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चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को ट्रोलिंग की समस्या पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा युग है, जहां लोगों में धैर्य और सहनशीलता की कमी है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने दिल्ली में वैश्वीकरण के युग में कानून पर एक कार्यक्रम में ये बातें कहीं। उन्होंने कहा, “हम जो कुछ भी करते हैं – और मेरा विश्वास करें, जज के रूप में हम इसके अपवाद नहीं हैं – आप जो कुछ भी करते हैं, उसमें आपको किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा ट्रोल किए जाने का खतरा होता है, जो आपकी बात से सहमत नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा, “हम आज एक ऐसे युग में रहते हैं जहां लोगों में धैर्य की कमी है, उनमें सहनशीलता की कमी है। हम तैयार नहीं हैं उन दृष्टिकोणों को स्वीकार करने के लिए जो हमारे अपने से भिन्न हैं।” सुप्रीम कोर्ट कई बार ट्रोलिंग पर चिंता जता चुका है, जिससे शारीरिक हमला भी हो सकता है। 2017 में, न्यायाधीशों और न्यायिक कार्यवाही सहित लगभग हर मुद्दे पर सोशल मीडिया पर हो रहे हमलों को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रेग्युलेशन पर सहमति जताई थी।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में अधिक महिला न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि वह निश्चित रूप से इसका समर्थन करते हैं, लेकिन इसका उत्तर थोड़ा जटिल है। उन्होंने कहा, ”मुझसे अक्सर पूछा जाता है कि हमारे पास सुप्रीम कोर्ट में अधिक महिला न्यायाधीश क्यों नहीं हो सकती हैं। उत्तर सरल नहीं है, उत्तर थोड़ा जटिल है।”
उन्होंने कहा कि जैसे कि एक बीज वस्तुत: एक संपूर्ण सिद्धांत में अंकुरित होता है, जिसे तर्कसंगत विज्ञान के आधार पर कभी परखा नहीं जा सकता है। उन्होंने तकनीक और इस्तेमाल सहित कई मुद्दों पर अपने विचार दिए। खासकर कोविड-19 महामारी, न्यायिक पेशे का सामना करने वाले मुद्दे और अधिक से अधिक महिला जजों की नियुक्ति पर भी मुख्य न्यायाधीश ने अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि कई मायनों में हमारे वैश्वीकरण के युग में प्रवेश करने से पहले से ही भारतीय संविधान वैश्वीकरण का बेहतरीन उदाहरण है।