Home Life Style नमकीन नहीं… मीठी है ये कचौरी, केसर और मावा के साथ देसी घी में बनती है

नमकीन नहीं… मीठी है ये कचौरी, केसर और मावा के साथ देसी घी में बनती है

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नमकीन नहीं… मीठी है ये कचौरी, केसर और मावा के साथ देसी घी में बनती है

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नरेश पारीक/चूरू. हर मौसम के लिए मशहूर शेखावाटी की धरती यहां बनने वाले व्यंजनों के लिए भी मशहूर है. यहां के जायके की खुशबू किसी को भी अपना दीवाना बना देती है. आपने चूरू की दाल कचौरी, प्याज कचौरी तो चखी होगी, लेकिन इन कचौरियों के अलावा एक ऐसी कचौरी भी है जो नमकीन नहीं, बल्कि मीठी है. चूरू में बनने वाली स्पेशल केसर मावा कचौरी, जिसके शौकीन दूर-दूर तक हैं. देसी घी में केसर की मीठी महक किसी को भी अपना दीवाना बना देती है.

चूरू में बनने वाली इस मीठी कचौरी की भी उतनी ही डिमांड है, जितनी यहां की मसालेदार कचोरी की. यहां के लोग इसे बड़े ही चाव से खाते हैं और मीठे के शौकीनों के लिए तो ये कचौरी खास है. इसे बनाने वाले कारीगर बताते हैं कि इस खास केसर मावा कचौरी के देश, प्रदेश से आए लोग भी मुरीद हैं. मिष्ठान भंडार के ऑनर कमल शर्मा बताते हैं कि उनके यहां मसालेदार कचौरी की जितनी डिमांड है, उतनी ही इस केसर मावा कचौरी की है. इसकी हर रोज बड़ी संख्या में बिक्री रहती है और इसके एडवांस ऑर्डर रहते हैं.

ऐसे तैयार होती है ये मावा कचौरी
केसर मावा कचौरी बनाने वाले कारीगर अमन बताते हैं कि पहले शुद्ध दूध का मीठा मावा तैयार किया जाता है. फिर उसे ठंडा किया जाता है, फिर जावित्री, जायफल, इलायची दाना, केसर मिक्स कर मसाला तैयार किया जाता है. फिर मसाले की गोली तैयार की जाती है. फिर देसी घी में मैदा गूंथा जाता है, फिर उसमें मसाला भरा जाता है. इसे पूड़ी की तरह बेल कर कचौरी का आकार दिया जाता है. इसके बाद देसी घी में छाना जाता है. तेज आंच में 5 मिनट तक छानने के बाद धीमी आंच में 30 मिनट तक पकाया जाता है. फिर इसे चाशनी में डुबोया जाता है.

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