Saturday, February 22, 2025
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तंबाकू उत्पाद से निकलने वाले कचरे से भारत में बन सकता है 33 बोइंग 747 विमान!


हाइलाइट्स

तंबाकू उत्पादों से हर साल निकलता है 1.7 लाख टन कचरा और शरीर में जाते हैं 82 हजार प्लास्टिक कण
पैकेजिंग से उत्पन्न 6,073 टन गैर-बायोडिग्रेडेबल एल्यूमीनियम पन्नी कचरे से 33 बोइंग 747 विमान बनाए जा सकते हैं.

नई दिल्ली. तंबाकू (Tobacco) आपके सेहद के लिए कितना खतरनाक (Harmful) है, इसको लेकर एक नया रिसर्च (New Research) सामने आया है. दुनिया में हर साल 31 मई को अंतरराष्ट्रीय तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है. इस दिन तंबाकू से हो रही मौतों और इसके दुष्परिणाम (Deaths and Consequences) के बारे में लोगों को आगाह किया जाता है. 31 मई को ही तंबाकू पर सालभर हुए रिसर्च के नतीजे भी सामने आते हैं. इसी कड़ी में कल यानी बुधवार को एम्स (AIIMS), आईसीएमआर (ICMR) और नोएडा स्थित एनआईसीपीआर (NICPR) ने अपने एक अध्ययन रिपोर्ट (Study Reports) में बड़ा खुलासा किया है. अध्ययन में यह बात निकल कर सामने आई है कि भारत में हर साल तंबाकू उत्पादों से 1.7 लाख टन कचरा (Waste) मनुष्य के शरीर में जाते हैं. इसके साथ ही मनुष्यों के शरीर में प्रति वर्ष 82 हजार प्लास्टिक कण (Plastic Particles) प्रवेश करते हैं, जो कई प्रकार के रोगों को जन्म देते हैं.

देश की 17 राज्यों में तंबाकू उत्पाद और उनसे होने वाले घातक कचरे पर किए गए अध्ययन से यह जानकारी निकल कर सामने आई है. यह न केवल उन लोगों के लिए हानिकारक हैं जो उसका सेवन करते हैं बल्कि पर्यावरण पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है. जोधपुर एम्स, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और यूपी के नोएडा सेक्टर-39 स्थित राष्ट्रीय कैंसर इंस्टीट्यूट आफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च के अध्ययन में ये बात सामने आई है कि तंबाकू उत्पादों की पैकेजिंग के लिए हर वर्ष देश में करीब 22 लाख पेड़ भी काटे जाते हैं. इनके द्वारा साल भर में उत्पन्न होने वाला कचरा 89, 402.13 टन है. यह वजन कागज की 11.9 करोड़ नोटबुक के बराबर है. वहीं, पैकेजिंग से उत्पन्न 6,073 टन गैर-बायोडिग्रेडेबल एल्यूमीनियम पन्नी कचरे से 33 बोइंग 747 विमान बनाए जा सकते हैं. साथ ही इससे निकलने वाले फिल्टर के अपशिष्ट से 9 मिलियन स्टैंडर्ड आकार के टीशर्ट को बनाया जा सकता है.

17 राज्यों में तंबाकू उत्पाद और उनसे होने वाले घातक कचरे पर अध्ययन किया गया है. (सांकेतिक तस्वीर)

तंबाकू को लेकर रिसर्च में नया खुलासा
पर्यावरण के जानकारों की मानें तो तंबाकू उत्पादों के प्लास्टिकयुक्त कचरा लोगों के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी खतरनाक है. मनुष्यों के शरीर में हर साल 82 हजार प्लास्टिक कण प्रवेश करते हैं, जो विविध प्रकार के रोगों को जन्म देते हैं. चूंकि यह कचरा आमतौर पर खुले अनियंत्रित डंप साइटों, नालों और नदियों में फैंक दिया जाता है, इसलिए यह और भी खतरनाक हो जाता है.

इतने करोड़ भारतीय करते हैं तंबाकू का सेवन
संयुक्त राष्ट्र की मानें तो विश्व में तकरीबन 125 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं. इनमें 15 वर्ष से अधिक आयु के तकरीबन 25 करोड़ से ज्यादा भारतीय भी शामिल हैं. चीन के बाद भारत तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और उत्पादक देश लगातार बना हुआ है. आपको बता दें कि तंबाकू के सेवन से विश्व में हर साल 80 लाख से अधिक लोगों की मौत होती है. भारत में भी तंबाकू से मरने वालों की संख्या प्रतिवर्ष 15 लाख तक पहुंचने वाली है.

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विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर हर साल रिसर्च सामने आता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)

क्या कहते हैं डॉक्टर
नोएडा के भारद्वाज अस्पताल के डॉक्टर अभिषेक कुमार कहते हैं, ‘धूम्रपान करना एक ऐसी आदत है, जिसे युवा शौक के तौर पर पहले शुरू करते हैं, लेकिन बाद में यह आदत में शुमार हो जाता है. इसके सेवन से आगे चलकर स्वास्थ्य संबंधी कई बीमारियां होना निश्चित है. पहले कोई शख्स पांच दिन में एक सिगरेट पीना शुरू करता है और धीरे-धीरे एक दिन में पांच सीगरेट पीने लगता है. इसी तरह आगे चल कर वह चैनस्मोकर बन जाता है. यह आदत जब लत बन जाती है तो आप इसे छुड़ाए नहीं छोड़ सकते. इसलिए, तंबाकू के फायदे बिल्कुल नहीं और नुकसान इतना कि आपकी कई पीढ़ियों को बर्बाद कर देगा. इसलिए तंबाकू छोड़ने में ही भलाई है.’

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विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट कहती है कि तंबाकू जितना सेवन करने वालों के लिए खतरनाक है उतना ही जो इसको उगाते हैं उनके लिए भी खतरनाक है. तंबाकू की खेती में लगे श्रमिक रोजाना 50 सिगरेट के बराबर निकोटिन अवशोषित कर लेते हैं. सिगरेट के इस्तेमाल के बाद जब उसके फिल्टर को जमीन पर फेंका जाता है तो उसमें मौजूद माइक्रोप्लास्टिक के अंश टूटकर मिट्टी में मिल जाते हैं. ये अंश हवा, पानी में तैरते हैं या इसमें घुल जाते हैं. इसके खतरनाक रसायन बड़ी आसानी से खाद्य पदार्थों के जरिए मानव शरीर में पहुंचकर आनुवांशिकी परिवर्तन, मस्तिष्क विकास और श्वसन तंत्र की समस्या को जन्म देते हैं.

Tags: Deaths in India, Environment, Tobacco Ban, World No Tobacco Day



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