अब हिंदू समाज को समझना होगा. उन्होंने कहा, ‘भारत का भविष्य सुरक्षित तभी रहेगा जब हम जनसंख्या संतुलन और सांस्कृतिक पहचान को बचाकर रखेंगे. कुछ तत्व इस देश की मूल आत्मा को ही बदलना चाहते हैं, लेकिन हम इसे होने नहीं देंगे.’
‘अगर एकजुट रहेंगे, तो किसी की हिम्मत नहीं हमें आंख दिखाने की’
भागवत ने कहा कि पहलगाम हमले के बाद देशभर में जो एकजुटता दिख रही है, वह ‘संगठन शक्ति’ का प्रमाण है. उन्होंने कहा, ‘धर्म, जाति, भाषा से ऊपर उठकर आज पूरा देश इस बर्बरता के खिलाफ खड़ा है. अगर हम इसी तरह संगठित रहें, तो कोई हमारी तरफ आंख उठाकर भी नहीं देख पाएगा और जो देखेगा, उसकी आंखें निकाल दी जाएंगी.’
कार्यक्रम में मौजूद उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला को लता मंगेशकर पुरस्कार प्रदान करते हुए भागवत ने ‘हिंदू धर्म को मानवता का धर्म’ बताया. उन्होंने कहा, ‘आज दुनिया में एक ही धर्म है इंसानियत. और यही हिंदू धर्म की असल आत्मा है.’