Thursday, December 19, 2024
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नाक से खून आना भी हो सकता है ल्‍यूकेमिया का लक्षण, जानें कब हो जाएं सतर्क


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Leukemia Causes Symptoms and Treatment: नाक से खून आना यानी नकसीर फूटने की समस्या गर्मियों के मौसम में एक आम समस्‍या मानी जाती है। गर्मी और शुष्‍क मौसम में होने वाली यह समस्या आज भी कई लोगों के लिए परेशानी की वजह बनी हुई है। हालांकि अगर बार-बार किसी व्यक्ति के साथ ऐसा हो रहा हो तो उसे इस परेशानी को आम समझकर नजरअंदाज करने की जगह सतर्क हो जाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि कई बार यह ल्‍यूकेमिया का संकेत भी हो सकता है। ल्यूकेमिया रक्त से संबंधित कैंसर है। जिसकी वजह से इसे ब्‍लड कैंसर भी कहा जाता है।

आर्टेमिस अस्पताल (गुड़गांव) के हेमेटोलॉजी ऑन्कोलॉजी चिकित्सक डॉ. गौरव दीक्षित के अनुसार, आमतौर पर ल्यूकेमिया की समस्या बच्चों में अधिक देखी जाती है। लेकिन, इसका शिकार किसी भी उम्र के लोग हो सकते हैं। ल्‍यूकेमिया को समझने के लिए हमें रक्‍त कोशिकाओं को समझना होगा। दरअसल हमारे रक्‍त में तीन मुख्य प्रकार की रक्त कोशिकाएं होती हैं। इनमें से लाल रक्त कोशिकाओं यानी आरबीसी का काम है ऑक्‍सीजन ले जाना, श्वेत रक्त कोशिकाएं यानी डब्‍ल्‍यूबीसी शरीर में संक्रमण से लड़ती हैं और प्लेटलेट्स का काम है चोट लगने पर खून का थक्‍का जमने में मदद करना। 

एक स्‍वस्‍थ शरीर में रोज नई रक्‍त कोशिकाएं बनती हैं और कुछ हफ्तों में मर जाती हैं, जिनका स्‍थान नई कोशिकाएं ले लेती हैं। ल्यूकेमिया होने पर शरीर में नई डब्ल्यूबीसी ज्‍यादा बनने लगती हैं, जिससे बाकी दोनों कोशिकाओं और शरीर के महत्‍वपूर्ण अंगों के कामकाज पर असर पड़ता है। इस कैंसर की कोशिकाएं अस्‍थि मज्‍जा में बढ़ती हैं। प्रसार के आधार पर ल्‍यूकेमिया के चार प्रकार होते हैं। एक्‍यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया, क्रोनिक माइलॉयड ल्यूकेमिया, एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (एएलएल) और क्रोनिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया। 

नहीं है कोई स्‍पष्‍ट कारण-

विशेषज्ञों का कहना है कि ल्यूकेमिया के सही कारण अभी तक स्‍पष्‍ट नहीं हैं। हालांकि कुछ स्‍थितियों में ल्‍यूकेमिया का खतरा बढ़ जाता है। जैसे फ्री-रैडिकल्स के संपर्क में आने से ल्यूकेमिया का खतरा बढ़ सकता है। इसके अलावा, स्मोकिंग जैसी आदतें और कुछ मामलों में आनुवंशिकी कारण भी इसका खतरा बढ़ा सकते हैं।

किन स्‍थितियों में रहें सतर्क-

-परिवार में ल्यूकेमिया का इतिहास

-डाउन सिंड्रोम जैसी वंशानुगत समस्या

-कीमोथेरेपी या रेडिएशन से कैंसर का पिछला उपचार

-किसी भी प्रकार का हाई रेडिएशन रिस्‍क

-बेंजीन जैसे रसायनों के संपर्क में आता 

-कुछ खास हेयर डाई का प्रयोग भी खतरा बढ़ाता है 

ल्यूकेमिया के इन लक्षणों पर रखें नजर-

-यदि अचानक ऐसा लगे कि त्‍वचा पीली होने लगी है, तो सावधान हो जाएं। वैसे तो यह जॉन्‍डिस का लक्षण है, लेकिन ज्‍यादा दिनों तक ऐसा हो तो यह ल्यूकेमिया का शुरुआती लक्षण भी हो सकता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि ल्यूकेमिया में लाल रक्त कोशिकाओं की वृद्धि रुक जाती है। 

-महिलाओं में यदि ल्यूकेमिया हो तो पीरियड्स के दिनों में ब्लीडिंग अधिक होने लगती है। ऐसा लाल रक्‍त कोशिकाओं की संख्या में कमी आने से होता है। वैसे तो इसके और भी कारण होते हैं। इसलिए उचित है कि डॉक्‍टर से सलाह लें और सही कारण का पता लगाएं। 

-प्लेटलेट्स शरीर में खून का थक्‍का बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ल्‍यूकेमिया के कारण प्लेटलेट्स का उत्पादन प्रभावित होता है। जिसकी वजह से चोट लगने पर खून ज्‍यादा बहता है और घाव जल्‍दी नहीं भरता है। ऐसा हो, तो ल्‍यूकेमिया की जांच करा लेनी चाहिए। 

-यदि शरीर की ताकत कम होती जा रही हो और बिना काम किए ही थकान महसूस होती है, तो अनदेखी ना करें। ल्यूकेमिया के कारण भी ऐसा हो सकता है। 

-सफेद रक्त कोशिकाएं शरीर को संक्रमण से बचाती हैं। ल्‍यूकेमिया के कारण उनका काम प्रभावित होता है और उनकी संख्‍या अनियंत्रित हो जाती है। इससे शरीर आसानी से संक्रमण का शिकार हो जाता है। इसलिए बार-बार बुखार होना, ठंड लगना और खांसी जैसे लक्षण हों तो डॉक्‍टर से संपर्क करना चाहिए।

-ल्यूकेमिया वाले बच्चों को चोट लगने पर नील जल्‍दी पड़ता है। मसूढ़ों से खून बहना भी इसके लक्षणों में शुमार है। ऐसी कोई भी स्‍थिति बार-बार होने लगे तो सतर्क हो जाना चाहिए और डॉक्‍टर से मिलकर जांच करा लेनी चाहिए।

-नकसीर फूटना यानी नाक से खून आना ल्‍यूकेमिया लक्षण हो सकता है। वैसे तो नकसीर के ज्‍यादातर मामले सामान्‍य होते हैं, लेकिन अगर सामान्‍य मौसम और परिस्‍थितियों में भी नाक से खून बहने लगे तो ल्‍यूकेमिया की जांच भी करा लेनी चाहिए।

-ल्यूकेमिया की कोशिकाएं लीवर, किडनी और स्प्लीन में जमा हो सकती हैं। इससे पेट में सूजन आ सकती है, जो भूख न लगने की वजह से वेट लॉस होने लगता है।



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