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देश की आजादी के साल यानी 1947 में भी इसी वर्ष की तरह 12 नवंबर को ही दिवाली थी। तब विभाजन की विभीषिका झेल रहे भारत के दोनों तरफ हिंसा फैली थी। इस्लाम के नाम पर नया देश बनने वाले पाकिस्तान में तो चहुंओर हिंसा था और हिंदू-सिखों का पलायन चल रहा था। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में भी पाकिस्तान ने हमला बोल दिया था। इन सभी बातों पर महात्मा गांधी ने अपने दिवाली भाषण में समाधान दिए थे। आजाद भारत की पहली दिवाली पर आयोजित प्रार्थना सभा में महात्मा गांधी ने हिंसा खत्म करने की अपील की थी। इसके अलावा दिल्ली से ही जिन्ना को संदेश दिया था कि वह मारकर भगाए गए हिंदुओं और सिखों को वापस बुलाएं। तभी असली दिवाली मन सकेगी।
महात्मा गांधी का पूरा भाषण था-
आज दिवाली है और मैं आप सभी को इस अवसर पर बधाई देता हूं। यह हिंदू कैलेंडर में एक महान दिन है। विक्रम संवत के अनुसार नया साल कल गुरुवार से शुरू होगा। आपको यह समझना चाहिए कि हर साल रोशनी के साथ दिवाली क्यों मनाई जाती है। राम और रावण के बीच महान युद्ध में, राम अच्छाई की ताकतों का प्रतीक थे और रावण बुराई की ताकतों का। राम ने रावण पर विजय प्राप्त की और इस विजय से भारत में रामराज्य की स्थापना हुई।
लेकिन अफसोस! आज भारत में रामराज्य नहीं है तो हम दिवाली कैसे मना सकते हैं? इस जीत का जश्न वही मना सकता है जिसके भीतर राम है। क्योंकि, केवल ईश्वर ही हमारी आत्माओं को प्रकाशित कर सकता है और केवल वह प्रकाश ही वास्तविक प्रकाश है।
आज जो भजन गाया गया वह कवि की ईश्वर को देखने की इच्छा पर जोर देता है। लोगों की भीड़ कृत्रिम रोशनी देखने जाती है लेकिन आज हमें जिस चीज की जरूरत है वह है हमारे दिलों में प्यार की रोशनी। हमें अपने अंदर प्रेम की ज्योति जलानी होगी। तभी हम बधाई के पात्र होंगे। आज हजारों लोग गंभीर संकट में हैं। क्या आप, आपमें से हर कोई, अपने दिल पर हाथ रखकर कह सकता है कि हर पीड़ित, चाहे वह हिंदू हो, सिख हो या मुस्लिम, आपका अपना भाई या बहन है? यह आपके लिए परीक्षा है। राम और रावण अच्छाई और बुराई की शक्तियों के बीच अंतहीन संघर्ष के प्रतीक हैं। सच्ची रोशनी भीतर से आती है।
पंडित जवाहरलाल नेहरू घायल कश्मीर को देखकर कितने दुखी मन से लौटे हैं! वह कल और आज दोपहर भी कार्यसमिति की बैठक में शामिल नहीं हो पाए। वह मेरे लिए बारामूला से कुछ फूल लाए हैं। मैं प्रकृति के ऐसे उपहारों को हमेशा संजोकर रखता हूं। लेकिन आज लूट, आगजनी और रक्तपात ने उस प्यारी भूमि का सौन्दर्य बिगाड़ दिया है। जवाहरलाल जम्मू भी गये थे। वहां भी सब कुछ ठीक नहीं है। सरदार पटेल को श्री शामलदास गांधी और ढेबरभाई के अनुरोध पर जूनागढ़ जाना पड़ा, जिन्होंने उनसे सलाह मांगी थी। जिन्ना और भुट्टो दोनों नाराज़ हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि भारत सरकार ने उन्हें धोखा दिया है और जूनागढ़ पर संघ में शामिल होने के लिए दबाव डाल रही है।
देश में शांति और सद्भावना स्थापित करने के लिए अपने दिल से नफरत और संदेह को दूर करना हर किसी का कर्तव्य है। यदि आप अपने भीतर ईश्वर की उपस्थिति को महसूस नहीं करते हैं और अपने छोटे-मोटे आंतरिक झगड़ों को नहीं भूलते हैं, तो कश्मीर या जूनागढ़ में सफलता व्यर्थ साबित होगी। जब तक आप डर के मारे भागे हुए सभी मुसलमानों को वापस नहीं लाएँगे तब तक दिवाली नहीं मनाई जा सकती। पाकिस्तान भी नहीं बचेगा अगर वह वहां से भागे हुए हिंदुओं और सिखों के साथ ऐसा नहीं करेगा। कल मैं आपको बताऊंगा कि कांग्रेस कार्य समिति के बारे में मैं क्या कह सकता हूं। गुरुवार से शुरू होने वाले नए साल में आप और पूरा भारत खुश रहे। ईश्वर आपके हृदयों को प्रकाश प्रदान करें ताकि आप न केवल एक-दूसरे या भारत की बल्कि पूरे विश्व की सेवा कर सकें।