Gyanvapi Case: ज्ञानवापी स्थित व्यासजी (दक्षिणी) के तहखाने में पूजा की अनुमति देने के जिला जज वाराणसी के आदेश पर इलाहाबाद हाईकोर्ट से अंजुमन इंतिजामिया मसाजिद को फिलहाल कोई राहत नहीं मिली। इस बीच शुक्रवार को दक्षिणी तहखाने के ऊपर नमाजियों ने दुआख्वानी की तो ठीक नीचे मूर्तियों के दर्शन-पूजन के लिए कतार लगी रही। पूजा की अनुमति के खिलाफ वाराणसी के मुस्लिम बाहुल्य इलाके बंद रहे। इससे करीब 50 करोड़ रुपए का व्यवसाय प्रभावित होने का अनुमान है। बुनकरों के भी बंद में शामिल हो जाने से साड़ी बुनाई आदि का काम भी बाधित हुआ।
बंदी से दालमंडी, नई सड़क, बेनिया, सराय हड़हा, पीलीकोठी के आम लोग और व्यापारी सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। इनन इलाकों में कपड़े, कास्मेटिक, आर्टिफिशियल ज्वेलरी, क्रॉकरी, चप्पल-जूता आदि की दुकानें हैं। शुक्रवार को दालमंडी में अनेक लोग सामान खरीदने पहुंचे थे लेकिन बंदी देख लौट गए। सराय हड़हा में बाहर से आने वाले व्यापारी भी लौट गए। इस दौरान पुलिस सुबह लोगों से दुकान खोलने की अपील कर रही थी लेकिन लोग अपने फैसले पर अड़े रहे।
नई सड़क कपड़ा मार्केट व्यापार मंडल के पूर्व उपाध्यक्ष सरफराज अहमद ने बताया कि दालमंडी, नई सड़क, सराय हड़हा में करीब दो हजार दुकानें है। सराय हड़हा में थोक बाजार है। यहां हर रोज करीब 15 करोड़ रुपये का कारोबार होता है। वहीं कपड़े की 482 दुकानें है। उनसे करीब एक करोड़ का कारोबार है। इसके साथ ही दालमंडी में कास्मेटिक, आर्टिफिशियल ज्वेलरी, साड़ी, नकाब आदि का करीब पांच करोड़ रुपयों का कारोबार है। ऐसे में सिर्फ तीन इलाके में ही करीब 21 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हुआ है। सराय हड़हा के कास्मेटिक व्यापारी मिनहाज उस्मानी ने बताया कि पूरे शहर में करीब 50 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हुआ है।
नहीं हुई साड़ी की बुनाई
सरैयां, ककरमत्ता, जैतपुरा, बजरडीहा, बड़ी बाजार, कच्चीबाग, पीलीकोठी, मदनपुरा आदि इलाकों के बुनकरों ने मुर्री भी बंद रखा था। हालांकि कच्ची बाग, बड़ी बाजार में एक दो जगह लूम चल रहे थे। मुर्री बंद होने के कारण साड़ी की बुनाई नहीं हो सकी। बुनकरों ने अपने-अपने इलाके के मस्जिदों में दुआख्वानी की।
दुकानें बंद कर बाहर बैठे रहे व्यवसायी
मदनपुरा, रेवड़ी तालाब, बजरडीहा, दालमंडी सहित अन्य इलाके में दुकान बंदकर व्यापारी बाहर बैठे रहे। वे लोग ज्ञानवापी के बारे में चर्चा कर रहे थे। वहीं लोहता के मीना बाजार और बड़ी बाजार में ज्यादातर दुकानें बंद थी। इक्का-दुक्का दुकानें खुली थीं।
ऊपर जुमे की नमाज, नीचे चला दर्शन-पूजन
‘बुतखाना नया है न खुदाखाना नया है, जज्बा है अकीदत और श्रद्धा का जो रोजाना नया है…’-यह लाइन मशहूर शायर नजीर बनारसी की हैं। उसका मतलब शुक्रवार को ज्ञानवापी में देखने को मिला। जहां दक्षिणी तहखाने के ऊपर नमाजी दुआख्वानी कर रहे थे, वहीं ठीक नीचे मूर्तियों के दर्शन-पूजन के लिए कतार लगी थी। थोड़ा-बहुत तनाव था लेकिन अकीदत व आस्था से कोसों दूर।
शुक्रवार को दूसरे दिन भी तहखाने में दर्शन-पूजन के लिए कतार लगी थी। विश्वनाथ मंदिर के उत्तरी गेट से आने वाले श्रद्धालुओं को दर्शन-पूजन के लिए भेजा जा रहा था। दर्शनार्थी ज्ञानवापी व विश्वनाथ धाम के बीच गलियारे से निकल रहे थे। हर कोई तहखाने की झलक पाने और मूर्तियों के दर्शन को आतुर था।
एक लाख से अधिक भक्त पहुंचे
मंदिर प्रशासन के मुताबिक शुक्रवार को विश्वनाथ मंदिर में एक लाख से अधिक भक्तों ने दर्शन-पूजन किया। उनमें से आधे से अधिक तहखाने में दर्शन के लिए उत्सुक दिखे। ज्ञानवापी में दोपहर करीब सवा बजे से ढाई बजे तक चली नमाज के दौरान अचानक भीड़ लग गई थी। नमाजी भी दक्षिणी तहखाने की ओर बार-बार जाना चाह रहे थे। उनमें युवाओं की संख्या अधिक थी।