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लोकसभा चुनाव 2024 को ध्यान में रखते हुए एनडीए लगातार अपना कुनबा बढ़ा रहा है। ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि ओडिशा की सत्तारूढ़ पार्टी बीजू जनता दल (बीजेडी) एनडीए के साथ हाथ मिला सकती है। मगर ओडिया के भाजपा प्रमुख मनमोहन सामल ने इन कवायदों को खारिज कर दिया है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, मनमोहन सामल ने कहा कि चुनाव की तैयारी पर हाल ही में पार्टी की बैठक के दौरान नवीन पटनायक की पार्टी के साथ गठबंधन पर कोई चर्चा नहीं हुई। उनकी यह टिप्पणी ऐसे वक्त पर आई है जब ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि बीजेडी एक बार फिर से एनडीए के साथ शामिल हो सकती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीते मंगलवार को ओडिशा के दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने विपक्ष पर जोरदार हमला बोला, लेकिन नवीन पटनायक की सरकार पर खामोश रहे। इसके साथ ही भाजपा और ओडिशा के बीच गठबंधन की अटकलें तेज हो गई हैं। यदि लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी और बीजेडी अपनी दोस्ती पक्की कर लेते हैं तो इसमें दोनों के फायदा हो सकता है।
भाजपा को क्या फायदा
मनोबल बढ़ेगा: हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनडीए में दोबारा वापसी की थी। इसे एक ओर जहां विपक्षी गठबंधन INDIA के लिए झटका माना गया। वहीं, भाजपा के लिए यह मनोबल बढ़ाने वाला रहा, क्योंकि कुमार को ही विपक्षी एकता का सूत्रधार कहा जाता था। अब अगर पटनायक एनडीए में वापसी करते हैं, तो मजबूत क्षेत्रीय साथी पाकर भाजपा का मनोबल और बढ़ सकता है।
सीटों का आंकड़ा: इस बार एनडीए ‘400 पार’ का नारा दे रही भाजपा के लिए लक्ष्य के करीब आना और आसान हो जाएगा। राज्य में लोकसभा सीटों की संख्या कुल 21 है। बीते लोकसभा चुनाव में यहां बीजेडी ने 12 सीटों पर जीत हासिल की थी। जबकि, 8 पर जीत के साथ भाजपा दूसरे स्थान पर थी। कहा जा रहा है कि भाजपा वोट शेयर बढ़ाने की ओर भी देख रही है। ऐसे में यह साझेदारी अहम साबित हो सकती है।
राज्यसभा में भी फायदा: इसके अलावा यह दोस्ती राज्यसभा में भी भाजपा की संख्या बढ़ाने में मदद कर सकती है। फिलहाल, बीजेडी के राज्यसभा में 9 सांसद हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों दलों के बीच गठबंधन की अटकलें तब ही शुरू हो गईं थीं, जब बीजेडी ने केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव की उम्मीदवारी का समर्थन दिया था।
कांग्रेस की बढ़ सकती है चिंता: साल 2014 विधानसभा में यहां कांग्रेस ने 147 सीटों पर चुनाव लड़ा और 16 पर जीत हासिल की। जबकि, भाजपा 10 पर थी। 2019 चुनाव में कांग्रेस घटकर 9 सीटों पर आ गई और भाजपा बढ़कर 23 सीटों पर पहुंच गई। बीते लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस महज एक ही सीट जीत सकी थी। अगर भाजपा-बीजेडी साथ आते हैं, तो ओडिशा की जनता के सामने मुकाबला त्रिकोणीय नहीं रह जाएगा।
बीजेडी को क्या फायदा
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि पटनायक और बीजेडी के एक वर्ग को कुछ आपत्तियां थीं, लेकिन पांडियन ने दोनों के संबंध मजबूत करने की पहल की। रिपोर्ट में बीजेडी सूत्र के हवाले कहा गया, ‘अभियान पांडियन की तरफ से चलाया गया था।’
कहा जा रहा है कि बीजेडी ओडिशा विधानसभा में अपनी ताकत बनाए रखना चाहती है। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि नई सीट शेयिरिंग डील के तहत भाजपा लोकसभा चुनाव में ज्यादा सीटों पर लड़ेगी। जबकि, बीजेडी राज्य की 147 विधानसभा सीटों में से 100 से ज्यादा पर मैदान में उतर सकती है।