मुंबई. महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में डॉ. शंकरराव चव्हाण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हाल ही में महज 4 दिनों में 51 मरीजों की मौत पर संज्ञान लेते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने शुक्रवार को मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसरों की कम पोस्टिंग पर राज्य सरकार से सवाल किया. हाईकोर्ट ने पूछा कि मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसरों के 97 मंजूर पद हैं लेकिन मौजूदा वक्त में केवल 49 प्रोफेसर ही वहां तैनात हैं, इस पर आप क्या कहेंगे? इस पर महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल एडवोकेट बीरेंद्र सराफ ने कहा कि राज्य स्वास्थ्य सेवा विभाग इन रिक्तियों को लेकर पॉजिटिव है और वे इस साल नवंबर तक भर दी जाएंगी.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अस्पताल में मेडिसिन प्रोक्योरमेंट बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) की गैर-मौजूदगी पर भी सवाल उठाया. जिस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि एक शख्स के पास पहले से ही बोर्ड की अतिरिक्त जिम्मेदारी है. इसके जवाब में कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि दवा खरीद बोर्ड का एक पूर्णकालिक और स्वतंत्र सीईओ होना चाहिए. अदालत ने कहा कि सरकार को अस्पताल के डॉक्टरों और पैरा मेडिकल दोनों कर्मचारियों की समस्या का उचित हल करना चाहिए. हाईकोर्ट ने कहा कि दवाओं और अन्य चिकित्सा उपकरणों की खरीद का मुद्दा भी महत्वपूर्ण है.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि सभी स्तरों के सरकारी अस्पतालों का प्रबंधन सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया जाता है और मेडिकल कॉलेजों का प्रबंधन चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा किया जाता है. मेडिकल कॉलेज का पहला काम पढ़ाई है और दूसरा काम मरीजों की देखभाल करना है. मरीजों की देखभाल की पहली जिम्मेदारी सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग की है. हाईकोर्ट ने कहा कि हमारी राय में अन्य सभी उपायों के अलावा इन 2 विभागों को यह ध्यान रखना चाहिए कि सभी मेडिकल और गैर-मेडिकल पदों की खाली जगहें भरी जाएं. गौरतलब है कि कथित तौर पर दवाओं की कमी के कारण नांदेड़ के डॉ. शंकरराव चव्हाण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में कम से कम 51 लोगों की मौत हो गई.
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FIRST PUBLISHED : October 7, 2023, 10:47 IST