नमाज के लिए बस रोकने के बाद बर्खास्त कर दिए गए यूपी रोडवेज के कंडक्टर ने बाद में सुसाइड कर लिया था। कहते हैं कि नौकरी से निकाले जाने के बाद से कंडक्टर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा था। अब इसे लेकर राजनीति शुरू हो गई है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने गुरुवार को कंडक्टर के परिवार से मुलाकात की। हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। इसके साथ ही भाजपा पर निशाना भी साधा। अखिलेश ने भाजपा से पूछा कि क्या यह सही हुआ है। इसके साथ ही भाजपा को नसीहत देते हुए कहा कि भाजपाई बीमार नहीं समझदार बनें। वहीं परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने बर्खास्तगी के कारण सुसाइड करने से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि शुरुआती रिपोर्ट में उसकी बर्खास्तगी का सुसाइड से कोई संबंध नजर नहीं आता है।
तीन जून को दो मुस्लिम यात्रियों को नमाज के लिये रोडवेज बस रोकने का वीडियो वायरल होने के बाद बर्खास्त किये गये संविदा कंडक्टर मोहित यादव (30) ने मैनपुरी के घिरोर क्षेत्र में ट्रेन से कटकर जान दे दी। परिजन का आरोप है कि नौकरी से बर्खास्त किये जाने के बाद से मोहित अवसाद में था और आशंका है कि इसी से तंग आकर उसने ट्रेन से कटकर खुदकुशी कर ली।
इस बीच समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मोहित यादव के परिजन से मुलाकात कर उन्हें हर तरह से मदद का आश्वासन दिया। अखिलेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि उत्तर प्रदेश परिवहन निगम से निलंबन के सदमे के कारण आत्महत्या करने पर मजबूर हुए मोहित यादव के परिजनों से मिलकर उनका दुख बांटा और हर हालत में उनके साथ खड़े रहने और हर तरह से मदद करने का सच्चा आश्वासन दिया।
अखिलेश ने कहा कि इस बारे में बस इतना और कहना है कि भाजपा के नेता, उसके कार्यकर्ता, समर्थक और मतदाता इतना बताएं कि क्या यह सब जायज है? इतनी घृणा दिलों में रखने से भाजपाई क्या खुद को बीमार नहीं कर रहे हैं? अगर किसी के दुख से भाजपाइयों को सुख मिल रहा है तो यह आदत एक दिन भाजपाइयों को अपनों से भी दूर कर देगी। भाजपाई बीमार न बनें, समझदार बनें।
मोहित के छोटे भाई रोहित ने पीटीआई-भाषा को बताया कि उसका भाई इसी साल तीन जून को बरेली से कौशांबी जा रही एक बस पर परिचालक की ड्यूटी कर रहा था तथा उसे एक वीडियो वायरल होने के बाद बर्खास्त कर दिया गया था।
मोहित पर आरोप था कि उसने कुछ यात्रियों को नमाज पढ़ने देने के लिये रास्ते में बस रोकी थी। रोहित के मुताबिक उसका भाई अपनी बर्खास्तगी के बाद से अवसाद में था और आशंका है कि उसने इसी से परेशान होकर कोसमा स्टेशन से गुजर रही कालिंद्री एक्सप्रेस से कटकर आत्महत्या कर ली।
इस बीच, मोहित यादव का एक वीडियो सामने आया है जिसमें वह बता रहा है कि वह बरेली से कौशांबी जा रही बस में ड्यूटी पर तैनात था। बस में यात्री कम थे। रास्ते में दो मुस्लिम यात्री बस पर चढ़े और उससे गुजारिश की कि वह उन्हें नमाज पढ़ने देने के लिये रास्ते में कहीं बस रोक दे।
रामपुर जिले में तीन यात्रियों ने लघुशंका निवारण के लिये बस रुकवायी तो उसने मुस्लिम यात्रियों से कहा कि बस रुकी है तो इतनी देर में वे भी नमाज पढ़कर आ जाएं। मोहित वीडियो में कह रहा है कि इस बीच बस में बैठे किसी यात्री ने नमाज पढ़ रहे मुसाफिरों का वीडियो बनाकर उसे वायरल कर दिया। इसका संज्ञान लेते हुए रोडवेज के वरिष्ठ अधिकारियों ने उसे बर्खास्त कर दिया।
शुरुआती रिपोर्ट में मौत का बर्खास्तगी से संबंध नहींः परिवहन मंत्री
वहीं, उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा है कि उन्होंने नमाज पढ़ने देने के लिए बस रोकने के आरोप में बर्खास्त किए गए परिचालक द्वारा आत्महत्या किए जाने की जांच शुरू कराई है और शुरुआती रिपोर्ट में उसकी बर्खास्तगी का उसकी मौत से कोई संबंध नजर नहीं आता। जो प्राथमिक रिपोर्ट मिली है, उससे ऐसा लगता है कि उसकी मौत का उसकी बर्खास्तगी से कोई लेना-देना नहीं है।
मंत्री ने बताया कि विभाग में एक व्यवस्था है जिसके तहत बर्खास्त कर्मी खुद को बहाल किए जाने की अपील कर सकता है लेकिन प्राथमिक जांच रिपोर्ट में पाया गया है कि यादव ने इस साल जून में बर्खास्त किए जाने के बाद अपनी बहाली के लिए कोई अर्जी नहीं दी थी। उन्होंने बताया कि इससे उसकी मौत का उसकी बर्खास्त की से कोई संबंध नजर नहीं आता।
सिंह ने कहा कि अगर उसने अपनी बर्खास्तगी को लेकर कोई शिकायत की होती या कोई सुसाइड नोट लिखा होता जिसमें उसने आत्महत्या के लिए विभाग को दोषी माना होता तो कहा जा सकता है कि उसने बर्खास्तगी से दुखी होकर आत्महत्या की। प्राथमिक जांच रिपोर्ट में ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है। उन्होंने बताया कि अभी मामले की विस्तृत जांच की जा रही है।
इनपुट भाषा