Home National ट्रेन हादसे के बाद अभी भी लगा है शवों का ढेर, डॉक्टर बोले- ज्यादा देर तक नहीं रख सकते

ट्रेन हादसे के बाद अभी भी लगा है शवों का ढेर, डॉक्टर बोले- ज्यादा देर तक नहीं रख सकते

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ट्रेन हादसे के बाद अभी भी लगा है शवों का ढेर, डॉक्टर बोले- ज्यादा देर तक नहीं रख सकते

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ओडिशा रेल हादसे के बाद अभी भी लाशों का ढेर लगा है। इस भीषण दुर्घटना में मरने वालों की संख्या 278 हो गई है। इनमें से कम से कम 100 लाशें ऐसी हैं जिनकी पहचान नहीं हो पाई है। रिपोर्टों की मानें तो बालासोर ट्रेन हादसे में जान गंवाने वाले 100 से अधिक लोगों के शव अभी भी यहां के विभिन्न अस्पतालों के मुर्दाघरों में पड़े हैं क्योंकि उनकी शिनाख्त नहीं हो सकी है। 

भुवनेश्वर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ने शवों की पहचान के लिए अपने रिश्तेदारों की तलाश कर रहे लोगों के डीएनए नमूने लेने शुरू कर दिए हैं। 80 घंटे से अधिक समय हो गया है और अधिकारी इस बात को लेकर परेशान हैं कि आखिर कितने लंबे समय तक शवों को रखा जा सकता है। कुछ शव ऐसे हैं जो क्षत-विक्षत हैं और टुकड़ों में पड़े हैं। परिवारों को अधिक समय देने के लिए शवों पर लेप लगाया जा रहा है। डीएनए मैचिंग के लिए ब्लड सैंपल भी लिए जा रहे हैं।

“लेप लगाने से भी मदद नहीं मिलेगी”

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के प्रमुख एम्स अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा कि क्षत-विक्षत शवों को बहुत लंबे समय तक रखना “उचित नहीं” है क्योंकि लेप लगाने से भी मदद नहीं मिलेगी। एम्स के एनाटॉमी विभाग के प्रमुख ए शरीफ ने कहा कि एक शरीर को “वर्षों तक” तभी संरक्षित किया जा सकता है, जब 12 घंटे के भीतर सही तरीके से लेप लगा दिया जाए।

डॉ शरीफ ने बताया, “(शव के) सड़ने की प्रक्रिया परिवेश के तापमान सहित कई कारकों पर निर्भर करती है। शरीर सात-आठ घंटे, यहां तक कि 12 घंटे तक भी ठीक रहता है, बशर्ते तापमान बहुत अधिक न हो। बर्फ और कोल्ड स्टोरेज से इसमें देरी हो सकती हैं।” भुवनेश्वर के एम्स अस्पताल ने शुक्रवार शाम बालासोर में तीन ट्रेन दुर्घटना के बाद लाए गए शवों के क्षय को धीमा करने के लिए पारादीप बंदरगाह से कम से कम पांच फ्रीजर मंगवाए हैं।

कोई जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए 

एम्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शवों की पहचान का दावा करने वालों में से अब तक 10 लोगों के डीएनए के नमूने एकत्र किए गए हैं। उन्होंने कहा कि शवों को अब पांच कंटेनरों में स्थानांतरित कर दिया गया है, जहां उन्हें लंबे समय तक संरक्षित किया जा सकता है। अधिकारी ने कहा कि डीएनए नमूने लेने के बाद शवों को उचित लोगों को सौंपने या फिर उनका अंतिम संस्कार करने की अब कोई जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए क्योंकि उन्हें छह महीने तक कंटेनर में रखा जा सकता है। कुल 278 मृतकों में से 177 शवों की पहचान कर ली गई है जबकि अन्य 101 की पहचान कर उन्हें उनके परिवारों को सौंपा जाना बाकी है।

लोग लगा रहे कई आरोप

एम्स में करीब 123 शव आए थे, जिनमें से लगभग 64 की पहचान कर ली गई है। झारखंड के एक परिवार ने मंगलवार को आरोप लगाया कि उन्होंने सोमवार को उपेंद्र कुमार शर्मा के शव की पहचान की थी, लेकिन इसे मंगलवार को किसी और को सौंप दिया गया। इस परिवार के एक सदस्य ने कहा, ‘‘अगर शव किसी और को सौंप दिया गया है तो डीएनए नमूना लेने का क्या मतलब है? हमने उपेंद्र के शरीर पर टैटू के निशान से उसकी पहचान की थी।’’

हालांकि, एम्स के उपाधीक्षक डॉक्टर प्रवास त्रिपाठी ने कहा कि विस्तृत जांच के बाद शवों को सौंपा जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह सही है कि एक से अधिक परिवार एक ही शव पर दावा कर रहे हैं और इसके लिए डीएनए नमूने लिए जा रहे हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि डीएनए नमूनों की जांच रिपोर्ट आने में कम से कम 7 से 10 दिन का समय लग सकता है। उन्होंने कहा कि चूंकि शवों को अब कंटेनर में रखा जा रहा है, इसलिए शवों को संरक्षित करने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। मृतकों में से अधिकतर पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के अलावा ओडिशा के रहने वाले हैं।

सीबीआई ने शुरू की जांच

इस बीच, तीन एजेंसियों केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) और जीआरपी, बालासोर ने बालासोर ट्रेन दुर्घटना की जांच शुरू कर दी है। इस हादसे में कम से कम 278 लोग मारे गए हैं। खुर्दा मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) रिंकेश रॉय ने उपकरणों के साथ छेड़छाड़ का संदेह जताया है, जिसके चलते कोरोमंडल एक्सप्रेस लूप लाइन में प्रवेश कर गई और लोहे से लदी मालगाड़ी से टकरा गई।

रॉय ने कहा कि जब कोरोमंडल एक्सप्रेस बाहानगा बाजार स्टेशन से गुजरी तो मुख्य लाइन पर हरी झंडी थी। उन्होंने कहा कि आवश्यक सभी पूर्व-शर्तें सही होती हैं तभी सिग्नल आमतौर पर हरा होता है और यदि यदि कोई भी पूर्व शर्त पूरी नहीं होती है तो तकनीकी रूप से सिग्नल कभी भी हरा नहीं हो सकता। रॉय ने कहा कि जब तक कोई सिग्नल सिस्टम के साथ छेड़छाड़ नहीं करता , तब तक यह लाल रहता है।

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