नई शिक्षा नीति के मद्देनजर देश का उच्च शिक्षा नियामक यूजीसी अब नए-नए नामों से कॉलेज डिग्री देगा। अब आर्ट्स, ह्यूमेनिटीज, मैनेजमेंट और कॉमर्स स्ट्रीम से बैचलर ऑफ साइंस (बीएस) डिग्री कोर्स कर सकेंगे। वर्तमान में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) आर्ट्स, ह्यूमेनिटीज और सोशल साइंस विषयों से ग्रेजुएशन करने वालों को बीए और साइंस विषयों से ग्रेजुएशन करने वालों को बैचलर ऑफ साइंस (बीएससी) की डिग्री देता है। डिग्री के नामों की समीक्षा करने के लिए यूजीसी द्वारा गठित समिति ने सिफारिश की है कि चार वर्षीय ऑनर्स कोर्स (ऑनर्स विद रिसर्च) को बैचलर ऑफ साइंस (बीएस) डिग्री के तौर पर पेश किया जा सकता है। इसका स्टूडेंट्स की स्ट्रीम से कोई लेना देना नहीं होगा।
इसी तरह विश्वविद्यालय आर्ट्स, ह्यूमेनिटीज, मैनेजमेंट व कॉमर्स जैसे विषयों के लिए भी एक और दो वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज के लिए मास्टर ऑफ साइंस (एमएस) नाम को अपना सकते हैं। समिति ने बीएस नाम विभिन्न विषयों में डिग्री के लिए इस्तेमाल करने की सिफारिश की है। साइंस कोर्सेज से पढ़ाई करने पर डिग्री में बीए और एमए नाम लगाने की इजाजत नहीं है।
यूजीसी जल्द ही फीडबैक के लिए पांच सदस्यीय कमिटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक करेगा। इसके बाद डिग्रियों के नए नामों की अधिसूचना जारी होगा।
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विदेशों में विभिन्न स्ट्रीम्स के अंडर ग्रेजुएट कोर्सेज के लिए बीए और बीएस शब्द का इस्तेमाल आम बात है। ढेरों विदेशी विश्वविद्यालय साइकोलॉजी और इकोनॉमिक्स में बीए व बीएस की डिग्री देती हैं। यहां करिकुलम बीए की डिग्री को बीएस से अलग करता है। जहां बीएस डिग्री एक छात्र को विषय में स्पेशलाइजेशन देती है वहीं बीए की डिग्री (उसी विषय में) अधिक लचीलापन देती है। उत्तरार्द्ध को पाठ्यक्रमों के व्यापक विकल्प के साथ डिज़ाइन किया गया है, जिससे छात्र अपनी शिक्षा को अपनी रुचियों के अनुरूप बना सकते हैं। उदाहरण के लिए, हार्वर्ड विश्वविद्यालय इंजीनियरिंग साइंस में बीए और बीएस दोनों डिग्री ऑफर करता है। बीए इंजीनियरिंग छात्र को बीएस छात्र की तुलना में कम क्रेडिट की जरूरत होती है और वह इंजीनियरिंग के बाहर अपनी रुचियों के मुताबिक आगे बढ़ाने के लिए अधिक संभावनाएं होती हैं। दूसरी ओर बीएस डिग्री किसी विशेष इंजीनियरिंग क्षेत्र में अधिक टेक्निकल गहराई से पढ़ाई का मौका देती है।
मई के अंतिम सप्ताह में हुई यूजीसी की बैठक के दौरान समिति की रिपोर्ट पर चर्चा हुई थी। विचार-विमर्श के बाद आयोग ने नए डिग्री नामों को अंतिम रूप देने से पहले प्रतिक्रिया के लिए अपनी सिफारिशों को सार्वजनिक करने का निर्णय लिया।
कमिटी की सिफारिशें
– चार वर्षीय अंडरग्रेजुएट ऑनर्स डिग्री में ‘Hons’ के नाम से ब्रैकेट में ऑनर्स शब्द जुड़ा होगा जैसे – BA (Hons), BCom (Hons), या BS (Hons)। इसके अलावा ऑनर्स विद रिसर्च के साथ भी चार वर्षीय कोर्सेज के नाम होंगे। जैसे – BA (Hons with Research) , BCom (Hons with Research)।
– नई शिक्षा नीति के मुताबिक एमफिल को खत्म कर दिया जाएगा।
– अगर कोई स्टूडेंट्स चार वर्षीय डिग्री कोर्स के दौरान सिर्फ 3.5 सालों में ही आवश्यक क्रेडित प्राप्त कर लेता है तो वह साढ़े तीन सालों में ही अपनी डिग्री हासिल कर सकता है।
हालांकि कमिटी ने यह भी साफ किया है नए नामों से डिग्री कोर्स शुरू होने के बाद पुराने डिग्री नामों का उपयोग भी जारी रहेगा। मौजूदा तीन साल का ऑनर्स डिग्री प्रोग्राम चार साल के ऑनर्स डिग्री प्रोग्राम के साथ जारी रहेगा।