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Relationship, रिश्तों में झगड़े होना सामान्य है. चाहे वह जीवनसाथी हो, दोस्त, परिवार या साथी कर्मचारी हर रिश्ता कभी न कभी किसी न किसी कारण से तनाव में आ जाता है. लेकिन अक्सर झगड़े के बाद एक और समस्या खड़ी हो जाती है. कौन पहले बात करे? दोनों पक्ष अपने-अपने ईगो में उलझे रहते हैं, और कई बार छोटी-सी अनबन लंबे समय तक रिश्ते में दूरी का कारण बन जाती है. पर अगर हम समझें कि झगड़े का असली उद्देश्य समाधान ढूंढना होता है, तो पैचअप करना भी आसान हो जाता है.
क्यों होता है झगड़े के बाद चुप्पी?
जब झगड़ा होता है, तो भावनाएं बहुत तीव्र हो जाती हैं, गुस्सा, दुख, अपमान और असहायता. उस समय अक्सर लोग खुद को सही मानते हैं और सामने वाले को गलत साबित करने की कोशिश करते हैं. इसके बाद जब मन थोड़ा शांत होता है, तो दोनों ही पक्ष एक-दूसरे से उम्मीद करते हैं कि वो पहले बात करे. लेकिन जब दोनों इंतज़ार करते रहते हैं, तो संवाद पूरी तरह रुक जाता है.
झगड़े के बाद पहला कदम क्यों ज़रूरी है?
किसी भी रिश्ते को मजबूत बनाए रखने के लिए संवाद बहुत आवश्यक होता है. झगड़े के बाद पहला कदम बढ़ाना यह दर्शाता है कि आप उस रिश्ते को बचाना और निभाना चाहते हैं. यह कमजोरी नहीं बल्कि समझदारी और भावनात्मक परिपक्वता का संकेत है. अगर आप झुककर बात की शुरुआत करते हैं, तो जरूरी नहीं कि आप गलत हैं, बल्कि इसका मतलब है कि आपके लिए रिश्ता अहम है.
कैसे करें झगड़े के बाद पैचअप?
थोड़ा समय दें: झगड़े के तुरंत बाद बात करने से समस्या और बढ़ सकती है. जब गुस्सा शांत हो जाए और सोचने-समझने की स्थिति बने, तभी बात करें.
मुलाकात या कॉल करें: टेक्स्ट मैसेज से भावनाएं ठीक से व्यक्त नहीं हो पातीं. बेहतर है कि फोन या आमने-सामने बात करें.
इगो छोड़ें: ‘मैं ही क्यों पहल करूं?’ वाली सोच छोड़ें. अगर आप चाहते हैं कि रिश्ता आगे बढ़े, तो पहल जरूरी है.
माफ़ी मांगना सीखें: अगर आपकी कोई गलती है, तो उसे स्वीकार करें. ‘सॉरी’ कहना बहुत बड़ी बात नहीं होती, लेकिन इसका असर गहरा होता है.
सुनें भी, सिर्फ बोलें नहीं: पैचअप करते समय सामने वाले की बात ध्यान से सुनें. सिर्फ अपना पक्ष रखने से समाधान नहीं निकलता.
आगे की रणनीति बनाएं: यह सोचें कि अगली बार ऐसा न हो, इसके लिए आप दोनों क्या कर सकते हैं.
झगड़ा होना बुरा नहीं, लेकिन उसे संभालना आना चाहिए. झगड़े के बाद संवाद बंद न करें, बल्कि उसे सुधार का मौका समझें. अगर आप सच में किसी को खोना नहीं चाहते, तो पहला कदम बढ़ाने में हिचकिचाएं नहीं. आखिरकार, रिश्तों को बनाए रखने के लिए सिर्फ प्यार नहीं, समझदारी भी जरूरी होती है.
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