हाइलाइट्स
पैशन फ्रूट का मूल ब्राजील-अमेरिकन क्षेत्र माना जाता है.
पैशन फ्रूट दक्षिण भारत में दिखना और बिकना आम है, लेकिन उत्तर भारत में यह कम ही नजर आता है.
Passion Fruit History and Benefits: आज हम आपको एक ऐसे फल के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जो दिल के लिए बेहद लाभकारी है. विशेष बात यह है कि किंवदंतियों में इस खूबसूरत फूल का संबंध महाभारत से जोड़ा जाता है. इस फल को कृष्णकमल या कृष्णा फल (Passion Fruit) भी कहा जाता है. फूड हिस्टोरियन इसे विदेशी बताते हैं, लेकिन यह फल दक्षिण भारत के पर्वतीय जंगलों में भी हजारों सालों से उग रहा है. इस फल को दिल के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है. यह बाजार में कम नजर आता है, लेकिन खाद्य पदार्थ बेचने वाली वेब कंपनियां इसे आसानी से आपके घर पर पहुंचा देंगी.
स्वाद में खट्टा-मीठा और बेहद रसीला
पैशन फ्रूट दक्षिण भारत में दिखना और बिकना आम है, लेकिन उत्तर भारत में यह कम ही नजर आता है. यह एक विशेष फल है, जो बेल में खूब उगता है. यह खट्टा-मीठा रसदार फल है. इसका आकार चीकू सरीखा होता है, लेकिन इसका खोल सख्त होता है, जिसे खाया नहीं जाता. इसके अंदर गूदे और रसदार दाने भरे होते हैं, जिन्हें खूब खाया जाता है. इसमें अम्ल की मात्रा अधिक होती है, जिस कारण इसे जल्द ही खाना पड़ता है. मुख्य तौर पर इसकी दो प्रजातियां हैं. एक पकने के बाद पीली और दूसरी बैंगनी रंग की होती है. इसकी बेल साल में दो बार फल देती है. एक बार मई-जून और दूसरी तथा सितम्बर-अक्टूबर में.
जाने-माने कृषि विज्ञानी प्रो. रंजीत सिंह और प्रो. एसके सक्सेना ने अपनी पुस्तक ‘Fruits’ में बताया है कि इस फल का मूल ब्राजील-अमेरिकन क्षेत्र माना जाता है, लेकिन दक्षिण भारत विशेषकर केरल व कर्नाटक के अलावा अब नॉर्थ ईस्ट के राज्य मिजोरम, नागालैंड व मेघालय में भी उगाया जा रहा है. उनका कहना है कि दक्षिण भारत के हिमालयी क्षेत्रों के जंगलों में इसकी बेल हजारों सालों से पल्लवित-पुष्पित हो रही हैं. विश्वकोश ब्रिटानिका के अनुसार, पैशन फ्रूट की बेल पराग्वे, दक्षिणी ब्राज़ील और उत्तरी अर्जेंटीना की मूल निवासी है. इसके अलावा, दुनिया भर के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में भी यह उग रही है. यह भारत और हवाई में जंगली रूप से उगती रही है.
यह एक विशेष फल है, जो बेल में खूब उगता है. Image: Canva
इसके फूल का संबंध है महाभारत से
पैशन फ्रूट को महाभारत से भी जोड़ा जाता है, लेकिन यह जुड़ाव इसके फल के कारण नहीं, बल्कि खूबसूरत फूल से माना गया है. इसकी बेल को घरों में गमलों में लगाने का रिवाज है और मान्यता है कि इसके फूल जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का योग बनाते हैं. हिंदू मिथकों के अनुसार, ध्यान से देखें तो इसके रंग-बिरंगे शानदार फूल के बाहरी हिस्से में करीब 100 बैंगनी-गुलाबी तंतुओं का एक मुकुट सा प्रतीत होता है, जिसे धृतराष्ट्र के 100 पुत्रों का प्रतीक माना जाता है.
इसके अंदर की ओर पांच हरे और पीले पुष्पकेसर दिखाई देंगे, जो पांच पांडवों के प्रतीक हैं. इसके बाद तीन कलियां दिखाई देंगी, जो ब्रह्म-विष्णु-महेश का द्योतक हैं. बीच में एक छोटा सा फूल दिखाई देगा, जिसे कृष्ण का प्रतीक माना जाता है यानी पूरे महाभारत के प्रमुख चरित्र इस फूल में भासित होते दिखाई देंगे. इसके फूल को ईसाई धर्म से भी जोड़ा जाता है. कहा जाता है कि तंतुओं से बना इस फूल का मुकुट वही है, जिसे ईसा मसीह ने इसे अपने सिर में तब धारण कर रखा था, जब उन्हें सलीब पर लटकाया गया था.
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इसके अंदर की ओर पांच हरे और पीले पुष्पकेसर दिखाई देंगे, जो पांच पांडवों के प्रतीक हैं. Image: canva
हृदय को फिट रखे, कोलेस्ट्रॉल को बढ़ने से रोके
विशेष बात यह है कि पैशन फ्रूल शरीर के लिए बेहद गुणकारी है. फूड एक्सपर्ट और योगाचार्य रमा गुप्ता का कहना है कि उनकी टोली जब भी दक्षिण भारत जाती है, समुद्र के किनारे बिक रहे पैशन फ्रूट का सेवन जरूर करती है. असल में अम्ल या एसिड के कारण इस फल को दिल के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है. यह हृदय की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है. साथ ही बैड कोलेस्ट्रॉल को भी रोकने में सक्षम है. आयुर्वेद के शोध बताते हैं कि यह फल शुगर को भी कंट्रोल रखने में सहायक है. साथ ही ब्लड प्रेशर को भी नॉर्मल बनाए रखता है.
इसके सेवन से पाचन तंत्र भी सुचारू रूप से काम करता है. साथ ही फैट न होने के कारण बढ़ते वजन को भी स्थिर रखता है. ऐसा भी माना जाता है कि इस फल में दिमाग को शांत रखने वाले गुण मौजूद होते हैं. इसके चलते मस्तिष्क कूल रहता है और नींद भी नियमित रूप से समय पर आती है. यह शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता को भी बढ़ाने में सहायक है. सामान्य मात्रा में खाए जाने पर इस फल से कोई नुकसान नहीं होता, लेकिन ज्यादा खाने पर यह पेट भी खराब कर देता है.
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FIRST PUBLISHED : August 14, 2023, 15:00 IST