Home Health दिल्‍ली में खुला पहला स्किन बैंक, अंगदान की तरह त्‍वचा भी की जा सकेगी दान

दिल्‍ली में खुला पहला स्किन बैंक, अंगदान की तरह त्‍वचा भी की जा सकेगी दान

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दिल्‍ली में खुला पहला स्किन बैंक, अंगदान की तरह त्‍वचा भी की जा सकेगी दान

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Skin Bank in Delhi: अभी तक आपने रक्‍तदान और अंगदान के बारे में सुना होगा लेकिन मरने के बाद त्‍वचा भी दान की जा सकती है. राजधानी के सफदरजंग अस्‍पताल में पहला स्किन बैंक खोला गया है. यह सिर्फ अस्‍पताल का ही नहीं बल्कि दिल्‍ली का पहला बैंक है जहां लोग मरने के बाद त्‍वचा दान कर सकेंगे. इसका फायदा त्‍वचा संक्रमण से जूझ रहे लोगों के अलावा त्‍वचा कैंसर, अल्‍सर या जल चुके लोगों को मिल सकेगा. इसके साथ ही बड़े घावों के द्वारा खराब हो चुकी त्‍वचा को बदलने के लिए किया जा सकेगा.

सफदरजंग अस्‍पताल में बर्न और प्लास्टिक विभाग के प्रमुख डॉ. शलभ कुमार ने बताया कि इस बैंक की काफी समय से जरूरत महसूस की जा रही थी. मरने के बाद लोगों की त्वचा दान करने के लिए कई बार लोग संपर्क करते थे लेकिन उन्‍हें जमा करने के लिए कोई जगह नहीं थी. अब इस बैंक में त्‍वचा दान करवाई जा सकेगी.

डॉ. शलभ कहते हैं कि स्किन ग्राफ्टिंग बहुत ही आसान प्रक्रिया है. मृत व्यक्ति की त्वचा मृत्यु के छह घंटे के भीतर दान की जा सकती है. इसके लिए सबसे पहले मृत व्‍यक्ति के शरीर से त्वचा को निकाला और काटा जाता है और उसे उसे मेडिकल साइंस के हिसाब से संरक्षित रखने के लिए संशोधित किया जाता है. इस काम में पांच से छह हफ्ते का समय लगता है.

डॉ. शलभ कहते हैं कि इस स्किन को करीब तीन से पांच साल तक बैंक में संरक्षित किया जा सकता है और जैसे ही किसी मरीज को जरूरत पड़ती है तो इसे उन्‍हें लगाया जा सकता है. सबसे खास बात है कि त्वचा प्रत्‍यारोपण के लिए कोई ब्‍लड ग्रुप मैच करने या अन्‍य कोई जांच करने की जरूरत नहीं पड़ती. किसी की भी त्‍वचा को किसी भी मरीज को लगाया जा सकता है. जबकि अगर रक्‍तदान या अंगदान जैसे किडनी लिवर आदि किसी मरीज को लगाने होते हैं तो पूरी जांच-पड़ताल की जाती है और कुछ ही घंटे के अंदर प्रत्‍यारोपण भी करना होता है.

देश में इन जगहों पर हैं स्किन बैंक
फिलहाल देश में 16 स्किन बैंक हैं. इनमें से सात बैंक महाराष्ट्र में, चेन्नई में चार, कर्नाटक में तीन, मध्य प्रदेश और ओडिशा में एक-एक स्किन बैंक हैं. अब पहली बार दिल्‍ली में स्किन बैंक खुला है. डॉ. शलभ कुमार कहते हैं कि जब भी दिल्‍ली में किसी मरीज के लिए स्किन ग्राफ्टिंग की जरूरत पड़ती थी तो दक्षिण भारत से त्‍वचा मंगानी पड़ती थी. स्किन ग्राफ्टिंग से मृत्यु दर में भी कमी आती है. रोगियों के जीवित रहने की दर में वृद्धि होती है.

भारत में हर साल इतने लोगों को पड़ती है त्‍वचा की जरूरत
जानकारी के मुताबिक भारत में करीब हर साल 70 लाख से 1 करोड़ जलने से घायल होते हैं. इनमें से 1.4 लाख लोगों की मृत्‍यु हो जाती है जबकि करीब डेढ़ लाख लोगों को कोई न कोई त्‍वचा संबंधी परेशानी हो जाती है. त्‍वचा की जरूरत पड़ने का दूसरा सबसे बड़ा कारण सड़क दुर्घटना में लगी चोट है. अगर रोगी की त्वचा गंभीर रूप से जल गई है या क्षतिग्रस्त हो गई है तो त्वचा कैंसर, अल्सर और धीमी गति से ठीक होने वाले या बड़े घावों के मरीज बैंक का लाभ उठाकर स्किन ग्राफ्टिंग करा सकते हैं.

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