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विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) ने व्हाट्सएप और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इंडिया गठबंधन ने व्हाट्सएप, फेसबुक और यूट्यूब पर “सत्तारूढ़ भाजपा के सांप्रदायिक घृणा अभियान” में सहायता करने और विपक्षी नेताओं की आवाज दबाने का आरोप लगाया है। मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग और गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई को कड़े शब्दों में लिखे पत्र में 28 राजनीतिक दलों के समूह ने आरोप लगाया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भारत में सामाजिक वैमनस्य को बढ़ावा देने और सांप्रदायिक नफरत को भड़काने के दोषी हैं।
बता दें कि ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) विपक्षी दलों का गठबंधन है जिसका गठन वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) से मुकाबला करने के लिए हुआ है। विपक्षी दलों ने पत्र में लिखा, “आप सत्तारूढ़ भाजपा के सांप्रदायिक घृणा अभियान को समर्थन देने में व्हाट्सएप और फेसबुक की भूमिका को लेकर वाशिंगटन पोस्ट अखबार के हालिया खुलासे से अवगत होंगे। लेख में इस बात का विवरण दिया गया है कि भाजपा सदस्यों और समर्थकों द्वारा व्हाट्सएप ग्रुप्स का इस्तेमाल करके यह घृणित, सांप्रदायिक रूप से विभाजनकारी प्रचार कैसे किया जाता है।”
वाशिंगटन पोस्ट की एक अन्य रिपोर्ट का हवाला देते हुए, पत्र में दावा किया गया कि अखबार ने फेसबुक और गूगल के अधिकारियों द्वारा सरकार के प्रति जबरदस्त पक्षपात का सबूत पेश किया है। उन्होंने लिखा, “वाशिंगटन पोस्ट की इन विस्तृत जांचों से यह बहुत स्पष्ट है कि मेटा भारत में सामाजिक वैमनस्य को बढ़ावा देने और सांप्रदायिक घृणा भड़काने का दोषी है। इसके अलावा, हमारे पास डेटा है जो दिखाता है कि सत्तारूढ़ पार्टी के कंटेंट को बढ़ावा दिया जाता है और आपके मंच पर विपक्षी नेताओं के कंटेंट को एल्गोरिथम मॉडरेशन और दमन का सामना करना पड़ता है।”
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा एक्स पर साझा किए गए पत्र में कहा गया है कि एक निजी विदेशी कंपनी द्वारा इस तरह की पक्षपातपूर्ण कार्रवाई “भारत के लोकतंत्र में हस्तक्षेप करने के समान है”। विपक्ष ने पिचाई को भी ऐसा ही पत्र लिखा जिनकी कंपनी Google वीडियो शेयरिंग प्लेटफॉर्म YouTube की मालिक है। इसके अलावा, मार्क जुकरबर्ग को संबोधित करते पत्र में कहा गया, “2024 में आगामी राष्ट्रीय चुनावों के मद्देनजर, आपसे हमारी गंभीर और तत्काल अपील है कि आप इन तथ्यों पर गंभीरता से विचार करें और तुरंत सुनिश्चित करें कि भारत में मेटा का संचालन तटस्थ रहे।”
हाल ही में अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने ‘भारत को भड़काने के लिए हिंदू राष्ट्रवादियों के विशाल डिजिटल अभियान की पड़ताल’ नाम से एक खबर छापी थी। इसमें वाशिंगटन पोस्ट ने भाजपा की चुनावी सफलता का श्रेय “अमेरिकी सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के शीर्ष पर निर्मित एक विशाल मैसेजिंग मशीन” को दिया। इसके अलावा, इसमें वाशिंगटन ने 8 अक्टूबर को एक और आर्टिकल छापा। इसकी हेडिंग थी- ‘भारत के लोकतंत्र को खतरे में डालता तकनीक और नफरत का जहरीला मिश्रण।’ इसने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तहत नफरत फैलाने” का आरोप लगाया था।