Friday, March 14, 2025
Google search engine
HomeHealthधमनियों में रत्ती भर भी गंदा कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाएं, तो हार्ट अटैक...

धमनियों में रत्ती भर भी गंदा कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाएं, तो हार्ट अटैक का है खतरा, इंतजार न करें, डॉक्टर के पास जाएं


हाइलाइट्स

अगर कोलेस्ट्रॉल की मात्रा थोड़ी भी ज्यादा है तो उसे अस्पताल से बाहर हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट का खतरा ज्यादा है.
जो लोग एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाली दवा स्टेटिंस ले रहे हैं, उनके लिए यह खतरा नहीं है.

Low Level of LDL raise Heart Attack Risk: जब हमारा लाइफस्टाइल गतिहीन हो जाता है और खान-पान खराब होने लगता है तब हार्ट तक खून ले जानी वाली धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमा होने लगता है. यह कोलेस्ट्रॉल धमनियों को जाम करने लगता है. इसका मतलब है कि हार्ट तक खून कम पहुंच रहा है. इससे हार्ट खून को पंप कर शरीर के अंग-अंग तक पहुंचाने में नाकाम होने लगेगा. इसका नतीजा यह होगा एक दिन हार्ट अटैक आ सकता है या सडेन कार्डिएक अरेस्ट भी हो जाता है. इन स्थितियों में व्यक्ति की जान भी जा सकती है. हैरान करने वाली बात यह है कि दुनिया में करीब 1.28 अरब लोगों का बीपी बढ़ा हुआ है लेकिन दुर्भाग्य से इनमें से 46 प्रतिशत को पता भी नहीं है कि उन्हें ब्लड प्रेशर की बीमारी है. इसी कारण अचानक किसी में हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट आ जाता है.

वहीं दूसरी ओर यह मान लिया जाता है कि जब धमनियों में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ जाती है, तभी हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट हो सकता है. लेकिन एक ताजा अध्ययन में इस धारणा को नकार दिया गया है और दावा किया गया है कि धमनियों में चाहे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा रत्ती भर ही क्यों न बढ़े, वह उतना ही हार्ट अटैक के लिए जिम्मेदार है जितना कोलेस्ट्रॉल की ज्यादा मात्रा.

अस्पताल से बाहर कार्डिएक अरेस्ट का खतरा
यह अध्ययन कोरियाई सरकार के हेल्थ इंश्योरेंस डाटाबेस के आधार पर तैयार किया गया है. इसमें 26 लाख लोगों की हेल्थ रिकॉर्ड का विश्लेषण किया गया. अध्ययन में पाया गया कि जो लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं, उनमें अगर कोलेस्ट्रॉल की मात्रा थोड़ी भी ज्यादा है तो उसे अस्पताल से बाहर हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट का खतरा उतना ही रहता है जितना कोलेस्ट्रॉल की ज्यादा मात्रा से होता है. हालांकि अध्ययन में यह भी कहा गया है कि बैड कोलेस्ट्रॉल और कार्डिएक अरेस्ट के बाच संबंध गौण हो सकता है क्योंकि दोनों के कारणों में संबंधित कुपोषण, इंफेक्शन, इंफ्लामेटरी डिजीज या कैंसर भी वजह हो सकती है. अध्ययन में सलाह दी गई है कि चाहे स्थिति कैसी भी हो, डॉक्टरों को कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवा स्टेटिंस को बंद नहीं करना चाहिए. जिन लोगों में लंबे समय तक बैड कोलेस्ट्रॉल बना रहता है, उनकी धमनियों में प्लैक जमा होने लगता है जो हार्ट अटैक या अन्य तरह की कार्डिएक डिजीज के लिए जिम्मेदार है.


दवा बंद नहीं करनी चाहिए

इंडियन एक्सप्रेस की खबर में एम्स कार्डियो-थोरेसिक सेंटर के पूर्व प्रमुख डॉ वी के बहल कहते हैं, “शोधकर्ताओं ने बैड कोलेस्ट्रॉल के लो लेवल का संबंध भी कार्डिएक अरेस्ट से जोड़ा है लेकिन साथ में वह यह भी कहता है कि यह संबंध अन्य वजहों से भी हो सकता है. इसलिए इस रिसर्च की मुख्य बातें यह है कि जो लोग एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाली दवा स्टेटिंस ले रहे हैं, उनके लिए यह खतरा नहीं है. ” डॉ. बहल ने सलाह दी कि जो लोग पहले से दवा ले रहे हैं, उन्हें बंद नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि स्टेटिंस को चार स्थितियों में दी जाती है. इनमें पहला है- जिन लोगों को हार्ट अटैक कभी न कभी आया है, दूसरा जिनकी उम्र 40 या 50 साल से उपर है और कई तरह के जोखिम के साथ जी रहे हैं, तीसरा जिन लोगों में हाई कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज है और चौथा जिन लोगों में एलडीएल 190mg/dL से ज्यादा है.

इसे भी पढ़ें-पिता बनने में बाधा पहुंचा सकता है पॉलिएस्टर अंडरवियर, महिलाओं में भी बढ़ सकती है इनफर्टिलिटी और मिसकैरेज-स्टडी

इसे भी पढ़ें-सीने पर सीधा वार करता है आर्टिफिशियल स्वीटनर, रहें सावधान, कार्डियोलॉजिस्ट ने बताए 2 घातक परिणाम

Tags: Health, Health tips, Lifestyle



Source link

RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments