नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट ने सार्वजनिक मंच पर भगोड़े अपराधियों के नाम और विवरण को अपलोड करने और उनके सत्यापन के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया पर दिल्ली पुलिस से रिपोर्ट मांगी है. हाईकोर्ट ने पहले राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) को भगोड़े अपराधियों के नाम और विवरण अपलोड करने के लिए एक सॉफ्टवेयर और अन्य सुविधाएं विकसित करने के लिए कहा था ताकि लोग उनके ठिकानों के बारे में जानकारी देकर पुलिस की मदद कर सकें.
अदालत ने कहा कि इससे राज्य को उनके खिलाफ और कार्रवाई करने में सहायता मिलेगी. हालांकि, हाल ही में सुनवाई के दौरान अदालत को सूचित किया गया कि इस बाबत स्पष्टीकरण की जरूरत है कि उसके पहले के निर्देश का पालन किस एजेंसी को करना है. न्यायमूर्ति अमित बंसल ने कहा, “उक्त डेटा के सत्यापन और अपलोड करने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के संबंध में दिल्ली पुलिस के डीसीपी (कानूनी प्रभाग) द्वारा एक संक्षिप्त रिपोर्ट दायर की जाए.”
दिसंबर में होगी अगली सुनवाई
दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए दिसंबर में सूचीबद्ध किया है. इसने पहले कहा था कि अदालत द्वारा प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश (मुख्यालय) की अध्यक्षता में नियुक्त समिति उसके निर्देशों के कार्यान्वयन की निगरानी करेगी. इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण मोहन को न्याय मित्र के तौर पर नियुक्त किया गया था.
एजेंसी की जिम्मेदारी पर था असमंजस
उन्होंने सुनवाई के दौरान अदालत से कहा कि समिति की पिछली बैठक में सामने आया कि हाईकोर्ट की ओर से मई में दिए गए निर्देशों के संबंध में कुछ अस्पष्टता है. हाईकोर्ट ने कहा कि अस्पष्टता इस बात से संबंधित है कि भगोड़े अपराधियों का डेटा अपलोड करने के लिए कौन सी एजेंसी जिम्मेदार है.
उस निर्देश में कहा गया था, ‘जहां तक डेटा अपलोड करने का सवाल है, दिल्ली पुलिस की ओर से दर्ज आपराधिक मामलों में अदालतों द्वारा घोषित भगोड़े अपराधी/ भगोड़े व्यक्तियों के डेटा को अपलोड करने के लिए दिल्ली पुलिस जिम्मेदार होगी.’ मई के फैसले में, हाईकोर्ट ने कहा था कि डेटा को शुरुआत में आंतरिक सर्वर पर अपलोड किया जाएगा और बाद में सत्यापन के बाद एनआईसी द्वारा विकसित सार्वजनिक मंच पर अपलोड किया जाएगा.
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FIRST PUBLISHED : September 25, 2023, 22:48 IST