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बिहार के शिक्षा मंत्री और राजद नेता चंद्र शेखर के बड़े भाई, रामचंद्र प्रसाद यादव प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करते हुए भाजपा में शामिल हो गए हैं। इस मौके पर उन्होंने लालू प्रसाद के नेतृत्व वाली पार्टी पर जोरदार हमला बोला और अपने छोटे भाई के रामचरित मानस पर दिए बयान की कड़ी आलोचना की।
रामचंद्र यादव ने पिछले दिनों बिहार बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी और अन्य वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में भाजपा में शामिल होने के मौके पर कहा, “राजद ने समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों, विशेषकर अनुसूचित जातियों के लिए बहुत कम काम किया है। यह सामाजिक न्याय के अपने प्राथमिक लक्ष्य से भटक गया है। इसकी तुलना में, पीएम नरेंद्र मोदी समाज के सभी वर्गों के लिए काम कर रहे हैं।”
हाल ही में दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यवती कॉलेज से प्रोफेसर के रूप में सेवानिवृत्त हुए, डॉ. राम चंद्र यादव ने भी रामचरितमानस पर अपने छोटे भाई चंद्र शेखर की टिप्पणियों को “गलत” बताया। इस साल जनवरी में, बिहार के शिक्षा मंत्री ने तुलसीदास के महाकाव्य को “विभाजनकारी” कहकर विवाद खड़ा कर दिया था। रामचंद्र यादव ने भाई के नैरेटिव को पलटते हुए तुलसीदास को सामाजिक न्याय का पुरोधा बताया है।
बीजेपी का माइंड गेम
भाजपा सूत्रों के मुताबिक, शिक्षा मंत्री चंद्र शेखर के बड़े भाई के भगवा पार्टी में शामिल होने से पार्टी को दो कारणों से “फायदा” मिल सकता है। “सबसे पहले, चन्द्रशेखर, जो रामचरितमानस के कुछ हिस्सों के खिलाफ बोल रहे हैं, अब कुछ भी बोलने से सावधान रहेंगे क्योंकि क्षेत्र में उन्हें अपने ही बड़े भाई की आलोचना झेलनी पड़ सकती है और दूसरा, बीजेपी 2025 के विधानसभा चुनावों में मधेपुरा में एक भाई को दूसरे के खिलाफ खड़ा करके राजद के साथ माइंड गेम खेल सकती है।”
मधेपुरा को लेकर बीजेपी की कसक
यादव बहुल मधेपुरा सीट पर भाजपा कभी भी अपने दम पर चुनाव नहीं जीत पाई है। 2010 से पहले, यह सीट एनडीए के हिस्से के रूप में जेडी (यू) ने जीती थी। प्रोफेसर चन्द्रशेखर लगातार तीन बार से राजद के टिकट पर यहां जीतते आ रहे हैं। बीजेपी की चाहत है कि यादवलैंड के रूप में मशहूर मधेपुरा से उसका कोई उम्मीदवार जीत का परचम लहराए ताकि यादव वोट बैंक का दावा करने वाली राजद को माकूल जवाब दिया जा सके।
अब तक कौन-कौन जीता
बता दें कि 2020 के चुनावों में मधेपुरा विधानसभा सीट पर चंद्रशेखर ने पप्पू यादव और जेडीयू के निखिल मंडल को करारी शकस्त दी थी। 2010 और 2015 में भी इस सीट से चंद्रशेखर जीत चुके हैं। इस सीट से सबसे पहले 1957 में बीएन मंडल फिर 1962 में बीपी मंडल जीत चुके हैं। बाद में एमपी यादव, राधाकांत यादव, भोली मंडल, मनींद्र मंडल और राजेंद्र यादव जीत चुके हैं।