Home Health तिरंगा फूड दिला रहा कुपोषण से आजादी, रोजाना डाइट में आप भी कर सकते हैं शामिल

तिरंगा फूड दिला रहा कुपोषण से आजादी, रोजाना डाइट में आप भी कर सकते हैं शामिल

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Tiranga Food: तिरंगा देशभक्ति के साथ ही आजाद भारत की पहचान है. इसके तीन रंग साहस, शांति और खुशहाली प्रतीक हैं लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि देश में एक जगह ऐसी भी है जहां तिरंगा रोजाना खानपान और आजीविका का जरूरी हिस्‍सा बन गया है. यह न केवल लोगों को रोजगार दे रहा है बल्कि कुपोषण से भी आजादी दिला रहा है. बिहार के 6 जिलों में कुपोषण को दूर करने के लिए पौष्टिक तिरंगा भोजन खाने और उगाने का काम किया जा रहा है. दिलचस्‍प है कि तिरंगा फूड (Tiranga Food) उगाने का काम भी गांवों की महिलाएं कर रही हैं.

बिहार के मधुबनी जिले में सीता महिला स्‍वयं सहायता समूह की अध्‍यक्ष शकुंतला देवी बताती हैं कि आसपास की करीब 16 एकड़ जमीन पर छोटी-छोटी पोषण वाटिकाएं बनाकर महिलाएं तिरंगा फूड उगा रही हैं. गांवों में पढ़ी-लिखी महिलाएं नहीं हैं लेकिन वे तिरंगे झंडे की मदद से नारंगी या केसरिया, सफेद और हरे रंग के परंपरागत अनाज, सब्जी, फल और खाने-पीने की चीजों को अच्‍छे से पहचान सकती हैं. ऐसे में हेफर इंडिया इंटरनेशनल की मदद से तिरंगे के माध्‍यम से ही महिलाओं को तिरंगा फूड उगाने की ट्रेनिंग की दी जा रही है.

. शकुंतला बताती हैं कि तिरंगा फूड के के‍सरिया या नारंगी रंग में गेंहूं, पपीता, गाजर, केला, टमाटर, पीली दालें जैसे अरहर, चना, राजमा, मीट, अंडे की जर्दी, आलू आदि शामिल किए गए हैं.

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. जबकि सफेद रंग के फूड में दूध, पनीर, चावल, कचाजू, शलजम, लहसुन, मछली, मूली आदि चीजें शामिल हैं.

. इसके अलावा हरे रंग के फूड में पालक, मैथी, बथुआ, चौलाई, मटर, बीन्‍स, पत्‍ता गोभी, फूल गोभी, भिंडी, हरी मिर्च, धनिया, खीरा, कच्‍ची या हरी प्‍याज, करेला, लौकी, तुहई, हरे चने आदि चीजें शामिल हैं.

शकुंतला कहती हैं कि तिरंगा फूड में सभी परंपरागत रूप से उगाए जाने वाले अनाज, सब्‍जी और फल ही हैं ये हमेशा से ही उगाए जा रहे हैं लेकिन सबसे जरूरी चीज यह है कि नारंगी, सफेद और हरे, तीनों रंगों का खाना रोजाना भोजन की थाली में मौजूद होना चाहिए. बस इतना करने से ही शरीर को पूरा पोषण मिल सकता है और कुपोषण (Malnutrition) को दूर भगाया जा सकता है.

तिरंगा फूड को उगाने के लिए किसी भी प्रकार के कीटनाशक या खाद का इस्‍तेमाल नहीं किया जा रहा है. बल्कि गाय के गोबर, गौ-मूत्र, गाय का घी और नीम के पत्‍तों का इस्‍तेमाल कर बनाया जा रहा जैविक खाद ही इस्‍तेमाल किया जा रहा है. ये सब्जियां बेचने से रोजाना एक महिला करीब 300 रुपये तक कमा लेती है और खाने में इस्‍तेमाल करके 200 रुपये की बचत कर लेती है.

शकुंतला कहती हैं कि सिर्फ कुपोषित जिलों में ही नहीं बल्कि हर व्‍यक्ति के लिए तिरंगा फूड फायदेमंद है. तिरंगा फूड में बताई गई चीजें अगर रोजाना के खाने में इस्‍तेमाल होती हैं तो स्‍वास्‍थ्‍य के लिए सबसे बेहतर है. ये सभी चीजें प्रोटीन, विटामिन्‍स, मिनरल्‍स, कार्बोहाइड्रेट्स, खनिज और जरूरी न्‍यूट्रिएंट्स की पूर्ति कर देती हैं.

तिरंगा फूड को लोगों तक पहुंचाने के साथ ही तिरंगा फूड की खेती को बढ़ावा देने के लिए बिहार सस्‍टेनेबल लाइवलीहूड परियोजना के तहत हेफर इंटरनेशनल इंडिया मदद कर रहा है. हेफर बिहार में काम रहीं महिलाओं के कई ग्रुप्‍स को तिरंगा फूड की ऑर्गनिक खेती और पोषण वाटिका के लिए ट्रेनिंग दे रहा है.

Tags: Food diet, Health News, Tiranga yatra



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