Monday, July 8, 2024
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नक्सली हिंसाः छत्तीसगढ़ में फिर बहा जवानों का खून, डेढ़ दशक में दो दर्जन बड़ी वारदातें


छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के अरनपुर में नक्सली धमाके में 10 जवानों सहित 11 लोगों की ताजा शहादत कोई पहला मौका नहीं है. नक्सली हिंसा के कारण पहले भी कई दशकों से छत्तीसगढ़ की धरती खून से लाल और आंसुओं से भीगती रही है. इस बार भी नक्सली हिंसा की वही दिल दहला देने वाले धमाके की गूंज सुनाई दी है. छत्तीसगढ़ पृथक राज्य बनने के बाद चाहे दिवंगत अजीत जोगी की सरकार रही हो या भाजपा की रमन सिंह सरकार या मौजूदा कांग्रेस पार्टी की भूपेश बघेल सरकार, हर दौर में नक्सली मजबूत होते रहे हैं.

तीन दशकों से भी ज्यादा समय इस बात का गवाह है कि नक्सली हिंसा के हर मौत के तांडव के बाद हर सियासी सूरमा का सीएम भूपेश बघेल जैसा ही बयान आता है, जिसमें कहा जाता है कि नक्सलियों को किसी भी सूरत में छोड़ा नहीं जाएगा और नक्सलवाद को जड़ से खत्म कर दिया जाएगा. लेकिन ताजा हमला बताता है कि हकीकत कुछ और ही है. इससे पहले भी मौजूदा सीएम कह चुके हैं कि नक्सलियों को उनके घर में घुसकर मारा जाएगा. 2018 तक तत्कालीन सीएम रमन सिंह भी कहा करते थे कि इस बार नक्सलियों के खिलाफ आखिरी लड़ाई छत्तीसगढ़ में लड़ी जाएगी.

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दो साल पहले IED धमाके में कई जवान हुए थे शहीद
बता दें कि दंतेवाड़ा जैसी वारदात 23 मार्च 2021 में भी हुई थी, जब छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में जवानों से भरी बस को IED ब्लास्ट से उड़ा दिया था. उस बस में 24 जवान सवार थे, जिसमें आधा दर्जन जवान शहीद हो गए थे और 14 बुरी तरह जख्मी हो गए थे. दंतेवाड़ा की आज 26 अप्रैल को हुई ताजा वारदात में 10 जवानों सहित 11 लोगों ने जान गंवाई है. खबर है कि नक्सलियों ने एक पिकअप वाहन को भी धमाके से उड़ा दिया है.

डेढ़ दशक में 24 बड़ी वारदातें
पिछले डेढ़ दशक में नक्सलियों ने दिल दहला देने वाली 24 से ज्यादा बड़ी वारदातें की, जिसमें सुरक्षाबलों के सैकड़ों अफसर और जवान मारे गए. बड़े पैमाने पर नृशंस हत्याएं की गईं. आइए ऐसी ही कुछ हौलनाक घटनाओं पर नजर डालते हैं…

  • 28 फरवरी 2006: नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ के एर्राबोर गांव में बारूदी सुरंग धमाका किया, जिसमें 25 जवानों की जान गई थी.
  • 16 मई 2006: दंतेवाड़ा के राहत शिविर पर हमला, कई ग्रामीणों का अपहरण, 29 लोगों को मौत के घाट उतार दिया.
  • 15 मार्च 2007: बस्तर क्षेत्र के पुलिस बेस कैंप पर 350 नक्सलियों का हमला सीएएफ के 15 जवान शहीद.
  • 6 अप्रैल 2010: दंतेवाड़ा के ताड़मेटला में एक के बाद एक कई ब्लास्ट, अर्धसैनिक बल के 75 जवानों सहित 76 मौतें.
  •  8 मई 2013: नक्सलियों ने पुलिस की गाड़ी उड़ाई. भारतीय अर्धसैनिक बल के 8 जवान शहीद.
  • 25 मई 2013: दरभा की झीरम घाटी में नक्सलियों का बहुत बड़ा हमला. नक्सलियों ने इस हमले में छत्तीसगढ़ कांग्रेस का पूरा नेतृत्व ही खत्म कर दिया था. प्रदेश कांग्रेस के 25 नेताओं की मौत हुई थी. इसमें विद्याचरण शुक्ल, महेन्द्र कर्मा, नंद कुमार पटेल जैसे बड़े नेता शामिल थे.
  • 28 फरवरी 2014: झीरम घाटी में घात लगाकर नक्सलियों का हमला, सीआरपीएफ के 11 जवान और 4 पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतारा दिया गया.
  • 1 मार्च 2017: नक्सली हमले में 11 कमांडो शहीद.
  • 22 मार्च 2020: सुकमा जिले के कोराजडोंगरी के चिंता गुफा के पास नक्सली हमले में 17 जवान शहीद.
  •  23 मार्च 2021: नारायणपुर में 75 जवानों से भरी बस को नक्सलियों ने आईईडी ब्लास्ट से उड़ाया. 5 जवान शहीद, 14 घायल.

संसद के आंकड़े क्या कहते हैं
-2018 से 2020 तक तीन साल में 970 नक्सली घटनाएं हुईं.
-2023 तक नक्सली हिंसा का यह आंकड़ा कुल 5 सालों में 1000 की संख्या से ज्यादा का हो गया है.
-केन्द्र के हिसाब से छत्तीसगढ़ के 14 जिले नक्सली प्रभावित हैं, जबकि राज्य सरकार प्रभावित जिलों की संख्या 16 बताती है.

Tags: Chhattisgarh naxal attack, Naxal violence



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