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Donald Trump News: डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल के ईरान पर हमले का समर्थन किया. ईरान को परमाणु डील नहीं करने पर भविष्य में इससे भी बुरा नतीजा भुगतने की चेतावनी दी. सवाल यह है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान पर…और पढ़ें

पुलिस मामले की जांच कर रही है. (News18)
हाइलाइट्स
- ट्रंप ने ईरान को परमाणु समझौते की चेतावनी दी.
- पाकिस्तान पर ट्रंप की नरमी उजागर हुई.
- अब डोनाल्ड ट्रंप की दोहरी नीति पर सवाल उठे.
नई दिल्ली. इजरायल ने ईरान में घुसकर हवाई हमले किए तो तुरंत ही डोनाल्ड ट्रंप का बयान भी सामने आया. ट्रंप ने कहा कि ईरान जल्दी से परमाणु समझौते को राजी हो जाए. नहीं तो उसे इससे भी बुरा नतीजा भुगतना होगा. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बिना देरी किए इजरायल के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हो गए. हालांकि जब बात पाकिस्तान की आती है तो अमेरिकी प्रशासन चुप्पी साध लेता है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हमला किया. तब अमेरिका ने पाकिस्तान के खिलाफ ऐसी कोई चेतावनी जारी नहीं की कि वो अपनी आतंकवाद की फैक्ट्री को बंद कर ले, अन्यथा बुरा नतीजा भुगतना होगा.
ऑपरेशन सिंदूर 7 मई 2025 को भारत ने शुरू किया और 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले में 26 टूरिस्ट की मौत का बदला लिया. पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों को भारत ने नष्ट कर दिया था. भारत ने जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों को निशाना बनाया. तब ट्रंप ने ऊपरी तौर पर आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख दिखाने की बात कही और भारत-पाकिस्तान के बीच 10 मई को युद्धविराम कराने का झूठा क्रेडिट लेने का भी प्रयास किया. हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया कि यह युद्धविराम दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच द्विपक्षीय बातचीत से हुआ, न कि अमेरिकी मध्यस्थता से. ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश, खासकर कश्मीर मुद्दे पर, भारत ने ठुकरा दी, क्योंकि भारत इसे द्विपक्षीय मामला मानता है.
पाकिस्तान के प्रति ट्रंप की नरमी तब और उजागर हुई जब उनके परिवार से जुड़ी क्रिप्टोकरेंसी फर्म वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल ने अप्रैल 2025 में पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल के साथ समझौता किया, जिसमें पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर की भूमिका थी. यह सौदा पहलगाम हमले से ठीक पहले हुआ, जिससे संदेह पैदा हुआ कि ट्रंप का “शांति निर्माता” रुख कारोबारी हितों से प्रेरित था. इसके अलावा ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर को 14 जून 2025 को अमेरिकी सेना की 250वीं वर्षगांठ समारोह में आमंत्रित किया, जो भारत के लिए चिंता का विषय है.
यहां बड़ा सवाल यह भी है कि डोनाल्ड ट्रंप की ईरान और पाकिस्तान के लिए अलग-अलग नीति क्यों है? इसकी एक वजह यह भी है कि ईरान दशकों से ही अमेरिका का दुश्मन रहा है. ऐसे में वो ईरान पर अधिकतम दबाव की नीति पर काम करते आ रहे हैं. वहीं, पाकिस्तान की बात करें तो सोवियत यूनियन के वक्त से ही पाकिस्तान अमेरिका का साझेदार रहा है. तालिबान के आने के बाद आने वाले वक्त में अमेरिका फिर से यहां अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की दिशा में काम कर रहा है. ऐसे मे उसे एक बार फिर पाकिस्तान की जरूरत पड़ेगी.
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और…और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और… और पढ़ें
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