Wednesday, November 6, 2024
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धनंजय सिंह पूर्व सांसद, मैनेजर सामान्य नौकर, डरकर मुकरना…सजा सुनाते समय कोर्ट की सख्त टिप्पणी, क्या-क्या कहा


पूर्व सांसद बाहुबली धनंजय सिंह को नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर के अपहरण और रंगदारी मामले में जौनपुर के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश एमएलए-एमपी कोर्ट चतुर्थ शरद कुमार त्रिपाठी ने बुधवार को सात साल की सजा सुनाई। इस दौरान अदालत ने धनंजय सिंह पर सख्त टिप्पणी भी की। अदालत ने कहा कि आरोपी पूर्व सांसद है। उसके ऊपर कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। उसका क्षेत्र में काफी नाम है, जबकि वादी (प्रोजेक्ट मैनेजर) मात्र सामान्य नौकर है। ऐसी स्थिति में उसका डरकर अपने बयान से मुकर जाना अभियुक्त (धनंजय सिंह) को कोई लाभ नहीं देता है, जबकि मामले में अन्य परिस्थितिजन्य साक्ष्य मौजूद हों। धनंजय सिंह पर 4 साल पहले मामला दर्ज किया गया था। 

जिला सहायक शासकीय अधिवक्ता फौजदारी लाल बहादुर पाल ने बताया कि जौनपुर नगर में नमामि गंगे योजना में काम कर रहे मुजफ्फरनगर निवासी प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल ने 10 मई 2020 को जिले के लाइन बाजार थाने में अपहरण, रंगदारी, डराने-धमकाने (धारा 364, 386, 504, 506 और 120 बी) में पूर्व सांसद धनंजय सिंह व उनके साथी संतोष विक्रम सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। बाद में प्रोजेक्ट मैनेजर और गवाह पक्ष द्रोही हो चुके थे। 

अपहरण और रंगदारी में धनंजय को सात साल की सजा, जुर्माना भी लगा

अदालत ने सजा सुनाने के दौरान तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि मामले का अभियुक्त पूर्व सांसद है। उसके ऊपर कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। उसका क्षेत्र में काफी नाम है, जबकि वादी मात्र सामान्य नौकर है। ऐसी स्थिति में वादी का डरकर अपने बयान से मुकर जाना अभियुक्त को कोई लाभ नहीं देता है, जबकि मामले में अन्य परिस्थितजन्य साक्ष्य मौजूद हों।

काम के दौरान फोन कर बुलाना अपराध की श्रेणी में आता है

अदालत ने कहा कि इस मामले में वादी प्राइवेट कंपनी का कर्मचारी था और सत्यप्रकाश यादव उत्तर प्रदेश जल निगम के जेई थे। ऐसे व्यक्तियों को काम के दौरान फोन करके अपने घर बुला लेना या किसी को भेजकर मंगवा लेना अपने आप में अपराध की श्रेणी के अंतर्गत आता है। मामले में अभियुक्त यह नहीं साबित कर सके कि उनके पास वादी और जल निगम के जेई को घर बुलाने का कोई हक या अधिकार मौजूद था। इनके भय और दबाव में बयान बदले गए हैं।

वादी मुकरा, गवाह पक्षद्रोही, फिर कैसे फंस गए धनंजय सिंह

अदालत ने कहा कि इस मामले में वादी को यदि अभियुक्तों से कोई डर, भय, परेशानी नहीं थी या फिर किसी तरह का कोई विवाद नहीं था तो क्यों उसके द्वारा घटना के तुरंत बाद अपने उच्चाधिकारियों को फोन किया गया। एसपी से मुलाकात की गई और थाने जाकर तहरीर दी गई। मामला पूर्ण रूप से अभियुक्तों के विरुद्ध साबित है।

चुनाव लड़ने से रोकने को षड्यंत्र, फर्जी मामले में सजा, बोले धनंजय सिंह

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन मौखिक, दस्तावेजी व परिस्थितिजन्य साक्ष्य से संदेह से परे यह साबित कर सका है कि 10 मई 2020 को शाम 5.30 बजे घटनास्थल पचहटिया पर अभियुक्तगण ने सामान्य आशय में आपराधिक षडयंत्र रचकर वादी मुकदमा अभिनव सिंघल की हत्या करने के आशय से अपहरण किया। इसके बाद उसे गालियां देते हुए जान से मारने की धमकी दी। ऐसे में धनंजय सिंह और संतोष विक्रम सिंह अपराध के लिए दोष सिद्ध किए जाने योग्य हैं।

अदालत ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह और उनके साथी संतोष विक्रम सिंह को भारतीय दंड विधान की धारा 364 में 7 वर्ष 50 हजार जुर्माना, 386 में 5 वर्ष की सजा 25 हजार जुर्माना, 504 में 1 वर्ष की सजा और 10 हजार जुर्माना, 506 में 2 वर्ष की सजा और 15 हजार जुर्माना और 120 बी में 7 साल की सजा और 50 हजार जुर्माना से दंडित करने का आदेश दिया है। 

छावनी में तब्दील रहा कोर्ट परिसर, ड्रोने से निगरानी

सजा सुनाने से पूर्व अर्धसैनिक बलों की सुरक्षा के बीच जिला कारागार से सिविल कोर्ट परिसर पूर्व सांसद धनंजय सिंह को कड़ी सुरक्षा के बीच लाया गया। पुलिस विभाग का ड्रोन कैमरा ऊपर निगरानी कर रहा था, न्यायालय परिसर पुलिस छावनी में तब्दील रहा। सजा सुनाने के पश्चात उनके समर्थकों में मायूसी छा गई कि अब पूर्व सांसद चुनाव कैसे लड़ेंगे?



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