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मेघालय हाई कोर्ट (Meghalaya High Court) के सामने एक रोचक मामला आया. ड्रग तस्करी के आरोप में जेल में बंद एक महिला जमानत मांगने पहुंची. सुनवाई के दौरान जब जज को पता चला कि महिला एचआईवी एड्स पॉजिटिव है तो उसे फौरन बेल दे दी. जज ने जमानत देते हुए 24 साल पुराना एक किस्सा भी सुनाया.
आरोपी महिला के पास से भारी मात्रा में ड्रग्स बरामद किया गया था. इसके बाद NDPS एक्ट के तहत मामला दर्ज कर उसे जेल भेज दिया गया था. हाई कोर्ट में जस्टिस डब्ल्यू डिएन्गडो (W Diengdoh) ने जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह ऐसा मामला है जिसे खास तवज्जो दिया जाना चाहिए. चूंकि आरोपी महिला एचआईवी पॉजिटिव है, ऐसे में मानवीय आधार पर उसे जमानत मिलनी चाहिए. ताकि वह अच्छे माहौल में अपना उचित उपचार करा सके.
Bar&Bench की एक रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस डब्ल्यू डिएन्गडो ने कहा, ‘आरोपी महिला एड्स पॉजिटिव है. हो सकता है सरकार उसे जो उपचार मुहैया करा रही है वह काफी हो, या नाकाफी भी हो सकता है लेकिन कोर्ट का मानना है कि आरोपी को उचित उपचार के लिए तरजीह दी जानी चाहिए.
साल 1991 का किस्सा सुनाया
मेघालय हाई कोर्ट के जस्टिस डब्ल्यू डिएन्गडो (W Diengdoh) ने साल 1991 का सुप्रीम कोर्ट का एक वाकया भी सुनाया. कहा कि 24 साल पहले सुप्रीम कोर्ट में ठीक इसी तरह का एक मामला आया था. आरोपी एचआईवी पॉजिटिव था और जमानत के लिए पहुंचा था. सुप्रीम कोर्ट ने इस तथ्य पर गौर करने के बाद जमानत दे दी थी.
कोर्ट ने क्या-क्या कहा?
मेघालय हाई कोर्ट ने एक लाख रुपये के बॉन्ड पर महिला की जमानत मंजूर करते हुए कहा, ”आरोपी को उचित इलाज की जरूरत तो है ही, साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना है कि उसके जरिए वायरस किसी और तक ना फैले या कोई और संपर्क में न आए. ऐसी बीमारी से पीड़ित शख़्स शारीरिक तौर पर परेशान तो होता ही है, मानसिक तौर पर भी टूट जाता है’.
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Tags: HighCourt, HIV, Hiv aids, Meghalaya
FIRST PUBLISHED : October 3, 2023, 15:08 IST
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