Wednesday, July 3, 2024
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थैलीसीमिया बीमारी को खत्‍म करने के लिए सरकार शुरू करने जा रही राष्‍ट्रीय मिशन, सांसदों से भी अपील


नई दिल्‍ली. ‘थैलीसीम‍िया बीमारी को जल्‍द से जल्‍द खत्‍म करने के लिए मैं देश के सभी सांसदों से अपील करता हूं कि वे अपने-अपने संसदीय क्षेत्र में थैलीसीमिया स्‍क्रीनिंग प्रोग्राम की शुरुआत करें. साथ ही केंद्र सरकार से अपील करूंगा कि वे देशभर में निशुल्‍क थैलीसीमिया की जांच कराएं. इस बीमारी को जड़ से खत्‍म करने के लिए पूरे भारत में यूनिवर्सल स्‍क्रीनिंग की जरूरत है.’ ये बातें थैलीसीमिया को लेकर लोकसभा के स्‍पीकर ओम बिरला ने कहीं.

विश्‍व थैलीसीमिया दिवस पर दिल्‍ली के सर गंगाराम अस्‍पताल और थैलीसीमिक्‍स इंडिया टुडे की ओर से किए गए कार्यक्रम में लोकसभा स्‍पीकर के अलावा केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा भी पहुंचे जहां उन्‍होंने थैलीसीमिया जैसी बीमारियों पर केंद्र सरकार की तैयारियों पर बात की. मुंडा ने कहा कि सिकल सेल एनीमिया जैसे थैलीसीमिया को जड़ से खत्म करने के लिए केंद्र सरकार राष्‍ट्रीय मिशन शुरू करने जा रही है. इसके साथ ही सभी जेनेटिकली लिंक्‍ड बीमारियों की पहचान के लिए कॉलर कार्ड सिस्टम भी शुरू होने जा रहा है और 25 साल के अंदर भारत से इन बीमारियों को खत्‍म कर दिया जाएगा. थैलीसीमिया के इलाज से ज्‍यादा स्‍क्रीनिंग पर जोर देना जरूरी है क्‍योंकि जांच के बाद इस बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है.

स्‍क्रीनिंग क्‍यों है जरूरी?
बता दें कि थैलीसीमिया की बीमारी को रोकने के लिए गर्भ में ही जांच की जाती है, जिसमें यह पता चल जाता है कि कहीं बच्‍चे में यह बीमारी तो नहीं आ रही है. इसका इलाज समय पर होने और सही समय पर स्‍क्रीनिंग के चलते इस बीमारी को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है. सर गंगाराम अस्‍पताल के पीडियाट्रिक हेमेटोलॉजी डॉ. अनुपम सचदेव ने बताया कि अस्‍पताल में साल 2006 के बाद से, जब से अस्‍पताल में स्‍क्रीनिंग कार्यक्रम शुरू किया गया है तब से लेकर अभी तक एक भी थैलेसीमिक बच्चे का जन्म नहीं हुआ है. अब तक 50000 से अधिक गर्भधारण की जांच की गई है लेकिन उनमें से एक भी थैलेसीमिक नहीं निकला.

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थैलीसीमिया का इलाज है बेहद महंगा
यह बीमारी अगर किसी बच्‍चे में एक बार हो जाती है तो वह जीवन भर रहती है. हालांकि हड्डी और स्‍टेम सेल प्रत्‍यारोपण से इस बीमारी का इलाज किया जाता है लेकिन यह इलाज काफी महंगा है. गंगाराम अस्‍पताल के ही डिपार्टमेंट ऑफ पीडियाट्रिक के चेयरमैन डॉ. वीके खन्ना कहते हैं, ‘हमारी संस्था में थैलेसीमिक्स का उपचार हड्डी और स्टेम सेल प्रत्यारोपण के रूप में उपलब्ध है और हमने लगभग 200 प्रत्यारोपण किए हैं लेकिन इस बीमारी को रोकना समय की जरूरत है.’

वहीं अस्‍पताल के चेयरमैन, बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट डॉ. अजय स्वरूप का कहना है, ‘थैलेसीमिया के इलाज की सभी सुविधाएं हमारे अस्पताल में उपलब्ध हैं और हम अन्य संस्थानों के डॉक्टरों और नर्सों को प्रशिक्षित करने के लिए तैयार हैं.’ ताकि इस बीमारी को खत्‍म करने में मदद मिल सके.

Tags: Gangaram Hospital, Health News



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