विपक्षी एकता की चर्चाओं के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार सियासी दुविधा में नजर आ रहे हैं। रविवार को महाविकास अघाड़ी के साथ को लेकर दिए बयान के बाद अटकलों का दौर शुरू हो गया था। अब खबर है कि एमवीए की रैलियों में भी उनके शामिल होने की संभावनाएं कम हैं। हालांकि, उन्होंने आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है। वहीं, एमवीए के साथ 2024 लोकसभा चुनाव लड़ने को लेकर भी वह सफाई जारी कर चुके हैं।
MVA के साथ लड़ेंगे या नहीं?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रविवार को सीनियर पवार ने कहा था, ‘आज हम एक गठबंधन में साथ हैं और साथ में चुनाव लड़ना चाहते हैं। लेकिन साथ लड़ने की इच्छा ही काफी नहीं है। हमने अब तक सीट शेयरिंग को लेकर चर्चाएं नहीं की हैं, तो हम तत्काल कैसे कह दें कि हम साथ चुनाव लड़ेंगे या नहीं?’ वह यह भी कह चुके हैं कि एकता की केवल इच्छा रखने से कुछ नहीं होता। MVA में राकंपा के अलावा कांग्रेस, शिवसेना और समाजवादी पार्टी शामिल हैं।
टाइमिंग
सोमवार को पवार ने इसपर सफाई दी। उन्होंने कहा कि वह गैर भारतीय जनता पार्टी दलों को एकजुट करने के लिए पूरी कोशिशें करेंगे। खास बात है कि पवार का बयान ऐसे समय पर आया है, जब उनके भतीजे और एनसीपी में नंबर 2 कहे जाने वाले अजित पवार और भाजपा के बीच नजदीकियां बढ़ने की अटकलें हैं। हालांकि, अजित खुद एनसीपी में ही बने रहने का ऐलान कर चुके हैं। इससे पहले पवार चाचा-भतीजे में खींचतान की खबरें आई थीं।
पवार की रैलियों से दूरी
कहा जा रहा है कि पवार एमवीए की जारी रैलियों से भी दूर रहेंगे। इधर, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी 2024 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता के लिए कोशिशें करते नजर आ रहे हैं।
संजय राउत दे रहे हैं सफाई
राज्यसभा सांसद संजय राउत आरोप लगा रहे हैं कि सीनियर पवार के बयान को तोड़ मरोड़कर पेश किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘इस समय, एमवीए बेहद मजबूत है और संयुक्त रूप से रैलियां कर रहा है। रैलियां यह संदेश देने के लिए की जा रही हैं कि हम एक हैं। एक मई को मुंबई में एक विशाल रैली होगी जहां सभी दलों (एमवीए के) के सभी वरिष्ठ नेता एक साथ आएंगे।’
उन्होंने कहा, ‘पवार साहब का मानना है कि अगर हम साथ रहे तो हम 2024 में भाजपा को हरा सकते हैं और बड़ी संख्या में लोकसभा सीटें जीत सकते हैं। मुझे नहीं लगता कि वह (पवार) एमवीए पर ऐसा कोई रुख ले रहे हैं (जैसा कि बताया गया है) क्योंकि हम लगातार चर्चा और विचार-विमर्श करते हैं। मेरे सामने कभी भी उनका ऐसा कोई बयान नहीं आया कि एमवीए नहीं होना चाहिए या इसे टूट जाना चाहिए।’
JPC पर भी अलग थी राय
एक ओर जहां विपक्षी दल अडानी-हिंडनबर्ग रिपोर्ट मामले में जेपीसी जांच की मांग कर रहा है। वहीं, सीनियर पवार इसे गलत बता चुके हैं। उनका मानना है कि जेपीसी जांच में एनडीए के सदस्य बहुमत में होंगे इससे कोई लाभ नहीं होगा। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट गठित कमेटी की जांच को सही माना था। हालांकि, उन्होंने बाद में यह साफ किया कि अगर विपक्ष जेपीसी जांच की मांग करेगा, तो वह इसका समर्थन करेंगे।
राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का कहना है कि पवार वरिष्ठ राजनेता हैं, ‘उनके बयान गंभीर और जरूरी हैं।’