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Organic Jaggery: मध्य प्रदेश में खंडवा के एक छोटे से गांव के किसान का बनाया गुड़ कई राज्यों में बिकता है. इतना शुद्ध और खास स्वाद कि लोग एडवांस बुकिंग कराते हैं. किसान ने बताया कि उन्होंने अपने पूर्वजों की तकनीक…और पढ़ें

यह गुड जैविक तरीके से बनता है.जोकि लोग खूब पसंद कर रहे है
हाइलाइट्स
- भारत राव पटेल ने जैविक गुड़ बनाना शुरू किया
- गन्ने की सफाई के लिए अरंडी तेल और सेमल छाल का उपयोग
- जैविक गुड़ में कैल्शियम, आयरन और मैग्नीशियम होते हैं
Organic Jaggery: जब दुनिया के लोग केमिकल्स और मिलावटी चीज़ों से घिर चुके हैं. खाने की अधिकतर चीजों में मिलावट है. ऐसे में खंडवा जिले के एक छोटे से गांव सिलोदा में एक किसान ऐसा गुड़ बना रहा है जो न सिर्फ स्वाद में लाजवाब है, बल्कि सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद है. जी हां, हम बात कर रहे हैं जैविक गुड़ की, जो अब देश के कई शहरों में अपनी खास पहचान बना चुका है.
कोरोना काल में आया आइडिया
गांव सिलोदा के किसान भारत राव जी पटेल ने 2021 से यह काम शुरू किया. कोरोना के दौरान जब देशभर में लोग बीमारियों से जूझ रहे थे. मिलावटी खाद्य पदार्थों के दुष्प्रभाव सामने आ रहे थे. तब उन्होंने तय किया कि वे केमिकल रहित, पूरी तरह जैविक गुड़ बनाएंगे. उनका कहना है, “हमारे पूर्वज भी गुड़ बनाते थे. उनके पास जो ज्ञान था, उसे मैंने फिर से अपनाया. हमें घर पर ही जैविक तरीके से गन्ना उगाने का अनुभव था. बस उसी परंपरा को फिर से शुरू किया और जैविक गुड़ बनाना शुरू कर दिया.\”
कैसे बनता है जैविक गुड़?
भारत राव बताते हैं कि उनके गुड़ में किसी भी प्रकार का केमिकल नहीं डाला जाता. गन्ने की सफाई के लिए वे अरंडी के तेल और सेमल की छाल के रस का उपयोग करते हैं. इससे गुड़ में किसी प्रकार का खारापन या कड़वाहट नहीं आती. वे गन्ना भी अपने ही खेतों में जैविक खाद से उगाते हैं. कहा, ”हम गोबर की खाद का ही इस्तेमाल करते हैं. बाहर से कुछ नहीं मंगाते. यह गन्ना जनवरी-फरवरी में तैयार होता है और फिर हम गुड़ बनाते हैं.”
स्वाद और सेहत दोनों में अव्वल
साधारण गुड़ और इस जैविक गुड़ में अंतर साफ है. रासायनिक गुड़ में हल्का खारापन और नकली मिठास होती है, जबकि जैविक गुड़ पूरी तरह शुद्ध, मीठा और संतुलित होता है. जो एक बार इस गुड़ का स्वाद ले लेता है, वह दोबारा जरूर मांग करता है. भारत राव कहते हैं, “कई ग्राहक तो हमें फोन करके पहले से ऑर्डर दे देते हैं. इंदौर, बुरहानपुर, खरगोन, हरदा जैसे जिलों में हमारा गुड़ जा रहा है. लोग इसे सेहतमंद मानते हैं और बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक इसे खाना पसंद करते हैं.”
एक किसान का संकल्प, पूरे देश में सेहत की सौगात
भारत राव जी पटेल की यह पहल न सिर्फ उनके गांव बल्कि पूरे खंडवा जिले के लिए गर्व की बात है. जब अधिकतर किसान रासायनिक खेती की ओर भाग रहे हैं, तब इस तरह की जैविक पहल समाज को नई दिशा देती है. खंडवा के किसान भारत राव जी पटेल ने जैविक गुड़ बनाकर यह साबित कर दिया है कि यदि इरादा नेक हो और तकनीक परंपरा से जुड़ी हो, तो सफलता दूर नहीं. उनका गुड़ अब देशभर में लोगों के स्वाद और सेहत दोनों की पहली पसंद बनता जा रहा है.
जैविक गुड़ के फायदे क्या हैं?
- यह शरीर की इम्यूनिटी (प्रतिरक्षा शक्ति) बढ़ाता है.
- इसमें कैल्शियम, आयरन और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व होते हैं.
- हीमोग्लोबिन की मात्रा को संतुलित करता है.
- शुगर पेशेंट के लिए भी सीमित मात्रा में सुरक्षित माना जाता है (हालांकि चिकित्सकीय सलाह जरूरी).
- किसी भी प्रकार की एलर्जी या साइड इफेक्ट नहीं होते.
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.
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