Tuesday, February 4, 2025
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ज्ञानवापी की एएसआई रिपोर्ट को बीएचयू के एक्सपर्ट ने सही ठहराया, मुस्लिम पक्ष मानने को तैयार नहीं 


नई दिल्ली:

वाराणसी में ज्ञानवापी में हुए एएसआई सर्वे की रिपोर्ट जैसे वादी प्रतिवादी को मिली उसके बाद इस रिपोर्ट ने ये साफ कर दिया की ज्ञानवापी में हिन्दू मंदिर को तोड़कर दूसरी इमारत बनाई गई और एएसआई के इस रिपोर्ट पर बीएचयू के एएसआई एक्सपर्ट भी मुहर लगा  रहे है. दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष इस रिपोर्ट को मानने को तैयार नहीं है मुस्लिम पक्ष तो यहां तक कहता है की वाजूखाने का सर्वे तब ही होने देंगे जब हमे फवारा चालू करने का परमिशन कोर्ट देगा. एएसआई ने जिस तरह से रिपोर्ट्स सौंपी है उसमें यह साफ हो गया है कि वाराणसी के ज्ञानवापी में हिंदू मंदिर को तोड़कर ही दूसरा ढांचा बनाया गया बीएचयू एएसआई के एक्सपर्ट भी इस चीज को मानते हैं की एएसआई की रिपोर्ट बिल्कुल सही है और किस तरीके से एएसआई ने इसे पुष्ट किया है इसकी जानकारी भी बीएचयू के एक्सपर्ट दे रहे हैं.

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एएसआई ने जी पी आर तकनीक से पूरे ज्ञानवापी में सर्वे किया है जिसमे हिन्दू मंदिरो के साक्ष्य साफ – साफ मौजूद है बीएचयू के एक्सपर्ट बताते हैं कि जब इस पूरे इलाके में उत्खनन होगा तो यह मंदिर कितना साल पुराना है यह भी स्पष्ट हो जाएगा और इसके साथ ही और भी बाकी सारी चीज जो हिंदू धर्म से जो नाता रखती है वह सामने आएंगे…..

दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष एएसआई के रिपोर्ट को मानने को तैयार नहीं है वाराणसी में अंजुमन इंतजाम या कमेटी के जॉइंट सेक्रेटरी मोहम्मद सैयद यासीन कहते हैं कि हम एएसआई के इस रिपोर्ट को नहीं मानते और जिस जगह की बात हो रही है एक समय पर वहां बैरिकेडिंग नहीं थी और हिंदू देवी देवता के मूर्ति बनाने वाले आसपास रहते थे और खंडित मूर्तियों को वहां फेंका करते थे और एएसआई ने अब उन्हें के आधार पर रिपोर्ट दिया है इसके साथ ही वह यह भी कहते हैं की जो वजू खाना है वहां पर फवारा है और हम वजू खान की सर्वे चाहते हैं पर यह भी चाहते हैं कि कोर्ट उससे पहले हमें फवारा चलाने की अनुमति दे और यह दोनों काम एक ही साथ हो….. मुस्लिम पक्ष का साफ मानना है कि वह एएसआई के रिपोर्ट को पूरी तरह पढ़े नहीं है और जल्दी इसकी आपत्ति पूरी रिपोर्ट पढ़ने के बाद कोर्ट में दाखिल करेंगे…..

मुस्लिम पक्ष यह भी कहता है कि ज्ञानवापी पर मजार भी है और यह मजार काफी पुरानी है हालांकि इसका इतिहास वह अभी बात नहीं पाते पर इतना जरूर कहते हैं कि जिस तरह से ऐसा ही पूरे को मंदिर परिसर कह रही है उसे वह सहमत नहीं है.

 

 



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