Home Life Style दवाइयों का टेस्ट कड़वा क्यों होता है? कुछ दवाएं कैसे हो जाती हैं मीठी, डॉक्टर से समझ लीजिए

दवाइयों का टेस्ट कड़वा क्यों होता है? कुछ दवाएं कैसे हो जाती हैं मीठी, डॉक्टर से समझ लीजिए

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Medicines Bad Taste Reason: दवाएं कई तरह के केमिकल्स को मिलाकर बनाई जाती हैं, जिसकी वजह से अधिकतर दवाएं कड़वी होती हैं. कुछ दवाओं पर शुगर कोटिंग कर दी जाती है, जिससे उनका स्वाद बदल जाता है.

दवाएं केमिकल्स की वजह से कड़वी होती हैं.

हाइलाइट्स

  • दवाएं कड़वी होती हैं क्योंकि इनमें कई केमिकल्स मिलाए जाते हैं.
  • कुछ दवाओं पर शुगर कोटिंग कर स्वाद मीठा किया जाता है.
  • बच्चों की दवाएं मीठी बनाने के लिए शुगर या स्वीटनर्स मिलाए जाते हैं.

Why Do Medicine Taste Bitter: तबीयत खराब होने पर जब हम डॉक्टर के पास जाते हैं, तो आमतौर पर परेशानी दूर करने के लिए कुछ दवाएं दी जाती हैं. आपने भी कई बार दवाएं ली होंगी और महसूस किया होगा कि अधिकतर दवाओं का स्वाद बेहद कड़वा होता है. हालांकि कुछ दवाएं ऐसी होती हैं, जो स्वाद में हल्की मीठी होती हैं. दवा खाते वक्त अक्सर लोगों का सवाल होता है कि आखिर दवाएं इतनी कड़वी और खराब स्वाद वाली क्यों होती हैं. क्या आप इसका जवाब जानते हैं? अगर आप भी इसकी वजह नहीं जानते हैं, तो चलिए डॉक्टर से कड़वी दवाओं का कारण जान लेते हैं.

नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन एक्सपर्ट डॉ. राकेश कुमार गुप्ता ने News18 को बताया कि दवाएं कड़वी होती हैं, क्योंकि इनमें कई तरह के केमिकल्स और कंपाउंड्स मिलाए जाते हैं. दवाओं में मिलाए जाने वाले कई तत्व नेचुरल प्लांट से लिए जाते हैं, जबकि कुछ इंडस्ट्रीज में बनाए जाते हैं. इन केमिकल्स में कोडीन, कैफीन और टेरपीन जैसे कई एल्कलॉइड्स होते हैं, जो स्वाद में बहुत कड़वे होते हैं. ये कंपाउंड शरीर के अंदर जाकर विभिन्न अंगों पर असर डालते हैं और बीमारी से लड़ने में मदद करते हैं. जब ये तत्व स्वाद ग्रंथियों के संपर्क में आते हैं, तो कड़वा स्वाद महसूस होता है.

डॉक्टर ने बताया कि कई बार लोगों को लगता है कि केवल केमिकल्स से बनाई गई एलोपैथिक दवाएं ही कड़वी होती हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. प्राकृतिक या हर्बल दवाएं भी कड़वी होती हैं, क्योंकि इनमें भी ऐसे यौगिक होते हैं जो स्वाभाविक रूप से कड़वे होते हैं. उदाहरण के लिए आयुर्वेदिक काढ़ा, नीम, गिलोय, त्रिफला आदि के स्वाद भी कड़वे होते हैं. हालांकि कड़वी होने के बावजूद दवाएं सेहत को सुधारती हैं. कई बार माना जाता है कि ज्यादा कड़वी दवाएं ज्यादा असरदार होती हैं, लेकिन ऐसा नहीं होता है. दवा की कड़वाहट से उसका असर घटता-बढ़ता नहीं है. दवा की सही डोज ली जाए, तो ज्यादा असर दिखता है.

डॉ. राकेश कुमार गुप्ता बताते हैं कि कुछ दवाओं को विशेष रूप से मीठा बनाया जाता है. खासकर बच्चों की दवाएं मीठी बनाई जाती हैं, ताकि बच्चे इन दवाओं को खा सकें. इसके लिए सीरप में शुगर या स्वीटनर्स मिलाए जाते हैं. इसके अलावा कई दवाओं पर शुगर कोटिंग की जाती है, जिससे गोलियों का स्वाद मीठा हो जाता है. इस प्रक्रिया में दवा की बाहरी परत पर चीनी की एक पतली लेयर चढ़ा दी जाती है, जो दवा की कड़वाहट को दबा देती है. यह तकनीक खासकर उन दवाओं में इस्तेमाल की जाती है, जिन्हें चबाना होता है या मुंह में घुलाना होता है. सिरप, च्युइबल टेबलेट्स और लिक्विड फॉर्म की दवाओं में फ्लेवरिंग एजेंट और मीठे तत्व मिलाकर स्वाद बेहतर बनाया जाता है.

हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो कुछ दवाएं इतनी कड़वी होती हैं कि उन्हें खाना मुश्किल हो जाता है. ऐसे मामलों में उन्हें कैप्सूल फॉर्म में दिया जाता है. कैप्सूल की बाहरी परत आमतौर पर सॉफ्ट जिलेटिन की बनी होती है, जो मुंह में स्वाद नहीं छोड़ती और सीधे पेट में जाकर घुलती है. इससे मरीज को दवा का कड़वा स्वाद नहीं लगता और दवा आसानी से निगल ली जाती है. यह तरीका उन लोगों के लिए बेहद सहायक होता है, जिन्हें कड़वी दवाएं लेने में कठिनाई होती है. आयुर्वेद में बहुत कड़वी दवाओं को शहद के साथ लेने की सलाह दी जाती है, ताकि आसानी से खाया जा सके.

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अमित उपाध्याय

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. …और पढ़ें

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. … और पढ़ें

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