Nirjala Ekadashi 2025 Date: निर्जला एकादशी का व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. द्वापर युग में 5 पांडवों में से भीमसेन ने अपने पूरे जीवन में यह एक मात्र एकादशी का व्रत रखा था, इस वजह से निर्जला एकादशी को भीम एकादशी या भीमसेनी एकादशी कहा जाता है. जो लोग यह व्रत रखते हैं, उनको जल ग्रहण नहीं करना होता है. यह व्रत बिना अन्न और जल के रखते हैं, इस वजह से इसका नाम निर्जला एकादशी है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव का कहना है कि जो व्यक्ति व्रत नहीं कर सकता है तो उसे निर्जला एकादशी का व्रत जरूर करना चाहिए. निर्जला एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को सभी एकादशी व्रतों को करने के बराबर पुण्य फल प्राप्त होता है. उसके पाप मिट जाते हैं और विष्णु कृपा से मोक्ष मिल जाता है. आइए जानते हैं कि इस साल 2025 की निर्जला एकादशी कब है? निर्जला एकादशी का मुहूर्त और पारण समय क्या है?
निर्जला एकादशी 2025 तारीख
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, निर्जला एकादशी के लिए आवश्यक ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी तिथि 6 जून शुक्रवार को तड़के 2 बजकर 15 मिनट से 7 जून शनिवार को तड़के 4 बजकर 47 मिनट तक मान्य है. ऐसे में उदयातिथि के आधार पर निर्जला एकादशी का व्रत 6 जून शुक्रवार को रखा जाएगा. हालांकि निर्जला एकादशी का व्रत दो दिन होगा. गृहस्थ जन निर्जला एकादशी का व्रत 6 जून को और वैष्णव जन 7 जून को व्रत रखेंगे.
निर्जला एकादशी 2025 मुहूर्त
जो लोग 6 जून को निर्जला एकादशी का व्रत रखेंगे, वे भगवान विष्णु की पूजा रवि योग में कर लें, तो बहुत अच्छा रहेगा. उस दिन रवि योग सुबह में 5 बजकर 23 मिनट से सुबह 6 बजकर 34 मिनट तक रहेगा. यदि किसी कारणवश आप रवि योग में पूजा न कर पाएं तो उसके बाद कर सकते हैं.
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निर्जला एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त 04:02 ए एम से 04:42 ए एम तक है. वहीं उस दिन का शुभ समय यानि अभिजीत मुहूर्त 11:52 ए एम से दोपहर 12:48 पी एम तक है. ब्रह्म मुहूर्त स्नान के लिए अच्छा माना जाता है. अभिजीत मुहूर्त में कोई शुभ कार्य कर सकते हैं.
निर्जला एकादशी 2025 योग और नक्षत्र
6 जून को निर्जला एकादशी के दिन व्यतीपात योग 10:13 ए एम तक है, उसके बाद से वरीयान् योग बनेगा. उस दिन हस्त नक्षत्र सुबह 6 बजकर 34 मिनट तक है, उसके बाद से चित्रा नक्षत्र है. उस दिन पाताल की भद्रा दोपहर से रात तक रहेगी.
निर्जला एकादशी का पारण समय 2025
यदि आप 6 जून को निर्जला एकादशी का व्रत रखते हैं तो उसका पारण 7 जून को दोपहर में 01:44 पी एम से शाम 04:31 पी एम के बीच करना होगा. वहीं वैष्णव लोग निर्जला एकादशी का पारण 8 जून को 05:23 ए एम से 07:17 ए एम के बीच करेंगे.
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निर्जला एकादशी व्रत का महत्व
निर्जला एकादशी के दिन व्रत, पूजा, स्नान और दान करने से पुण्य मिलता है, पाप मिटते हैं और विष्णु कृपा से मोक्ष की प्राप्ति होती है. यदि आप पूरे साल कोई भी व्रत नहीं कर पाते हैं तो आपको निर्जला एकादशी का व्रत जरूर करना चाहिए. उस दिन जल, अन्न का दान करें. इस व्रत को करने से आपकी मनोकामनाएं पूरी होंगी. साल की सभी 24 एकदशी व्रतों को करने का जो फल प्राप्त होता है, उतना सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत करने से प्राप्त हो जाता है.