Wednesday, March 12, 2025
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द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी कब है? बन रहे 2 शुभ संयोग, देखें मुहूर्त, चंद्र अर्घ्य समय और पूजा विधि


हाइलाइट्स

28 फरवरी को 01:53 एएम से फाल्गुन मा​ह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि लग रही है.
जिन लोगों को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी की पूजा करनी है, वे सुबह में सर्वार्थ सिद्धि योग में कर सकते हैं.
संकष्टी चतुर्थी वाले दिन चंद्रोदय रात में 09 बजकर 42 मिनट पर होगा.

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है. द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखते हैं और विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा विधि विधान से करते हैं. दिनभर फलाहार पर रहते हैं और रात के समय में चंद्रोदय होने पर चंद्रमा की पूजा करते हैं और अर्घ्य देते हैं. उसके बाद पारण करके द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूरा करते हैं. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, इस साल द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर दो शुभ संयोगों का निर्माण हो रहा है, जिसमें एक सर्वार्थ सिद्धि योग है. हालांकि यह योग 40 मिनट से अधिक अवधि तक सुबह में बनेगा. आइए जानते हैं द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि, मुहूर्त और चंद्र अर्घ्य समय के बारे में.

कब है द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी?

वैदिक पंचांग के अनुसार, 28 फरवरी को 01:53 एएम से फाल्गुन मा​ह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि लग रही है, जो अगले दिन 29 फरवरी को प्रात: 04:18 एएम तक मान्य रहेगी. ऐसे में उदयातिथि का विचार किया जाए तो द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत 28 फरवरी दिन बुधवार को होगा.

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द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2024 पूजा मुहूर्त

जिन लोगों को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी की पूजा करनी है, वे सुबह में सर्वार्थ सिद्धि योग में कर सकते हैं. यह योग सुबह 06:48 एएम से 07:33 एएम तक रहेगा. सुबह 06:41 एएम से सुबह 09:41 तक अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त भी है. इस समय मे भी आप द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी की पूजा कर सकते हैं. शुभ-उत्तम मुहूर्त 11:07 एएम से 12:34 पीएम तक है. ब्रह्म मुहूर्त का समय 05:08 एएम से 05:58 एएम तक है.

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर बने 2 शुभ संयोग

28 फरवरी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन दो शुभ संयोग बन रहे हैं. व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ बुधवार दिन का शुभ संयोग बना है. द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन अपने मनोकामनाओं की सिद्धि के लिए सर्वार्थ सिद्धि योग उत्तम है, वहीं बुधवार का दिन गणेश जी की पूजा के लिए ही समर्पित है. ऐसे में द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत और पूजा का दोगुना फल प्राप्त होगा.

व्रत के दिन हस्त नक्षत्र सुबह 07:33 एएम तक है, उसके बाद से पूरे दिन चित्रा नक्षत्र है. वहीं वृद्धि योग शाम 05:17 पीएम से पूरी रात तक है. इस योग में आप जो भी कार्य करेंगे, उसके पुण्य फल में वृद्धि होगी.

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द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2024 चंद्रोदय समय

संकष्टी चतुर्थी वाले दिन चंद्रोदय रात में 09 बजकर 42 मिनट पर होगा. उस समय से ही चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाएगा और पूजा की जाएगी.

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर करें रुद्राभिषेक

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी वाले दिन शिववास कैलाश पर है. यह सुबह से लेकर अगले दिन 29 फरवरी को 04:18 एएम तक है.

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि

जो लोग व्रत रखेंगे, वे द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी की पूजा शुभ मुहूर्त में करें. सबसे पहले गणेश जी की स्थापना किसी एक चौकी पर करें. उसके बाद बप्पा का जल से अभिषेक करें. फिर यज्ञोपवीत, वस्त्र, आभूषण, फूल, चंदन आदि से उनका श्रृंगार करें. उसके बाद गणेश जी को अक्षत्, पीले फूल, गेंदे का फूल, दूर्वा, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें.

फिर ओम गं गणपतये नम: मंत्र का जाप करें. गणेश चालीसा और संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा पढ़ें. उसके बाद गणेश जी की आरती करें. अब गणेश जी को मोदक और लड्डू का भोग लगाएं. दिनभर फलाहार पर रहें. रात के समय चंद्रमा को जल, दूध, सफेद फूल और अक्षत् से अर्घ्य दें. उसके बाद पारण करके व्रत को पूरा करें.

Tags: Dharma Aastha, Lord ganapati, Religion



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