सेंटर बेल्ट रोड और अरबों डॉलर का निवेश, इसी तरह चीन और पाकिस्तान दुनिया के सामने भाईचारे की तस्वीर पेश करते नजर आए हैं। लेकिन पाकिस्तान के बदले हाल का ताप अंतरराष्ट्रीय रिश्तों पर भी पड़ता नजर आ रहा है। खबर है कि पाकिस्तान की तंगहाली और आंतरिक सुरक्षा ने चीन को चिंता में डाल दिया है। वहीं, पाकिस्तान भी दबी आवाज में चीन पर सवाल उठा रहा है।
CPEC ने पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ाईं?
खबर है कि पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में अधिकारी CPEC यानी चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर पर कर्ज के संकट को बढ़ाने के आरोप लगा रहे हैं। दरअसल, CPEC 65 बिलियन डॉलर का नेटवर्क है, जिसमें सड़के, रेलवे, पाइपलाइन्स और बंदरगाह शामिल हैं।
चीन के कॉन्सुलर पर ताला
हाल ही में चीन ने पाकिस्तान के दूतावास में कॉन्सुलर के हिस्से को बंद करने की घोषणा की है। इसकी वजह तकनीकी परेशानियां बताई गई है। इतना ही नहीं कुछ दिन पहले ही चीन ने पाकिस्तान में अपने नागरिकों से सुरक्षा के हालात को देखते हुए सतर्क रहने की सलाह दी है।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बीते हफ्ते जारी एक नोटिस में चीन के विदेश मंत्रालय के कॉन्सुलर विभाग ने अपने नागरिकों को चेताया है कि उनकी सुरक्षा को बड़ा जोखिम हो सकता है। खास बात है कि 2021 में तालिबान के काबुल पर नियंत्रण करने के बाद भी चीन ने अपने डिप्लोमैटिक मिशन बंद नहीं किए थे। ऐसे में कहा जा सकता है कि चीन पाकिस्तान में सुरक्षा और आर्थिक स्थिति से चिंतित नजर आ रहा है।
आतंकवाद पर चिंता
पाकिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान के सक्रिय होने के बाद से सुरक्षा स्थिति और गंभीर नजर आ ररही है। लगातार पाकिस्तान की सेना और सुरक्षाकर्मियों को निशाना बनाया जा रहा है। कहा जाता है कि टीटीपी पाकिस्तान में शरियत लागू करना चाहता है। इन हमलों ने भी चीन की चिंताओं में इजाफा किया है। पाकिस्तान में कई आतंकी समूह CPEC में काम कर रहे चीनी नागरिकों को निशाना बना रहे हैं।
इधर, चीन लगातार पाकिस्तान पर अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए दबाव बना रहा है। हाल ही में पाकिस्तान के पंजाब की सरकार ने कह दिया है कि वह सभी चीनी नागरिकों को सुरक्षा नहीं दे पाएगी। साथ ही सुरक्षा के लिए निजी कंपनियों की मदद लेने के लिए कहा गया है।
बलूचिस्तान का मुद्दा
बलूचिस्तान क्षेत्र में चीन की बढ़ती सक्रिय भी हालात बिगाड़ती नजर आ रही है। कहा जा रहा है कि चीन के दखल को लेकर बलोच में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। पहले ही अपनी ही जमीन पर अल्पसंख्यकों की तरफ से रह रहे बलोच पाकिस्तान की सेना और ISI से चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
खबर है कि बलोच बड़े स्तर पर चीन की तरफ से किए गए निवेश का विरोध कर रहे हैं और खासतौर से ग्वादर इलाके में हुए विस्थापन ने हालात खराब कर दिए हैं। ग्वादर पोर्ट के निर्माण के चलते स्थानी मछुआरों पर कई पाबंदियां लग गई हैं। बीते कुछ समय में बलोच ने चीनी कर्मियों पर हमले किए हैं और संपत्ति को तबाह किया है।
प्रोजेक्ट्स की थमी रफ्तार
पाकिस्तान के घटते विदेशी मुद्रा भंडार और ऊर्जा संकट के बीच चीन भी उदारता दिखाने से बच रहा है। एक ओर जहां चीन, पाकिस्तान की मदद की बात कर चुका है। वहीं, मुल्क के ताजा सियासी हाल पर उसके रुख में बदलाव नजर आ रहा है।
खबर है कि भुगतान में देरी, बढ़ते एक्सचेंज रेट्स समेत कुछ कारणों से पहले ही कई चीनी कंपनियां पाकिस्तान में प्रोजेक्ट्स जारी रखने के मूड में नहीं हैं। चीन ने पाकिस्तान में अपने कई अहम विकास कार्य रोक दिए हैं। इनमें मेनलाइन-1 रेलवे प्रोजेक्ट, कराची सर्कुलर रेलवे प्रोजेक्ट, आजाद पट्टन हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट और थार ब्लॉक-1 कोल प्रोजेक्ट शामिल है।