Tuesday, September 3, 2024
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तो खालिस्तान की मांग क्यों नहीं होगी, हिन्दू राष्ट्र के सवाल पर स्वामी प्रसाद मौर्य के फिर विवादित बोल


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अपने बयानों के लिए चर्चा में रहने वाले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बाद फिर विवादित बयान दिया है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने शुक्रवार को खालिस्तान की मांग को एक तरह से हवा दे दी। स्वामी प्रसाद ने कहा कि अगर हिन्दू राष्ट्र की बात होगी तो खालिस्तान की मांग क्यों नहीं होगी। सामाजिक न्याय के प्रणेता वीपी मण्डल के जयंती के अवसर पर आयोजित समारोह के बाद मीडिया से बात करते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि जब कभी भारत हिन्दू राष्ट्र नहीं था तो अब कैसे होगा। कहा कि हमारा भारत पंथ निरपेक्ष विचार धारा पर आधारित है। अगर हिन्दू राष्ट्र की बात होगी तो खालिस्तान की मांग क्यो नहीं होगी। 

डॉ. लोहिया और डॉ. अम्बेडकर विचार मंच द्वारा रायबरेली में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए स्वामी प्रसाद ने कहा कि हमारे देश में जो सामाजिक व्यवस्था है, वह वर्ण और जाति पर आधारित है। यह वह लूटा-पीटा समाज है, जिसको जाति के नाम पर हजारों साल तक धन-धरती शिक्षा और सम्मान से वंचित किया गया। सम्मान और स्वाभिमान से वंचित किया गया। जानवर से भी बत्तर सुलूक किया गया। इसलिए समय-समय पर हमारे देश में पैदा होने वाले संतो-गुरुओं, महापुरुषों ने करुणा, मैत्री, बंधुत्व पर आधारित समाज की संरचना के लिए शंखनाद किया। 

स्वामी प्रसाद ने एक बार फिर रामचरित मानस की चौपाई के जरिए निशाना साधा। कहा कि आजादी के 76 साल बाद भी जातियां आज सबके सर पर चढ़कर बोल रही हैं। वह जातियां जिन्होंने पूरे समाज को बांटा, अपने वर्चस्व को सर्वोच्च बनाए रखने के लिए जिन्होंने कहा ‘ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी, सकल, ताड़ना के अधिकारी,’ जिन्होंने जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए कहा ‘जे बरनाधम तेलि कुम्हारा। स्वपच किरात कोल कलवारा।’

बोले, जिन्होंने कहा ‘पूजहि विप्र सकल गुण हीना। शुद्र न पूजहु गुण ज्ञान प्रवीणा।’ आखिर जातिवाद कौन कर रहा है? जातिवाद के ठेकेदारों ने हमें विभिन्न जातियों में बांटकर हमारा शोषण किया। हमें अधम कहा, पढ़ने लिखने से रोका और अगर हम अपनी पीड़ा बोलते हैं तो कहते हैं स्वामी प्रसाद मौर्य हमारे विरोधी है। इससे पहले भी स्वामी प्रसाद मौर्य रामचरित मानस को लेकर कई बयान दे चुके हैं। इसे लेकर भाजपा समेत हिन्दुवादी संगठनों ने उनपर कई हमले भी किए। 



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