स्वीडन पर सारे सदस्य रजामंद
लिथुआनिया की राजधानी विनियस में एर्दोगन और स्वीडिश प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टरसन के साथ बातचीत के बाद, स्टोल्टेनबर्ग ने कहा कि तुर्की आगे बढ़ने के लिए सहमत हो गया है। स्टोल्टेनबर्ग ने मीडिया को बताया, ‘मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि राष्ट्रपति एर्दोगन स्वीडन के लिए प्रोटोकॉल को जल्द से जल्द ग्रैंड नेशनल असेंबली में भेजने और अनुसमर्थन सुनिश्चित करने के लिए असेंबली के साथ मिलकर काम करने पर सहमत हुए हैं।’ उन्होंने आगे कहा , ‘यह एक ऐतिहासिक दिन है।’ नाटो सदस्यता के लिए सैन्य गठबंधन के सभी सदस्यों की मंजूरी की जरूरत होती है।
क्यों थी तुर्की को आपत्ति
तुर्की ने स्वीडन पर कुर्द कार्यकर्ताओं को पनाह देने का आरोप लगाया था। तुर्की इन्हें आतंकी मानता है और इस वजह से ही पिछले एक साल से स्वीडन के नाटो में शामिल होने के प्रस्ताव में रुकावट डाली हुई थी। इसके अलावा स्वीडन में पिछले कुछ महीनों से विरोध प्रदर्शन भी जारी हैं। इसमें कुरान को जलाने वाले इस्लाम विरोधी कार्यकर्ताओं को प्रमुखता दी जा रही है। इस वजह से भी तुर्की के अधिकारी खासे नाराज थे। तीन-तरफा वार्ता के बाद एक साझा बयान में कहा गया कि तुर्की और स्वीडन ‘आतंकवाद विरोधी सहयोग’ पर मिलकर काम करेंगे और व्यापार संबंधों को बढ़ावा देंगे।
एर्दोगन की एक मांग
इससे पहले सोमवार को एर्दोगन ने मांग की स्वीडन की तरफ से नाटो का सदस्य बनने की मांग में आ रही रुकावट की वजह से यूरोपियन यूनियन को तुर्की की शर्त पर फिर से गौर करना चाहिए। इसके बाद विनियस में हो रहे नाटो शिखर सम्मेलन के साथ एक अनिश्चितता भी जुड़ गई। स्वीडन अब इस गठबंधन का 32वां सदस्य बनेगा। दरअसल तुर्की पिछले 50 सालों से यूरोपियन यूनियन का सदस्य बनने की कोशिशें कर रहा है। एर्दोगन ने मीडिया से कहा लगभग सभी नाटो सदस्य देश अब यूरोपियन यूनियन के मेंबर्स हैं।