
[ad_1]
हाइलाइट्स
किडनी की बीमारी में 70-80 फीसदी लोगों में लक्षण नहीं दिखाई देते.
पेशाब या यूरिन संबंधी परेशानी भी किडनी रोग का संकेत हो सकती है.
Kidney Disease: किडनी फेल होने की समस्या पिछले कुछ सालों में ज्यादा देखने को मिल रही है. किडनी की बीमारी जितनी खतरनाक है उतना ही इस बीमारी का पता भी देरी से चल पाता है, जिसकी वजह से किडनी की थोड़ी समस्या भी गुर्दे के पूरी तरह डेमेज होने का कारण बन जाती है. हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो शरीर का कोई भी अंग हो, जब उसमें कोई बीमारी आती है और उसके लक्षण प्रकट होने लगते हैं. किडनी में भी खराबी आती है तो उसके लक्षण दिखाई देते हैं, अगर उन्हें समय पर पकड़ लिया जाए तो किडनी की गंभीर बीमारी का भी इलाज संभव है.
दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) में डिपार्टमेंट ऑफ नेफ्रोलॉजी के प्रमुख और प्रोफेसर डॉ. संजय कुमार अग्रवाल कहते हैं कि कुछ मामलों में किडनी खराब होना शुरू हो जाती है लेकिन मरीज को पता ही नहीं चलता. किडनी की बीमारी के तीसरी पहली, दूसरी या तीसरी स्टेज में करीब 70-80 फीसदी लोगों को किडनी में परेशानी के लक्षण नहीं दिखाई देते. ऐसा आमतौर पर एक्यूट किडनी डिजीज में होता है. जबकि 10-20 फीसदी लोगों को लक्षण दिखाई देते हैं लेकिन वे लापरवाही के चलते इन्हें इग्नोर कर देते हैं और बीमारी बढ़ जाती है.
ये भी पढ़ें- Kidney Stones: किडनी में साइलेंट पड़ी पथरी कर सकती है गुर्दा फेल, लगेंगे बस कुछ महीने, एम्स के डॉ. ने बताए उपाय
डॉ. कहते हैं कि भारत में ज्यादातर किडनी फेल होने के मामले क्रॉनिक किडनी डिजीज के कारण हैं जो कई साल या लंबी बीमारी के बाद पैदा होती है. इस बीमारी में मरीज में लक्षण भी दिखाई देते हैं. वहीं कोविड के बाद किडनी के ज्यादातर मामले एक्यूट किडनी डिजीज के हैं जो कुछ महीनों में ही पैदा हो जाती है, हालांकि इसमें मरीजों के जल्दी रिकवर करने की संभावना होती है.
आपके शहर से (दिल्ली-एनसीआर)
. हाथ पैरों में अचानक से सूजन- डॉ. कहते हैं कि अगर किसी व्यक्ति को हाथ-पैरों या किडनी एरिया में अचानक सूजन आनी शुरू हो जाए जो उसे तुरंत किडनी की जांच करानी चाहिए.
. यूरिन करने में परेशानी- अगर किसी व्यक्ति को यूरिन में ब्लड आ रहा हो, यूरिन में पस या मवाद आ रहा हो, यूरिन के फ्लो में दिक्कत हो, पेशाब करने में परेशानी हो रही हो. पेशाब संबंधी कोई भी दिक्कत होने पर तत्काल किडनी जांच कराएं.
. डायबिटीज-बीपी है- अगर किसी को डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी है तो ऐसा व्यक्ति किडनी के हाई रिस्क ग्रुप में आता है. ऐसे व्यक्ति को किडनी का रूटीन चेकअप कराते रहना चाहिए.
. परिवार में बीमारी- अगर किसी के परिवार में किडनी रोग का इतिहास रहा है या उम्र 60 साल से ऊपर हो चुकी है तो भी किडनी की बीमारी की संभावना बढ़ जाती है.
. किडनी एरिया में दर्द- अगर किसी को किडनी संबंधी कोई लक्षण, गुर्दा वाले इलाके में दर्द या सूजन की परेशानी होती है तो उसे तत्काल किडनी की जांच करानी चाहिए.
डॉ. संजय कहते हैं कि आमतौर पर रूटीन चैकअप कराने वाले लोगों में किडनी की बीमारी पकड़ में आ जाती है. या फिर जो लोग किसी अन्य बीमारी की वजह से अस्पताल में भर्ती होते हैं, जांच के दौरान उनको भी अगर किडनी रोग है तो पकड़ में आ जाता है. इसके लिए किडनी फंक्शन टेस्ट होता है. वहीं डॉक्टर्स भी हाई रिस्क ग्रुप में आने वाले व्यक्ति जिसे डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है, उसे साल में एक बार केएफटी जरूर कराने की सलाह देते हैं. इससे किडनी फेल्योर का खतरा कम हो जाता है.
ये भी पढ़ें- किडनी फेल कर सकती हैं ये 3 बीमारियां, इन संकेतों के दिखते ही तुरंत कराएं गुर्दे की जांच
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Kidney, Kidney disease, Kidney donation
FIRST PUBLISHED : April 12, 2023, 13:50 IST
[ad_2]
Source link