Thursday, November 7, 2024
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दिल्ली के एलजी ने मायावती के खिलाफ केस चलाने को नहीं दी मंजूरी, जानें पूरा मामला


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दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना (Delhi Lieutenant Governor VK Saxena) ने कथित रूप से धार्मिक भावनाओं को आहत करने के मामले में उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया है। यह मामला छत्तर सिंह राछोया की ओर से 20 अगस्त 2019 को दायर शिकायत पर आधारित है जो उन्होंने पश्चिमी दिल्ली के जिलाधिकारी, गृह सचिव, भारत सरकार और उपराज्यपाल को दी थी। शिकायत में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 196 के तहत मायावती के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने का आग्रह किया था।

राछोया (Chatter Singh Rachhoya) ने अपनी शिकायत में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल मायावती (BSP supremo Mayawati) के उस हलफनामे का हवाला दिया था। मायावती ने इस हलफनामे में कहा था कि अगर उत्तर प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी अयोध्या में भगवान राम की 221 मीटर की मूर्ति सरकारी धन का उपयोग करके बना सकती है, तो वह खुद की प्रतिमा क्यों नहीं बना सकती हैं। 

याचिकाकर्ता (Chatter Singh Rachhoya) ने आरोप लगाया कि इससे उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है क्योंकि बसपा प्रमुख ने खुद की तुलना भगवान राम से की है। राछोया ने कहा कि उन्होंने मायावती के खिलाफ नांगलोई के एसएचओ और सीआरपीसी की धारा 200 और 156 (3) के तहत तीस हजारी अदालत के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी। 

राछोया (Chatter Singh Rachhoya) ने बताया कि सीआरपीसी की धारा 196 के तहत प्रक्रियात्मक रोक के कारण, अदालत मामले में संज्ञान लेने में असमर्थ थी। इसी वजह से उन्होंने दिल्ली सरकार से प्राविधान के तहत मंजूरी देने का अनुरोध किया। मामले का निपटान करते हुए उपराज्यपाल वीके सक्सेना (Delhi Lieutenant Governor VK Saxena) ने कहा कि मेरा मानना है कि प्रथम दृष्टया मायावती के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है। इसलिए, सीआरपीसी 1973 की धारा 196 के तहत अभियोजन स्वीकृति के अनुरोध को खारिज किया जाता है।



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