हाइलाइट्स
टाइप 1 डायबिटीज हो जाए तो हार्ट के आसपास की खून की नलियां और धमनियों में कई तरह की दिक्कतें आने लगती है
टाइप 1 डायबिटीज में रोजाना इंसुलिन लेना पड़ता है. आमतौर पर यह किशोरों में होता है
Type 1 diabetes mediceine: टाइप-1 डाइबिटीज लाइफस्टाइल से संबंधित नहीं है बल्कि यह पैनक्रियाज की गड़बड़ी से होता है जो अचानक हो जाता है. आमतौर पर यह किशोर उम्र में होता है. इसमें पैनक्रियाज से या तो इंसुलिन बनता ही नहीं है या बनता भी तो इतना कम बनता है कि यह ग्लूकोज का अवशोषण नहीं कर पाता है. इसलिए टाइप 1 डायबिटीज में रोजाना इंसुलिन लेना पड़ता है. किशोरों के लिए यह बहुत ही खतरनाक स्थिति है. क्योंकि अब तक इस बात का पता नहीं चल सका है कि किशोरों में अचानक ऐसा क्यों हो जाता है और इसका आज तक कोई फूलप्रूव इलाज भी नहीं है. इंसुलिन इंजेक्शन के सिवा इसका कोई विकल्प नहीं है. पर अब एक नए अध्ययन में पाया है कि पर्किंसन की दवा टाइप 1 डायबिटीज की बीमारी में कारगर हो सकती है. अध्ययन में पाया गया है कि पर्किंसन की दवा टाइप 1 से पीड़ित लोगों को हार्ट डिजीज के कारण होने वाली मौतों से जरूर बचा सकती है.
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बीपी और धमनियों की स्टीफनेस कम हो जाती है
ग्लोबल डायबेटिक कम्युनिटी की वेबसाइट के मुताबिक जो लोग टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित हैं उनमें हार्ट डिजीज होने का खतरा ज्यादा रहता है. बच्चों में यह खतरा और ज्यादा रहता है. टाइप 1 डायबिटीज के बाद हार्ट डिजीज होने से मौत का जोखिम बढ़ जाता है. इस लिहाज से देखा जाए तो यह अध्ययन उन किशोरों को लिए जीवन देने वाला साबित हो सकता है जिनकी टाइप 1 डायबिटीज के बाद हार्ट डिजीज से मौत हो जाती है. शोधकर्ता इस प्रयास में लगे हुए थे कि कैसे टाइप 1 से पीड़ित बच्चों में हार्ट डिजीज के जोखिम को कम किया जाए. अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन जर्नल हाइपरटेंशन में प्रकाशित इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित किशोरों को पर्किंसन की दवा ब्रोमोक्रिप्टीन (bromocriptine) दी गई तो एक महीने बाद उसमें बीपी और धमनियों की स्टीफनेस बहुत कम हो गई. यह दवा टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों को भी दिया जा सकता है.
मरीजों पर सफल ट्रायल
प्रमुख शोधकर्ता और यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो स्कूल ऑफ मेडिसीन के शोधार्थी माइकल स्केफेर ने बताया कि हम यह पहले से जानते थे कि अगर कम उम्र में टाइप 1 डायबिटीज हो जाए तो हार्ट के आसपास की खून की नलियां और धमनियों में कई तरह की दिक्कतें आने लगती है. इसे कम करने लिए हमने ब्रोमोक्रिप्टीन का इस्तेमाल किया. टाइप 1 डायबिटीज का इलाज करा रहे 12 से 21 साल के चार मरीजों पर हमने यह परीक्षण किया. इन लोगों का एचबीए1सी 12 प्रतिशत तक कम था. इसके लिए हमने इनका दो समूह बनाया. एक ग्रुप को ब्रोमोक्रिप्टीन दिया गया जबकि दूसरे ग्रुप को प्लेसिबो दिया गया. अध्ययन के नतीजे चौंकाने वाले थे क्योंकि ब्रोमोक्रिप्टीन का एक महीने तक सेवन करने के बाद बीपी और आर्टरीज में स्टीफनेस में उत्साहजनक सुधार आया. माइकल स्केफेर ने बताया कि बेशक यह बहुत कम लोगों पर किया गया अध्ययन है लेकिन भविष्य में इसका अपेक्षित परिणाम सामने आएगा.
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Tags: Diabetes, Health, Health tips, Lifestyle
FIRST PUBLISHED : December 15, 2022, 06:00 IST