Monday, July 8, 2024
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‘निर्भया फंड से खरीदीं कारें, शिंदे विधायकों की सुरक्षा में लगाईं’, महाराष्ट्र में मचा बवाल


मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे खेमे के विधायकों और सांसदों की सुरक्षा के लिए निर्भया फंड से खरीदीं कारों के कथित इस्तेमाल को लेकर महाराष्ट्र में बवाल मचा है। आरोप है कि मुंबई पुलिस ने निर्भया फंड का इस्तेमाल कर कुछ कारें खरीदी थीं। बाद में पुलिस ने उन कारों का इस्तेमाल एकनाथ शिंदे के शिवसेना गुट के विधायकों और सांसदों की सुरक्षा में किया। इससे महाराष्ट्र में एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। राज्य के एक मंत्री ने सोमवार को इस रिपोर्ट को झूठा आरोप बताते हुए खारिज कर दिया। मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने कहा, “ऑडिट की कोई जरूरत नहीं है। जब से यह सरकार सत्ता में आई है, तब से पिछला महा विकास अघाड़ी गठबंधन झूठे आरोप लगाता रहता है।”

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ अपराध से लड़ने के लिए निर्भया फंड के तहत इस साल की शुरुआत में मुंबई पुलिस ने कारें खरीदी थीं। बाद में उन कारों का इस्तेमाल टीम शिंदे के विधायकों और सांसदों को वाई-प्लस सुरक्षा प्रदान करने के लिए किया गया।  रिपोर्ट के मुताबिक, जून में, मुंबई पुलिस ने 220 बोलेरो, 35 एर्टिगा, 313 पल्सर मोटरसाइकिल और 200 एक्टिवा दोपहिया वाहन खरीदे थे। इन वाहनों की खरीद के लिए 23 वर्षीय दिल्ली गैंगरेप पीड़िता के नाम पर स्थापित ‘निर्भया फंड’ के तहत प्राप्त 30 करोड़ रुपये का इस्तेमाल किया गया था। 

गौरतलब है कि गैंगरेप पीड़िता निर्भया की 2012 में मृत्यु हो गई थी। घटना 16 दिसंबर 2012 की है। इस घटना के बाद पूरे देश में भारी विरोध प्रदर्शन हुए थे। जिसके बाद कानून में बड़े बदलाव किए गए और फिर अगले साल यूपीए सरकार ने निर्भया फंड की स्थापना की थी। अब आरोप है कि इसी फंड का इस्तेमाल कर जो कारें खरीदीं गईं उनका इस्तेमाल सीएम शिंदे खेमे की सुरक्षा के लिए किया गया। 

विपक्ष ने निर्भया फंड से खरीदी गई कारों का ऑडिट कराने की मांग की है। शिंदे के मंत्री लोढ़ा ने कहा, “अगर वे इसका ऑडिट कराना चाहते हैं तो हम भी एक ऑडिट कराना चाहते हैं। हम जानना चाहते हैं कि एमवीए सरकार ने अपने ढाई साल में निर्भया फंड का क्या इस्तेमाल किया। आरोप लगाना आसान है।” पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के शिवसेना गुट, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने एकनाथ शिंदे-भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए सवाल किया है कि क्या महिलाओं की सुरक्षा पर विधायकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाती है।

महिला सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं के लिए 2013 से केंद्र द्वारा राज्यों को निर्भया फंड दिया जा रहा है। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “जून में वाहनों की खरीद के बाद, उन्हें जुलाई में सभी 97 पुलिस थानों, साइबर, यातायात और तटीय पुलिस इकाइयों को वितरित कर दिया गया।” उन्होंने कहा, “इन वाहनों में से, 47 बोलेरो, मुंबई पुलिस के मोटर परिवहन विभाग द्वारा राज्य पुलिस के वीआईपी सुरक्षा अनुभाग के एक आदेश के बाद कई पुलिस थानों से मांगे गए थे, जिसमें कहा गया था कि शिंदे गुट के सांसदों और विधायकों की ‘वाई-प्लस’ सुरक्षा मुहैया कराने के लिए इन वाहनों की आवश्यकता है।”

साथ ही उन्होंने कहा कि हालांकि, इन सांसदों की सुरक्षा के लिए इस्तेमाल किए गए वाहनों में से 17 वाहनों को आवश्यकता पूरी होने के बाद पुलिस थानों में वापस कर दिया गया। अधिकारी ने कहा, “लेकिन 30 बोलेरो अभी तक वापस नहीं आई हैं, जिससे संबंधित थानों के अधिकार क्षेत्र में पुलिस गश्त प्रभावित हुई है।”

कांग्रेस और राकांपा ने सत्तारूढ़ दल के सांसदों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए वाहनों को इस्तेमाल करने के लिए शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना की। कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने पूछा, “क्या सत्तारूढ़ विधायकों की सुरक्षा महिलाओं को दुर्व्यवहार से बचाने से ज्यादा महत्त्वपूर्ण है?” उन्होंने कहा कि निर्भया कोष का इस्तेमाल विधायकों की सुरक्षा के लिए किया जाना भयावह और अपमानजनक है।

राकांपा प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने कहा, “निर्भया कोष से खरीदी गई एसयूवी को शिंदे विधायकों को वाई-प्लस सुरक्षा प्रदान करने के लिए इस्तेमाल किया गया। शिंदे-फडणवीस सरकार द्वारा सत्ता का शर्मनाक दुरुपयोग। एकनाथ शिंदे के विधायकों को शर्म से मर जाना चाहिए।” राकांपा की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार द्वारा निर्भया कोष की स्थापना की गई थी।

 



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