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वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वे को लेकर मुस्लिम पक्ष को एक बार फिर झटका लगा है। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने शुक्रवार को वुजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी के सम्पूर्ण परिसर के एएसआई सर्वे के लिए चार हफ्ते का और समय दे दिया है। चार सितम्बर को एएसआई ने अदालत में प्रार्थना पत्र देकर आठ हफ्ते का समय मांगा था। इसका मुस्लिम पक्ष की ओर से अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने विरोध किया था। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आठ की जगह चार हफ्ते का समय देते हुए छह अक्तूबर को सर्वे रिपोर्ट मांगी है।
जिला जज के आदेश पर ही गत पांच अगस्त से ज्ञानवापी परिसर में एएसआई का वैज्ञानिक सर्वेक्षण चल रहा है। अदालत में दो सितम्बर को सर्वे रिपोर्ट सौंपनी थी। उस दिन जिला जज के अवकाश पर होने के कारण प्रभारी जिला जज/एडीजे प्रथम संजीव सिन्हा की अदालत में एएसआई ने सर्वे के लिए आठ हफ्ते का अतिरिक्त समय मांगा था। अदालत ने एएसआई को जिला जज के समक्ष प्रार्थनापत्र पेश करने के लिए आदेश दिया। जिला जज के सामने चार सितम्बर को पत्रावली पेश की गई। उन्होंने सुनवाई आठ सितम्बर को नियत की थी।
अधिक मलबा होने से लग रहा समय
शुक्रवार को दोपहर ढाई बजे से सुनवाई प्रारम्भ हुई तो एएसआई के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि न्यायालय के आदेश पर पूरे परिसर का बिना खुदाई किए सर्वेक्षण किया जा रहा है। काफी बारीकी से साक्ष्यों व मौजूद ढांचे का अध्ययन हो रहा है। सभी तहखानों की जांच के लिए मलबा हटाया जा रहा है। मलबा अधिक होने से सर्वेक्षण में काफी समय लग रहा है। इसलिए सर्वे पूरा करने के लिए कम से कम आठ हफ्ते का समय दिया जाए।
तहखाने में खोदाई कर हो रहा सर्वे : अंजुमन
अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से अधिवक्ता मो. रईस व मुमताज ने आपत्ति की कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में एएसआई ने अपने शपथ पत्र में सिर्फ वैज्ञानिक तरीके से सर्वे की बात कही है। एएसआई खुद कह रहा है कि मलबा व कचरा वगैरह को हटाकर सर्वे हो रहा है। सिर्फ वैज्ञानिक पद्धति व जीपीआर विधि से सर्वे के लिए आदेशित किया गया है। लेकिन एएसआई तहखाना व अलग-अलग जगहों पर खोदाई कर सर्वे कर रहा है। यह न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है। अधिवक्ता ने कहा कि एएसआई सर्वे की कार्यवाही को विलम्बित करने के उद्देश्य से अतिरिक्त समय मांग रहा है, जिसे निरस्त किया जाना चाहिए।
सर्वे जल्दबाजी में पूरा नहीं हो सकता : जिला जज
जिला जज ने अपने सात पेज के आदेश में कहा है कि सर्वे का कार्य जल्दबाजी में पूरा नहीं किया जा सकता है। भवन के वैज्ञानिक अन्वेषण, सर्वे और फोटोग्राफी आदि तैयार करने में समय लगता है। इसलिए एएसआई को वर्तमान ढांचे को कोई नुकसान पहुंचाए बिना सर्वे के लिए केवल चार हफ्ते का समय दिया जाएगा। इस अवधि के भीतर एएसआई सर्वे और वैज्ञानिक अन्वेषण कार्य पूरा करने का प्रयास करेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि एएसआई की ओर से हाईकोर्ट में जो शपथपत्र दाखिल किया गया है, उसका भी कड़ाई से अनुपालन किया जाए।
यह है प्रकरण
जिला जज की अदालत ने बीते 21 जुलाई को चार अगस्त तक वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया था। एएसआई ने 24 जुलाई को सर्वे शुरू कर दिया, लेकिन पांच घंटे तक सर्वेक्षण के बाद प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने 26 जुलाई तक सर्वेक्षण पर रोक लगा दी। हालांकि मामला उच्चतम न्यायालय से इलाहाबाद उच्च न्यायालय तक पहुंचा। दोबारा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। तीन अगस्त को सुप्रीम से राहत नहीं मिली। चूंकि चार अगस्त को जिला जज की अदालत में सर्वेक्षण रिपोर्ट देनी थी। इसलिए एएसआई ने उसी दिन कोर्ट से चार सप्ताह का और समय मांगा। तब अदालत ने दो सितम्बर तक सर्वे की मोहलत दी थी।