सौरभ वर्मा/रायबरेली: नदी व तालाबों में पाई जाने वाली जलकुंभी जिसे आमतौर पर एक संकट के तौर पर देखा जाता है. रिसर्च में यह पाया गया कि जिस नदी या तालाब में जलकुंभी उग जाता है वहां जलीय जीवों पर संकट या जाता है. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो नदी या तालाब को जलकुंभी निगल जाती है, उस पानी में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और इससे प्रदूषण स्तर बढ़ता जा रहा है. जलीय जीवों के लिए भी यह खतरनाक साबित होता है. भारत में जलकुंभी सबसे पहले बंगाल में लगाई गई थी इसलिए इसे “टेरर ऑफ़ बंगाल” कहा जाता है.
अक्सर आपने तालाब और अन्य पानी वाली जगह पर हरे पत्ते देखे होंगे, जो पानी पर तैरते हुए नजर आते हैं, इसे जलकुंभी कहते हैं. इसके फायदे जानकर आप दंग रह जाएंगे. दरअसल, जलकुंभी के पत्तों में एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण साथ ही इसमें एंटी एजिंग तत्व एवं एंटी कैंसर प्रॉपर्टीके साथ कई अनगिनत पोषक तत्व पाए जाते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं.ऐसा माना जाता है कि इसके सेवन से कई गंभीर बीमारियों जैसे हाई ब्लड प्रेशर, कैंसर, आर्थराइटिस, ब्रोंकाइटिस, डाययूरिसिस, ओडोन्टैल्जिया और स्कर्वी आदि के इलाज में मदद मिल सकती है।
जलकुंभी में काजू, बादाम से भी अधिक पोषक तत्व
रायबरेली के सीएचसी शिवगढ़ की आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. आकांक्षा दीक्षित बताती हैं कि एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर जलकुंभी हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होती है. जलकुंभी में पोटेशियम की मात्रा भी होती है जो हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है. इससे दिल की धड़कन भी सामान्य बनी रहती है. यह ब्लड वेसल्स को हेल्दी रखता हैं. इसमें काजू, बादाम से भी अधिक पोषक तत्व पाए जाते हैं. जलकुंभी एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होती है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होती है.
बैड कोलेस्ट्रॉल करता है कंट्रोल
डॉ. आकांक्षा दीक्षित बताती हैं कि पेट की सेहत के लिए जलकुंभी को अच्छा माना जाता है. डाइजेशन की समस्याओं से जूझ रहे लोगों को जलकुंभी की फलियों का सेवन करना चाहिए. यह जड़ी-बूटी दस्त, और पेट फूलने के इलाज के लिए भी जानी जाती है. साथ ही शरीर में जमे बैड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करती है. अगर आपके गले में खराश, सूजन या किसी तरह के अन्य इंफेक्शन हो गया है आप इसके पत्तों का अर्क इस्तेमाल कर सकते हैं.
शरीर होगा चट्टान सा मजबूत और निरोगी
डॉ. आकांक्षा दीक्षित बताती हैं कि यह सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज के इलाज में भी प्रयोग की जाती है. जलकुंभी के पत्तों में अनगनित पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर में एनर्जी भर सकते हैं और ताकत प्रदान कर सकते हैं. शरीर को चट्टान सा मजबूत और निरोगी बनाने के लिए जलकुंभी का सेवन किया जा सकता है.साथ ही इसकी भस्म बनाकर त्वचा पर लगाई जाए तो त्वचा संबंधी बीमारियों से राहत मिलती है. इसमें एंटी ऑक्सीडेंट गुण होते है जो हमे सूर्य की हानिकारक किरणों से भी बचाने में काफी सहायक होते हैं.
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FIRST PUBLISHED : February 5, 2024, 19:20 IST
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