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Travelling Tips : आजकल लोग घूमने-फिरने के शौकीन हो गए हैं. हर साल लाखों लोग देश से बाहर छुट्टियां मनाने जाते हैं. लेकिन अगर आपकी फ्लाइट कैंसिल हो जाए या एयरपोर्ट पर सामान गुम हो जाए, तो पूरा मजा किरकिरा हो जाता है. ऊपर से अगर होटल पहले ही बुक है या कोई टूर पैकेज ले रखा है, तो जेब पर दोहरी मार पड़ती है. ऐसी ही मुसीबतों से बचाने का काम करता है ट्रैवल इंश्योरेंस.
अगर एयरलाइन की गलती से आपका चेक-इन बैग खो जाता है, चोरी हो जाता है या बहुत देर से आता है, तो ट्रैवल इंश्योरेंस आपकी मदद करता है. इस दौरान जो भी जरूरी चीजें आपको दोबारा खरीदनी पड़ती हैं – जैसे कपड़े, दवाइयां या पर्सनल आइटम – उनका खर्च बीमा कंपनी देती है.
खास बातें जो ध्यान रखें-
कवरेज लिमिट: हर पॉलिसी में एक तय रकम होती है, जैसे 10 हजार से 50 हजार तक.
प्रति चीज की सीमा: हर आइटम के लिए कितना पैसा मिलेगा, इसकी एक अलग लिमिट होती है.
महंगे सामान का एक्स्ट्रा कवर: अगर आप लैपटॉप, मोबाइल या ज्वेलरी का नुकसान कवर करवाना चाहते हैं, तो इसके लिए अलग से कवर जोड़वाना पड़ता है.
सुबूत देना जरूरी: बैग के सामान की लिस्ट, बिल या फोटो क्लेम के लिए जरूरी होते हैं.
अगर किसी वजह से आपकी फ्लाइट कैंसिल हो जाती है, तो ट्रैवल इंश्योरेंस वहां भी मदद करता है. कुछ ऐसी वजहें होती हैं जब बीमा कंपनी क्लेम स्वीकार करती है:
-जब आप या कोई करीबी बीमार हो जाए.
-दुर्घटना हो जाए.
-परिवार में किसी की मौत हो जाए.
-बाढ़, तूफान, भूकंप जैसी परेशानी आ जाए.
-कोई दूसरी अचानक आई मुसीबत.
अगर आपकी फ्लाइट 6 घंटे या उससे ज्यादा लेट होती है और वजह एयरलाइन से जुड़ी होती है – जैसे टेक्निकल खराबी या स्टाफ की हड़ताल तो भी बीमा कंपनी मदद करती है. उस दौरान अगर आपको होटल में रुकना पड़े, खाना-पीना या लोकल ट्रांसपोर्ट का खर्च हो जाए, तो उसका पैसा आपको लौटाया जा सकता है.
ध्यान रखें: हर पॉलिसी में खर्च की एक तय सीमा होती है, इसलिए खरीदने से पहले उसकी शर्तें जरूर पढ़ लें.
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